क्या शरद कोल भी हो गए मैनेज..!!….#शहडोल स्कूल पेंट घोटाला…??
शहडोल का पेंट घोटाला: जांच कहां गई, सवालों का कोई जवाब क्यों नहीं?
शहडोल। लगभग तीन माह पहले शहडोल जिला शिक्षा कार्यालय के माध्यम से सामने आया करोड़ों का निर्माण और मरम्मत घोटाला अब पूरी तरह ठंडे बस्ते में जा चुका है। सुधाकर कंस्ट्रक्शन द्वारा लगाए गए फर्जी बिल, स्कूलों में बिना किसी वास्तविक मरम्मत के भुगतान, और कथित तौर पर केवल “पेंट कोट” दिखाकर करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे करने का मामला उस समय प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर की मीडिया में सुर्खियों में था।
लेकिन सवाल यह है कि आज यह मामला कहां गायब हो गया?
विधायक शरद कोल की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
इस घोटाले की गंभीरता इतनी थी कि शहडोल के व्यवहारी क्षेत्र के भाजपा विधायक शरद कोल ने स्वयं विधानसभा में यह मामला उठाया था। उन्होंने मीडिया के सामने कहा था कि भाजपा सरकार में कोई भी भ्रष्टाचार नहीं होगा और दोषियों पर कार्रवाई तय है। इतना ही नहीं, शहडोल संसदीय क्षेत्र की सांसद श्रीमती हिमाद्री सिंह ने भी दिल्ली के पटल पर इस विषय को रखने की बात कही थी।
लेकिन इसके बाद अचानक सब कुछ शांत हो गया।
आज सवाल यह है कि क्या शरद कोल भी “मैनेजमेंट” के शिकार हो गए? क्या “पेंट कोट” ने उनकी आवाज़ को भी रंग दिया?
इन मीडिया संस्थानों ने उठाया था मुद्दा

देश के लगभग हर प्रमुख मीडिया प्लेटफॉर्म — से लेकर स्थानीय चैनल और अखबारों ने इस घोटाले को प्रमुखता से उठाया था। सोशल मीडिया पर भी यह खबर वायरल रही।
लेकिन अब वही मीडिया संस्थान पूरी तरह चुप हैं।
तो क्या उस समय की रिपोर्टिंग झूठी थी? या फिर मीडिया भी कहीं न कहीं मैनेजमेंट का शिकार हो गया? यह सबसे बड़ा सवाल है।
कांग्रेस भी हुई ठंडी
मामले की गंभीरता को देखते हुए न केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस ने भी जोरदार तरीके से इसे उठाया था। स्थानीय नेताओं से लेकर प्रदेश स्तर तक कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरा था। लेकिन कुछ ही दिनों बाद कांग्रेस की आवाज भी धीमी पड़ गई।
आखिर वह कांग्रेस जो भाजपा पर भ्रष्टाचार के मुद्दे तलाशती रहती है, वह भी क्यों चुप हो गई? क्या कांग्रेस नेताओं तक भी “पेंट कोट” की खुशबू पहुंच गई?
अरविंद पांडे और उनका राजनीतिक कुनबा
इस पूरे घोटाले में अरविंद पांडे और उनके साढ़ू, जो खुद एक प्रभावशाली राजनेता हैं, का नाम भी लगातार चर्चा में रहा। सवाल यह है कि जिला प्रशासन की जांच कहां गई? तीन माह बीत गए, लेकिन जांच समिति की रिपोर्ट तक सार्वजनिक नहीं की गई।
क्या जिला प्रशासन भी दबाव में है? या फिर जांच महज एक औपचारिकता भर थी?
भाजपा विधायक की साख पर सवाल
सबसे बड़ी चोट विधायक शरद कोल की विश्वसनीयता पर हुई है। जब उन्होंने विधानसभा में इस विषय को उठाया था, तो लोगों को भरोसा हुआ था कि भाजपा का एक विधायक भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा है। लेकिन अब उनकी चुप्पी ने लोगों के बीच यह संदेश दे दिया है कि शायद वह भी मैनेज हो गए हैं।
लोग पूछ रहे हैं –
शरद कोल आखिर क्यों चुप हैं?
क्या “पेंट कोट” ने ही उनकी आवाज को दबा दिया?
क्या भाजपा विधायक भी उसी मैनेजमेंट के हिस्सेदार बन गए, जिसके खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई थी?
जनता के बीच गहराता अविश्वास
शहडोल जिले में शिक्षा विभाग के करोड़ों के घोटाले की चर्चा आज भी आम लोगों की जुबान पर है। शिक्षकों से लेकर अभिभावकों तक का सवाल है कि बच्चों की पढ़ाई के नाम पर करोड़ों रुपये डकार लिए गए और दोषियों पर कार्रवाई तो दूर, मामले की चर्चा तक बंद कर दी गई। यह स्थिति सरकार और जनप्रतिनिधियों, दोनों की विश्वसनीयता पर गहरा सवाल खड़ा करती है।
शहडोल का यह घोटाला केवल करोड़ों के गबन का मामला नहीं है,
बल्कि यह सवाल भी है कि जब विधायक, सांसद, मीडिया और विपक्ष — सभी मिलकर किसी मुद्दे को उठाते हैं, तो फिर तीन महीने बाद वही मामला फाइलों में दफन क्यों हो जाता है?
सबसे बड़ा सवाल अब यही है – क्या शरद कोल भी “मैनेजमेंट” का हिस्सा बन गए? या फिर यह मान लिया जाए कि शहडोल का पेंट कोट सिर्फ दीवारों पर ही नहीं, बल्कि नेताओं और मीडिया की आवाज़ पर भी चढ़ चुका है।