जिला अस्पताल का आईसीयू नर्क से भी बदत्तर हालत में

जीर्णोद्धार के नाम पर जिम्मेदारों ने बर्बाद किये लाखों करोड़ो
शहडोल। जिले का सबसे बड़ा अस्पताल देखने में जितना सुन्दर लगता है, अंदर से उतना ही खोखला और अव्यवस्थित है। कुशाभाऊ ठाकरे शासकीय अस्पताल में बीते दिनों आईसीयू और एनआरसी की छतें भरभरा कर अपने ऊपर हुए कमीशन के खेल और भ्रष्टाचार के पोल को खोल दी, गनीमत रही कि इसमें भर्ती मरीज और उनके परिजनों की जान बच गई, फिलहाल गिरी हुई छत के तस्वीर को मिटाने की कोशिश तो की गई पर सिविल सर्जन के लिए यह इतना आसान नहीं रहा की भ्रष्टाचार कमीशन खोरी के इस सपूत को इतनी जल्दी मिटा पाए।
रेडक्रॉस के राशि पर गिद्ध नजर
उद्योग कंपनियों समेत समाजसेवी द्वारा रेडक्रॉस में सहयोग,सेवा के लिए दी गई राशि का जिला चिकित्सालय में जमकर लूट मची हुई है। जिसकी यदि विधिवत आय एवं व्यय की जांच कराई जाए तो करोड़ों का घोटाला रेडक्रॉस से निकली राशि का सामने आ सकता है। बेवजह व्यवस्था को दुरुस्त कराने के आड़ में जिम्मेदार अपना जुगाड़ के फेर में अपना कायाकल्प तो कर ले रहे हैं पर अस्पताल का हाल दिन-ब-दिन बदतर होता जा रहा है।
नर्क में तब्दील अस्पताल का हाल
अस्पताल में प्रवेश करते ही आगे पीछे की स्थिति देखने के बाद कयास लगाए जा सकते हैं कि अस्पताल में कितने सितम ढाए जा रहे हैं । लोकप्रियता एवं छपास के लिए लालायित सिविल सर्जन जब से जिला चिकित्सालय में सिविल सर्जन की कमान संभाली है हर दिन निर्माण कार्य जीर्णोद्धार का ढोंग चल तो रहा है पर ऊपर से जमीन पर गिर रही छतें इस ढिंढोरा को धराशाई कर रही हैं।
जांच के दायरे में करोड़ों का खेल
सूत्रों की माने तो रेडक्रॉस समेत अन्य फंड से जिला चिकित्सालय की व्यवस्था के नाम पर खर्च की गई राशि का यदि विधिवत और ईमानदारी से जांच की जाए तो इसमें तत्कालीन बड़े प्रशासनिक अधिकारी समेत वर्तमान सिविल सर्जन द्वारा किए गए हेरा फेरी के बड़े खुलासे हो सकते हैं।
दो प्रभार से लाभ ले रहे सीएस
अपने ऑफिस को स्वर्ग बनाने में मशगूल एवं छोटी-छोटी गतिविधियों में लोकप्रियता तथा अस्पताल का काम छोड़ बाहर के कार्यों में शरीक होने वाले सिविल सर्जन के पास फिलहाल रेड क्रॉस समेत अस्पताल के सिविल सर्जन का प्रभार बावजूद है, महोदय के दोनों हाथ मलाई में तो है, पर अस्पताल की व्यवस्था दही और म_ा की तरह बन गई है।
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