कार्रवाई के नाम पर ढकोसला कर रहा जिला पंचायत

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आरोप प्रमाणित होने पर भी कार्रवाई में कांप रहे हांथ

ग्रामीण विकास की ओट में सरकारी धन को डकारने के लिए जैसे हर विभाग लामबंद है और पंचायती व्यवस्था के शीर्ष पर बैठे जिला पंचायत के मुखिया चुप्पी साध कर उनके साथ अपनी भूमिका निभा रहे हैं। शासकीय नियमों को फाइलों का बंदी बनाकर  अपना राज और अपना कानून चलाया जा रहा है। चौतरफा अंधेर मची हुई है, लेकिन जिला पंचायत के आका हुजूर इन सबसे बेजार हैं। एक संविदा इंजीनियर पर जब आंच आने लगी तो उसका स्थानांतरण कर दिया गया।

उमरिया। पंचायतों कें निर्माण कार्य में किसी तरह की गड़बड़ी न हो और नियमानुसार कार्य हों और सबके साथ न्यायसंगत व्यवहार हो इसके लिए सरकार द्वारा युक्ति निकाली, इसके तहत निर्माण स्थल पर हर रोज मजदूरों की हाजरी मस्टर रोल में भरी जाएगी। मजदूरी का पैसा सीधे मजदूरों के बैंक खातों में भेजा जाएगा। इसके बाद भी पाली जनपद की तिवनी ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक, सरपंच की मिली भगत से फर्जी हाजरी लगाकर सडक़ निर्माण के लिए स्वीकृत राशि में हेराफेरी खुलेआम की गई है। कई ऐसे काम हैं जिनमेें संविदा इंजीनियर ने बिना बिना प्राक्कलन और स्थल मुआयना किए सत्यापन कर भुगतान कराया है। जब मीनू त्यागी नामक संविदा इंजीनियर के इन कार्यों की जांच होने लगी तो उसे अन्यत्र ट्रांसफर कर दिया गया।

इंजीनियर का हुआ तबादला

उपयंत्री मीनू त्यागी के पास मलिया गुढ़ा,गोरइया, मंगठार, कुरकुचा, सुन्दरदादर, तिवनी, गिजरी, सलैया-2, बन्नौदा, गोयरा एवं मुदरिया में पूर्व में पदस्थ थी। लेकिन जब शिकायतें होने लगीं और जांच खड़ी हो गई और इनके विरुद्ध लगाए गए आरोप प्रमाणित होने लगे तो इन्हे कठोर दण्ड मिलने की बजाय इनका नियमविरुद्ध स्थानांतरण कर एक बार फिर नियम का उल्लंघन किया गया। वर्तमान में इन्हें घुनघुटी, बरहाई, बेली, मलहदू, ममान, धौरई, तुम्मीछोट, कांचोदर, चांदपुर, भिम्माडोंगरी एवं पहडिय़ा के लिए पदस्थ कर दिया गया है और पूर्व की पंचायतों में इनकी जगह विजय सिंह को पदस्थ कर दिया गया है।

रोजगार सहायक हटा पर वेण्डर बचा

ग्राम पंचायत तिवनी के  लगातार भ्रष्टाचार के मामले उजागर होने के बाद जिला मुख्यालय से जांच दल पहुंचा। जांच दल के साथ  उपयंत्री भी मौजूद रही थीं। इन पर भी आरोप रहा कि निर्माण कार्यों में इन्होने बिना स्थल मुआयना किए, बिना प्राक्कलन दिए और बिना सत्यापन कराए राशि निकालने में सहयोग प्रदान किया है। तालाब निर्माण, सडक़ निर्माण व अन्य निर्माणों में इन्होने शासकीय प्रक्रिया का पालन नहीं किाया और भ्रष्टाचार में बराबर की भागीदार रहीं हैं। ग्राम पंचायत तिवनी में हुए भ्रष्टाचार के मामले में रोजगार सहायक सुखदेव सिंह को जनपद में अटैच तो कर दिया गया, लेकिन फर्जी देने वाले वेण्डर पर अभी तक किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है। सबसे बड़ा पहलू यह भी है कि 1 अगस्त 2018 को वाणिज्य कर विभाग ने जब फर्म का रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया था तो, 1 अगस्त 2022 तक फर्म संचालक बंद हो चुके वाणिज्य कर नंबर वाले बिल पंचायतों को दे रहा था, अगर इस मामले में भी जनपद सहित जिला पंचायत ध्यान दे तो, वेण्डर भी नपते नजर आयेंगे।

खनिज विभाग बढ़ा रहा भ्रष्टाचार

ग्राम पंचायत तिवनी में चल रहे भ्रष्टाचार ने यह उजागर कर दिया कि वेण्डर द्वारा फर्जी बिल पंचायतों में लगाये हैं साथ ही चर्चा है कि जो सप्लाई दी भी है, उसमें चोरी का खनिज पंचायत में सप्लाई किया गया है और चोरी के सामान का पंचायत के जिम्मेदारों ने खुले दिल से भुगतान किया है, लेकिन खनिज विभाग द्वारा पंचायतों में चल रहे निर्माण सामग्री के नाम पर चोरी के खनिज की खरीदी को लेकर चुप्पी साधी हुई है, अगर खनिज विभाग पंचायतों में वेण्डरों द्वारा सप्लाई किये गये खनिज की रॉयल्टी की जांच करे तो, पंचायतों में चल रहे फर्जी बिलों के साथ खनिज चोरी का भी बड़ा खुलासा हो सकता है। लेकिन खनिज विभाग को तो आदत है रेत के अवैध उत्खनन से रकम पीटने की और ग्रामपंचायतों की तरफ से आंखे फेर कर वहां से कमीशन लेने की। सारे खेल में खनिज विभाग की भूमिका धुरी पर है लेकिन विभागीय अमले की खाल खींचने वाला कोई नहीं।

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