वास्तुदोष या टाइल्स पसंद नहीं: सीएस ने फिजूल में फूंके लाखों

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सहायक प्रबंधक ऑफ रिकार्ड कर रही के दायित्वों का निर्वहन 
शहडोल। कुशाभाऊ ठाकरे जिला अस्पताल लगातार दो से तीन वर्षाे तक पूर्व सिविल सर्जन की मनमानी और कारगुजारियों से सुर्खियों में रहा, मरीजों सहित यहां पदस्थ स्टॉफ और अन्य लोगों ने उनके तबादले के बाद राहत की सांस ली, इधर बीते माह नये सिविल सर्जन की नियुक्ति के बाद उनके क्रियाकलापों पर तो उंगली नहीं उठ रही है, सिविल सर्जन डॉ. शिल्पी सराफ पर सहायक प्रबंधक पूजा सोनी के इशारों पर काम करने के आरोप लग रहे हैं। शासकीय राशि को दिगर के लिए पानी में बहाने की चर्चाएं और इन सब के बीच जिला अस्पताल में हिन्दी फिल्मों का एक पुराना गाना सुल्ताना-सुल्ताना……हर तरफ सुनाई दे रहा है। सिविल सर्जन पर मरीजों के लिए आये लाखों के बजट को अनावश्यक रूप से खर्च करने के आरोप लगे हैं, वहीं दूसरी तरफ उसी बजट से सुविधाएं पाने के लिए सैकड़ों मरीज और उनके परिजन आज भी तरस रहे हैं।
वास्तुदोष या टेस्ट मामला
जिला चिकित्सालय से जुड़े सूत्र बताते हैं कि बीते माह ही सिविल सर्जन के कक्ष और इससे सटे सहायक प्रबंधक के कक्ष और कायाकल्प एवं सुसज्जित करने के लिए लाखों रूपये पूर्व सिविल सर्जन के द्वारा खर्च किये गये थे, बीते सप्ताह से सहायक प्रबंधक के कक्ष में मची तोड़-फोड़ के बाद यह मामला सामने आया कि लाखों रूपये का बजट आवंटित कर किसी को टाइल्स और कक्ष के नवीनी करण का ठेका दे दिया गया है। जबकि पूर्व से लगे टाइल्स और अन्य सामग्री अभी कई सालों तक उपयोग में लाई जा सकती थी। मरीजों के सुविधाओं के लिए जिस राशि को खर्च किया जाना चाहिए था, शायद वह राशि सहायक प्रबंधक के कलर टेस्ट या फिर वास्तु के हिसाब से फिट नहीं बैठती थी।
सीएस का वाहन या ‘ओला’
बीते कुछ माहों से सिविल सर्जन का सरकारी वाहन निजी कंपनी ‘ओला’ की मानिंद सेवाएं देने में व्यस्त हैं। आरोप हैं कि सहायक प्रबंधक पूजा सोनी के पति मेडिकल कॉलेज में पदस्थ है और वहीं से जिला अस्पताल आने-जाने के लिए दो से तीन बार सिविल सर्जन का वाहन ‘ओला’ की मानिंद अपनी सेवाएं देता है। नियमत: सरकारी कार्यालय में ठेके पर लगे ऐसे वाहनों का उपयोग जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ अपने शासकीय कार्याे के लिए ही कर सकता है, अपने पारिवारिक व व्यक्तिगत उपयोग के लिए भी वाहन का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, वहीं सरकारी वाहन का नियमित लॉकबुक बुक भरा जाना चाहिए, मासिक भुगतान संबंधित फर्म को किया जाता है।
चर्चाओं में सुल्ताना-सुल्ताना
जिला चिकित्सालय में सिविल सर्जन की नियुक्ति किसी की है और उनके अधिकारों का लाभ कोई और ले रहा है, इसी तरह जिला चिकित्सालय में इन दिनों गुमनाम फर्माे के नाम पर ठेके लगातार आवंटित हो रहे हैं, ठेका प्रक्रिया के दौरान कार्यालय में कोटेशन और अन्य प्रक्रिया के लिए फर्माे के मालिक तो नहीं पहुंचते, लेकिन वार्ड ब्वॉय बनाम ठेकेदार के द्वारा अलग-अलग फर्माे के नाम से तीन कोटेशन और पूरी ठेका प्रक्रिया का निर्वहन किया जाता है। वर्तमान में सहायक प्रबंधक के कक्ष के नवीनी करण का ठेका भले ही किसी फर्म को आवंटित किया गया हो, लेकिन सिविल सर्जन कार्यालय में दस्तावेजों की खानापूर्ति और चल रहे निर्माण कार्य की सामग्री और देख-रेख सहित मजदूरों से काम कराने का जिम्मा कार्यालयीन समय में ही पूरे कार्याे का निर्वहन सुल्ताना नामक वार्ड ब्वॉय के माध्यम से किया जा रहा है। मौके पर कार्य कर रहे श्रमिक ने हरिभूमि की टीम से इन आरोपों की पुष्टि भी की। दूसरी तरफ सिविल सर्जन पूरे मामले से अंजान मूकदर्शक बनी हुई नजर आ रही है।

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