एक थे मुन्ना भइया MLA @ विदाई पर विशेष…..

शहडोल। बड़े बे आबरू हो कर तेरे कूचे से हम निकले, बहुत निकले मेरे आँसू मगर कम निकले, मशहूर शायर
गालिब की ये पक्तिया स्थगन समाप्त होने से तिलमिलाए मुन्ना भइया पर बिल्कुल फिट बैठती है। जिस तरह से उनकी बिदाई होती दिख रही है इसकी कल्पना शायद ही कभी उन्होने की हो। बात 1986 की है जब व्याख्याता बने मुन्ना भइया को स्कूल जाने का कुछ कम ही मौका मिला। मास्टर बनने पर बहुत जल्दी इनको यह समझ में आ गया कि उनमें कुछ विशेष प्रतिभा है, जिससे मास्टरी के साथ-साथ अकूत धन भी उपजाया जा सकता है। समझ आते ही 90 के दशक में इन्होने औपचारिकेत्तर शिक्षा, 1994 में प्रौढ़ शिक्षा में समन्वयक के पद पर अपने आप को जमा लिया और अपनी प्रतिभा चमकाने लगे। इन्होंने 1998 में शिक्षा कर्मी भर्ती में कुछ ऐसा कमाल किया कि ये
शिक्षा विभाग में डॉन बन कर उभरे और कमाए गए धन से कई डम्फरो के मालिक बन गए…!! ये अलग बात है कि 1998 में हुए एक एक्सीडेन्ट में इनका एक पैर तकलीफ में आ गया एवं तकलीफ में ही है। कयास ये लगाए जाते रहे की यह घटना किसी नाराज उस पात्र बेरोजगार शिक्षा कर्मी न बन पाए आवेदक की कारस्तानी थी। अब इनकी नजर पड़ी 1995 मे बने राजीव गांधी शिक्षा मिशन पर इसमें इन्हें अपने लिए अपार संभावनाए दिखी।
वस फिर क्या था 16.08.2002 को ये डी.पी.सी बन गए, तब एक बार बने तो फिर ऐसा बने कि 24.02.2023 तक डी.पी.सी. ही रहे, ये अलग बात है कि 2010 में बुरहानपुर के रू 2.13 लाख के फलैक्स प्रिंटिग का कार्य बिना टेडर के चार गुनी दरो पर शहडोल से करने एवं 1.25 की फोटो कापी मशीन के 6 माह भी नहीं चलने के आरोप में इन्हें निलंबित होना पड़ा..!! लेकिन इस निलंबन से ही इन्होंने सीखा कि जितना खाओ उससे से चंद टुकड़े खिलाओ और चरण वंदना में पीएचडी कर ली गई, बस फिर क्या था इनकी गाडी इसी पेट्रोल के सहारे 20 साल चली, अब जा कर पंचर हुई वो ऐसी कि टयूब-टायर बदलने के बाद भी चलने की स्थिति में नहीं है, शायद फाइनली डिस्पोज हो गई..!!
शिक्षा जगत में अपने को एक अविजित योद्धा बना चुके मुन्ना भइया के शहडोल जिले की शिक्षा को परिवार सहित खाने का विरोध करने की ताकत किसी में नहीं थी, ऐसे में सामने आये जिला पंचायत अध्यक्ष नरेन्द्र मरावी जो शायद आदिवासी
अचल की शिक्षा को तहस नहस होते नहीं देख सके। नरेन्द्र के संघर्श का परिणाम भीघ्र ही देखने को मिलेगा..!! जब मुन्न भइया के काले करनामो एवं 20 वर्षों के काले खेल के राज खुलेंगे..!! जिसमे बनसुकली एवं खाड में बनते ही धरासायी हो गए करोडो के बालिका छात्रावास भवनो का घोटाला जिसे एफआईआर दर्ज है। करोड़ों की खेल सामग्री खरीदी का एतिहासिक घोटाला, किचेन सेड निर्माण का घोटाला, स्कूलों के लिए स्टील केश खरीदी का घोटाला. हैण्ड पम्प खनन घोटाला, परीक्षा पेपर एवं उत्तर पुस्तिकाओं के मनमानी दर पर मुद्रण का घोटाला, अप्रवेशी एवं शाला त्यागी बालकों के प्रशिक्षण केन्द्रों का महा घोटाला,डी.एम.एफ मद से भठिया एव चापा माडल
स्कूल की करोड़ों की विज्ञान सामग्री खरीदी का महाघोटाला,डी.एम.एफ मद से छात्रावासों की समग्री खरीदी का
घोटाला, बालिका छात्रावासों में पुरुष अधीक्षकों की नियुक्ति का घोटाला,100 प्री प्राइमरी स्कूलों के लिए विगत तीन वर्शो से 1.5 लाख प्रति स्कूल के मान से 2000 स्कूलों के लिए करोड़ों की सामग्री खरीदी का घोटाला, प्रइमरी स्कूलों के लिए 5 करोड़ के फर्नीचर खरीदी का महा घोटाला बढौदा बैक में प्रथक खाता खोलने का घोटाला, रिलाइन्स मद से स्कूलों में सौचालय निर्माण का घोटाला, विषेश आवासीय प्रशिक्षण केन्द्रों में हजारों दर्ज बच्चो फर्जी बच्चों के लिए 20 हजार प्रति छात्र हडपने का महा घोटाला, अपने रिस्तेदार के नाम से गाड़ियों की खरीदी एवं कलेक्टर, कमिश्नर एवं सीईओ को इन्हीं गाडियो को उपलब्ध कराने का घोटाला, आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का घोटाला, कोतमा में खेल सामग्री बाटने का घोटाला, एक से अधिक खाते संचालित करने का घोटाला, कुछ चुनिंदा स्कूलों में एक ही टायलेट एवं अतरिक्त कक्ष का निर्माण कई बार दिखा कर किया गया घोटाला, स्प्रेयर मशीन चौगुनी दर पर खरीदी का घोटाला, फायर सेफटी तिगुनी दर पर खरीदी का घोटाला,भाई को लेखापाल बनाने का घोटाला, भतीजी फर्जी अतिथि शिक्षक भरती का घोटाला, बहू की फर्जी पदोन्नति
का घोटाला, गाडियो के डीजल विलो का घोटाला। स्कूलों से बापस ली गई राशि एवं ब्याज राशि शासन के खाते मे न जमा कर हजम कर लेने का घोटाला आदि एवं अन्य अनेको प्रमाणित घोटालों की जांच होगी एवं इन में जमी धूल साफ करके इनकी पर्ने खुलेगी तो घोटाले स्वयं चीख-चीख कर अपनी कहानी बया करेगे। समझा जा सकता है कि घोटालों से बचने के लिए विधायक बनने का सपना देख रहे मुन्ना भइया का क्या अंजाम होगा..!!
शेष…….
लगातार अगले अंक में।