नवम्बर में मंडल अध्यक्षों का होगा चुनाव,30 नवम्बर तक मिल जायेगा नया जिलाध्यक्ष
परफॉर्मेंस के आधार पर होगी मंडल और जिलाध्यक्षों की नियुक्ति
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी ने अपने आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी के संगठन के अनुसार चुनाव को लेकर जो तारीखें सामने आ रही हैं, उसके अनुसार नवम्बर माह में पार्टी को मंडल अध्यक्ष मिल जाएंगे। तब तक पुराने अध्यक्ष ही कार्य करते रहेेंगे। संगठन चुनाव को लेकर पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि पदाधिकारियों की नियुक्ति में न दबाव चलेगा और न ही सिफारिश। मंडल अध्यक्ष हो या जिलाध्यक्ष उनकी नियुक्ति परफॉर्मेंस के आधार पर होगी। इसके लिए पहले रायशुमारी बनाई जाएगी, अगर जरूरत पड़ी तो लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराए जाएंगे।
गौरतलब है कि भाजपा हर तीन साल में अपने संगठन और अध्यक्ष में बदलाव करती है। यह बदलाव चुनाव या फिर रायशुमारी के आधार पर होते हैं और कहीं-कहीं सर्वसम्मति भी बन जाती है। फिलहाल चुनाव की जो तारीखें आई हैं, उसमें 1 नवम्बर से 15 नवम्बर तक मंडल अध्यक्षों का चुनाव होना है और इसके बाद 16 नवम्बर से 30 नवम्बर तक जिलाध्यक्षों के चुनाव भी करवा लिए जाएंगे। दिसम्बर माह में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी हो जाएगा और जनवरी में नया राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा को मिल जाएगा। हालांकि अभी इनकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। मप्र में भाजपा साढ़े चार साल बाद मंडल अध्यक्ष के चुनाव कराने जा रही है। पार्टी की तैयारी नवंबर में मंडल अध्यक्षों का चुनाव कराने की है। इसके बाद जिलाध्यक्षों का चुनाव होगा।
संगठन पर्व के साथ बूथ अध्यक्ष के चुनाव कराए जाएंगे। बूथ अध्यक्ष का चयन और मंडल प्रतिनिधि चुनने के बाद बूथ अध्यक्ष और मंडल प्रतिनिधि ही मंडल अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। इसके बाद जिलाध्यक्ष का चुनाव कराया जाएगा। पार्टी ने सभी 64,871 बूथों पर चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। मप्र भाजपा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल का कहना है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देशन में समयावधि तय होती है। उसी आधार पर सदस्यता, सक्रिय सदस्यता और फिर निर्वाचन की प्रक्रिया होती है। यह सब केंद्रीय नेतृत्व ही तय करता है।
पहले रायशुमारी से अध्यक्ष चुने जाने की मंशा है। सहमति न बनने पर ही लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराए जाएंगे। यह अवश्य ध्यान में रखा जाएगा कि किसी विधायक या मंत्री के दबाव में मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति न होने पाए। दरअसल, पहले कोरोना संक्रमण फिर, विधानसभा और लोकसभा चुनाव के चलते भाजपा संगठन के चुनाव पिछले साढ़े चार साल से नहीं हो पाए थे। लेकिन अब केंद्रीय नेतृत्व ने चुनाव कराने की समय सीमा तय कर दी है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं की परफार्मेंस भी मंडल और जिलाध्यक्ष के चयन का आधार होगी। संगठन पर्व के दौरान अधिक से अधिक सदस्य बनाने वालों नामों की अनुशंसा की जा सकती है।