दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर भारी पड़ रहे चुनाव: रोहित आर्य

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एक राष्ट्र एक चुनाव कार्यक्रम का हुआ आयोजन, देश की दशा पर हुई चर्चा

शहडोल। भारतवर्ष दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। जहां विविध जाति, धर्म और मतों के लोग निवास करते हैं। यही विविधता भारत की सबसे बड़ी विशेषता है, लोकतंत्र का मतलब ही जनता का शासन होता है। संविधान जनता ने बनाया है और अपने देश के लिए बनाया है। लेकिन आज हमारा लोकतंात्रिक स्वरूप बिगड़ रहा है। अब लोकतंत्र और राष्ट्रवाद को महत्व मिलने की बजाय चुनावों केा महत्व दिया जाने लगा है। इससे चुनावों में कालाधन और बाहुबल का हस्तक्षेप बढ़ गया है। पांच वर्ष की अवधि में देखा जाए तो चुनाव ही चलते रहते हैं, कभी किसी राज्य में तो कभी किसी राज्य में। यह विकृति राष्ट्र के भारी वित्त का क्षरण करती है और राष्ट्र के विकास में बाधक बन जाती है। इसके निवारण के लिए हमें जल्द ही ठोस उपाय तलाशना होगा।
इस आशय के उद्गार मानस भवन आडिटोरियम में बुधवार को आयोजित एक राष्ट्र एक चुनाव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस रोहित आर्य ने मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किए। उन्होने कहा कि पहले भारत में एक चुनाव प्रणाली ही थी लेकिन 1970 के बाद स्थितियां बदल गईं। कारण यह था कि चलती हुई सरकारों को भी गिराने का काम शुरू कर दिया गया था। जिससे असमय चुनाव होने लगे थे। इसका खामियाजा हम आज तक भोग रहे हैं। अब हालात बदलने चाहिए। इसका एक मात्र विकल्प एक राष्ट्र एक चुनाव की अवधारणा है, जिसे अपनाया जाना चाहिए। आज दुनियां के विकसित देश अमेरिका, स्वीडन, जर्मनी आदि इसी व्यवस्था का पालन कर रहे हैं।
मुख्य अतिथि रोहित आर्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि लगभग 4 लाख करोड़ रुपए हर साल चुनाव में खर्च हो जाते हैं। इतनी बड़ी राशि क्यों व्यय करनी पड़ती है यह विचारणीय मुद्दा है। एक राष्ट्र एक चुनाव से खर्च में बचत होगी, चुनावी सुरक्षा और प्रशासन पर व्यय कम होगा। संसाधनों का कुशलता से उपयोग किया जा सकेगा। सुरक्षा बलों और सरकारी मशीनरी का सही इस्तेमाल किया जा सकेगा। चुनावी भ्रष्टाचार में तेा कमी आएगी ही सरकारें बिना चुनावी बाधाओं के आर्थिक विक ास पर ध्यान दे सकेंगी। राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलेगा और पूरे देश में एक समान चुनाव प्रणाली संचालित होगी। खास बात यह भी है कि इससे जवाबदेही और पारदर्शिता में वृद्धि होगी।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए भाजपा जिला अध्यक्ष अमिता चपरा ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव वास्तव में लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत बनाने और विकास की गति को तेज करने के लिए एक राष्ट्र एक चुनाव की परिकल्पना की गई है और उसे क्रियान्वित करने के लिए जन जन की सहभागिता आवश्यक है। हर वर्ग, हर समूह, हर घर को जागरुक कर इस परिकल्पना और अभियान से जोड़ा जाएगा। भारतीय जनता पार्टी के शीर्षस्थ नेता सदैव इस विषय पर गंभीर रहे हैं। सबसे पहले अटल बिहारी जी ने और फिर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस प्रणाली पर खुल कर अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम के जिला संयोजक हर्षवर्धन सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि देश को मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने और बार बार होने वाले चुनावों पर व्यय होने वाले अपार धन पर अंकुश लगाने के लिए एक राष्ट्र एक चुनाव प्रणाली को लागू करना ही पड़ेगा। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में धन और संसाधन किस तरह उपयोग किए जा रहे हैं, पूरा देश केवल चुनावों की गणित में उलझा रहता है। अगर देश के धन और संसाधन को लोकोन्मुखी बनाना है और उसका लाभ उठाना है तो एक राष्ट्र एक चुनाव को अपनाना ही पड़ेगा।
पूर्व नगर पालिका धनपुरी के सीएमओ रविकरण त्रिपाठी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव को वास्तव में सामाजिक आंदोलन के रूप में देखा जाना चाहिए। यह राष्ट्रवाद और एक राष्ट्र की अवधारणा का मूल स्त्रोत है। इसी से इसके महत्व की जानकारी मिलती है। यह देश के संघीय ढांचे को मजबूत बनाने और सरकारों को स्थिर रखने वाला एक ठोस तथा कारगर उपाय साबित होगा। वर्तमान में लगभग सभी जाति, धर्म, व संगठनों तथा समूहों के लोग यही चाहते हैं। इस मुद्दे पर 47 राजनीतिक दलों में से 32 दलों ने अपनी सहमति जताई है। राष्ट्र के उत्तरोत्तर विकास और आर्थिक सुदृढ़ता के लिए एक राष्ट्र एक चुनाव ही मुफीद उपाय है। इस दौरान कार्यक्रम को विशिष्ट अतिथि जैतपुर विधायक जयसिंह मराबी और जयसिंहनगर विधायक मनीषा सिंह ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में सह संयोजक मनोज सिंह आर्मो ने मंच का संचालन किया।

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