परीक्षाएं सिर पर आ गईं,  ऐट ग्रेट अभ्यास पुस्तिका का पता नहीं

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वाषिज़्क परीक्षा की तैयारियों में पड़ रही बाधा, शिक्षक व बच्चे चिंतित

सरकारी स्कूलों का भरा कम होने की बजाय बढ़ता ही दिखाई पड़ता है। जिससे बच्चों का भविष्य सुरक्षित होने की बजाय दांव पर लगा रहता है। न तो समुचित रूप से पढ़ाई हो पाती है और न संसाधनों की व्यवस्था ठीक ढंग से होती है। अव्यवस्था के बीच बच्चे पढऩे को विवश रहते हैं। इन दिनों स्कूलों में अति आवश्यक अभ्यास पुस्तिका का संकट चल रहा है। शासन स्तर से कभी भी कोई वितरण समय पर नहीं होता है, बच्चों के मामले में भी यही सच है।

शहडोल। जिले की माध्यमिक शालाओं के लिए परीक्षा अभ्यास पुस्तिका ऐट ग्रेट अभी तक नहंी पहुंची है जबकि फरवरी का आधा माह लगभग बीत चुका है और शिक्षा सत्र समाप्ति की ओर है। जिले के छात्र और शिक्षक दोनो ही पशोपेश में हैं कि परीक्षा की तैयारी कैसे और किस आधार पर कराई जाए। इसके अलावा शिक्षकों की ड्यूटी भी विकास यात्राओं में लगा दी गई है। ऐसे समय में जबकि परीक्षाएं करीब आती जा रहीं हैं तैयारियों सघनता से होनी चाहिए तब सरकारी स्कूलों का यह हाल है। ऊपर से शिक्षकों पर अच्छा रिजल्ट लाने का दबाव भी रहता है। बच्चों की पढ़ाई और संसाधनों की हालत ऐसी बनी हुई है कि बच्चों को पढ़ाई में कोई खास मदद नहीं मिल पा रही है। शिक्षक आते हैं और किताब लेकर पढ़ाने लगते हैं कोसज़् तो पूरा हो रहा है पर तैयारी नहीं हो पा रही है।

क्या है ऐट ग्रेट पुस्तिका

शासन द्वारा बच्चों को परीक्षा की दृष्टि से पूरा पाठ्यक्रम तैयार कराने के लिए एक ऐट ग्रेेट नामक अभ्यास पुस्तिका उपलब्ध कराई जाती है। जिसमें प्रश्नो का प्रारूप और प्रश्नों के उत्तर की विधि बताई जाती है। उद्देश्य यह रहता है कि बच्चे स्वयं को उसी अनुरूप तैयार करें। परीक्षाओं में उसी से प्रश्न भी पूछे जाते हैं। यह पुस्तिका कक्षा 6 से 8 तक सभी बच्चों को वितरित की जाती है। पहले शिक्षक पुस्तक से पूरा पाठ्यक्रम पढ़ाएगा फिर पुस्तिका के अनुसार तैयारी कराएगा। लेकिन इस वर्ष यह पुस्तिका अभी तक नहीं आई है जबकि इसे सितंबर-अक्टूबर तक हर साल वितरित कर दिया जाता था। स्कूलों में इस पुस्तिका के बिना पढ़ाई ढंग से नहीं हो पा रही है।

कैसे होगी तैयारी पूर्ण?

चिंता यह है कि परीक्षा को कुल दो माह शेष हैं, अभी तक पुस्तिका उपलब्ध नहीं हुई है तो फिर परीक्षा के हिसाब से शुरू से लेकर अंत तक सारे पाठ्यक्रम के अनुरूप कैसे तैयार कराया जा सकेगा। अगर बाद में पुस्तिका उपलब्ध भी करा दी गई तो बच्चे केवल जरूरी प्रश्न पढ़ करके ही परीक्षा दे पाएंगे। जबकि उन्हे संपूर्ण पाठ्यक्रम का पुस्तक और ऐट ग्रेट दोनो से तैयार कराना चाहिए। इतने दिनों बाद तो शासन चाक और डस्टर का बजट भेजा है अब देखना यह है कि ऐट ग्रेट कब तक भेजी जाती है। शासन और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की हीलाहवाली से बच्चों की परेशानी बढ़ रही है। कम से कम बच्चों के भविष्य के मामले में तो गंभीरता बरती ही जानी चाहिए।

विकास यात्रा में शिक्षकों को भेजा

जानकारी मिली है कि विधायकों की विकास यात्रा संपन्न कराने शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी गई है। ज्यादातर हेडमास्टर विकास यात्राओं में लगे हुए हैं। कई स्कूलें ऐसी हैं जहां कमी के कारण हेडमास्टर को स्वंय कक्षाएं लेनी पड़ती हैं। इन स्कूलों की व्यवस्थाएं चौपट हो रहीं हैं। शिक्षक स्कूल और पढ़ाई का कार्य छोडक़र राजनीतिक गतिविधियों मे लगा दिए गए हैं। बताया गया कि इसके लिए विधिवत आदेश ही जारी किया गया था। शासन के लिए शायद बच्चों के भविष्य से ज्यादा राजनीतिक गतिविधियां अधिक महत्वपूर्ण हो चुकीं हैं। बच्चों को जो थोड़ी बहुत शिक्षा स्कूल में मिल रही थी उसमें भी पलीता लग गया है। इससे बच्चों के अभिभावक संतुष्ट नहीं हैं।

टाट पट्टी कब आएगी?

अधिकांश सरकारी स्कूलों की इतनी दुर्दशा है कि यहां बच्चों को बैठने के लिए टाट पट्टी तक नहीं है। बच्चे फटी पुरानी टाट पट्टियों में बैठकर पढ़ते हैं और मध्यान्ह भोजन के समय भी कई बच्चों को जमीन पर बैठकर भोजन करना पड़ता है। बताया गया कि संबंधित विभागों को कई बार अवगत कराया गया है लेकिन न तो कोई मार्ग दर्शन प्राप्त होता है, न टाट पट्टी वितरित की जा रही है। कुछ साल पहले इनका वितरण हुआ था लेकिन अब बंद कर दिया गया है। शासन की चुप्पी से संकट बढ़ता जा रहा है। पूर्व में बच्चे घर से बोरियां लाकर बैठते थे, फिर वही स्थिति निर्मित होने वाली है।

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