EXCLUSIVE VIDEO: ड्यूटी पर तैनात आरक्षक महेश पाठक को तेज रफ्तार दादू ट्रेवल्स की बस ने कुचला, लापरवाही नहीं—सिस्टम बना हत्यारा
(अनिल तिवारी)शहडोल।राजीव गांधी बस स्टैंड शहडोल में रविवार दोपहर हुए आरक्षक महेश पाठक की मौत के मामले में अब एक्सक्लूसिव लाइव वीडियो सामने आया है, जिसने पूरे घटनाक्रम को बेनकाब कर दिया है। वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि कोतवाली में पदस्थ 47 वर्षीय आरक्षक महेश पाठक पूरी मुस्तैदी के साथ अपने कार्यस्थल पर ड्यूटी कर रहे थे। वह बस स्टैंड पर खड़े होकर सीटी बजाते हुए वाहनों को दिशा दिखा रहे थे, यातायात को सुचारू रखने का प्रयास कर रहे थे और किसी भी तरह की लापरवाही उनके व्यवहार में कहीं नजर नहीं आ रही है। इसी दौरान दादू एंड ट्रेवल्स की बस तेज रफ्तार से बस स्टैंड के गेट नंबर-2, की ओर वाले प्रवेश द्वार से अंदर घुसी और सीधे-सीधे आरक्षक के ऊपर चढ़ गई। वीडियो में यह भी स्पष्ट है कि बस ने न तो गति कम की और न ही चालक ने कोई सावधानी बरती। कुछ ही पलों में एक ईमानदार आरक्षक की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई।
यह वीडियो अब उस सच्चाई की पुष्टि करता है, जिसे शुरू से कहा जा रहा था यह महज सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि लापरवाही, सिस्टम की उदासीनता और बेलगाम बस ऑपरेटरों की मनमानी का परिणाम है। इसी के साथ यह सवाल भी गूंजने लगा है कि आखिर दादू एंड ट्रेवल्स के हौसले इतने बुलंद कैसे हो गए कि दिनदहाड़े ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी को कुचल दिया गया।
रविवार दोपहर करीब 2 बजे हुए इस हादसे ने पूरे शहडोल जिले को झकझोर कर रख दिया। महेश पाठक अपने सौम्य स्वभाव, कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी के लिए जाने जाते थे। उनकी तैनाती कोतवाली में थी और उस दिन भी वह नियमित ड्यूटी पर थे। जैसे ही हादसे की खबर फैली, बस स्टैंड से लेकर कोतवाली परिसर तक मातम पसर गया। पुलिस विभाग के कई जवान अपने साथी को खोने के गम में फूट-फूटकर रोते नजर आए। वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति संभाली, लेकिन गुस्से और आक्रोश का माहौल लगातार बढ़ता चला गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, दादू एंड ट्रेवल्स की बस को चालक कपिल सिंह गोंड अत्यंत तेज गति से चला रहा था। बस स्टैंड जैसे संवेदनशील और भीड़भाड़ वाले इलाके में इतनी तेज रफ्तार अपने आप में एक बड़ा अपराध है। हादसे के बाद चालक बस मौके पर छोड़कर फरार हो गया, जिसे देर शाम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बस को जब्त कर बीएनएस की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है, लेकिन लोगों का कहना है कि यह कार्रवाई नाकाफी है और असली जिम्मेदार तो वे लोग हैं, जिन्होंने नियमों के बिना इस बस को सड़कों पर दौड़ने की खुली छूट दे रखी थी।
इस पूरे मामले की जड़ें 1 दिसंबर की कार्रवाई से जुड़ती हैं। उस दिन यातायात पुलिस ने दादू ट्रेवल्स की एक बस MP-17-P-1248 को पकड़ा था। जांच में स्पष्ट हुआ था कि बस के पास वैध फिटनेस ही नहीं थी। नियमों के अनुसार ऐसी बस को तत्काल जब्त कर संचालन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए था, लेकिन हुआ इसके उलट सिर्फ 5,000 रुपये का चालान काटकर बस को छोड़ दिया गया। सवाल यह है कि जब फिटनेस ही नहीं थी, तो उस बस का परमिट और बीमा भी स्वतः ही शून्य हो चुका था, फिर इसे दोबारा सड़क पर दौड़ने की अनुमति किसके आदेश से दी गई?
इसके बाद 6 दिसंबर की रात पुलिस अधीक्षक की सूचना पर यातायात पुलिस ने दादू ट्रेवल्स की एक और बस MP-18-P-1255 को रोका। जांच में सामने आया कि यह बस बिना किसी परमिट के चल रही थी, जबकि यह बस एक शैक्षणिक संस्था के नाम पर पंजीकृत थी। यही नहीं, मार्च 2025 में इसी बस को तत्कालीन परिवहन अधिकारी आशुतोष सिंह भदौरिया द्वारा जब्त कर करीब डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा चुका था। बाद में बस के मूल ढांचे से छेड़छाड़ कर उसे फिर से अवैध यात्री बस में तब्दील कर दिया गया और खुलेआम सड़कों पर उतार दिया गया।
जिले में चर्चा है कि दादू एंड ट्रेवल्स की आधी से ज्यादा बसें बिना परमिट, बिना फिटनेस और नियमों को ताक पर रखकर चल रही हैं। बस स्टैंड में अवैध कब्जा, तय रूट से हटकर संचालन, ओवर स्पीड और मनमानी—यह सब वर्षों से प्रशासन की आंखों के सामने चलता आ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक साल में शहडोल–रीवा मार्ग पर हुई 50 से 60 प्रतिशत दुर्घटनाओं में दादू ट्रेवल्स की बसें किसी न किसी रूप में शामिल रही हैं, लेकिन कार्रवाई हमेशा कागजों तक ही सीमित रही।
परिवहन विभाग की भूमिका भी इस पूरे मामले में कठघरे में है। हालत यह है कि लाइसेंस चपरासी बनवा रहा है, बाबुओं का काम गार्ड संभाल रहे हैं और असली सिस्टम दलालों के हाथ में चल रहा है। 1 और 6 दिसंबर की कार्रवाई की जानकारी परिवहन विभाग को पहले से थी, इसके बावजूद न कोई अधिकारी मौके पर पहुंचा और न ही किसी ने जवाबदेही ली। रविवार को एक आरक्षक की जान चली गई, लेकिन उसके बाद भी परिवहन विभाग की ओर से न कोई ठोस बयान आया, न कोई बड़ी कार्रवाई।
इधर, आरक्षक महेश पाठक का पार्थिव शरीर रीवा स्थित उनके पैतृक गांव ले जाया गया है, जहां गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। विभागीय स्तर पर शोक की लहर है, वहीं आम नागरिकों में आक्रोश व्याप्त है। हर कोई यह सवाल पूछ रहा है कि क्या इस मौत के बाद भी दादू ट्रेवल्स पर सिर्फ खानापूर्ति होगी? क्या जिम्मेदार अफसरों पर भी एफआईआर दर्ज होगी? या फिर एक और ईमानदार सिपाही की कुर्बानी फाइलों में दबा दी जाएगी?
एक्सक्लूसिव वीडियो ने यह तो साबित कर दिया है कि आरक्षक महेश पाठक दोषी नहीं थे, दोषी है वह सिस्टम, जिसने अवैध और बेलगाम बसों को सड़कों पर दौड़ने की छूट दे रखी है। अब देखना यह है कि इस वीडियो के सामने आने के बाद प्रशासन की आंखें खुलती हैं या नहीं।