प्रत्यक्षदर्शी की पुष्टि : पप्पू और गुड्डू के ही थे गुर्गे, कल ही बेचा था 5000 का कबाड़

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शहडोल। जिले के कोयलांचल क्षेत्र धनपुरी में कबाड़ चोरी करने बंद माइंस में घुसे 5 कबाड़ीयों में से चार के मौत की खबर के बाद पांचवें कबाड़ी चिद्दा उर्फ सिद्धार्थ महतो ने हाल ए हलचल से की गई एक्सक्लूसिव चर्चा में पूरा घटना का विवरण बताया, उसने यह भी बताया कि कल ही इसी माइन से कबाड़ निकाला गया था और उसे पप्पू कबाड़ी के पास बेचा गया था जिससे ₹5000 मिले थे और दिन भर सभी ने मिलकर जमकर दारू और मुर्गा छाना था, शाम होते-होते जब पैसे खत्म हो गए तो फिर हाथ में आरी और सब्बल लेकर उसी बंद माइंस की सुरंग में घुस गए और वही गैस के संपर्क में आने से उनकी मौत हो गई। चारों मृतकों के साथ कबाड़ चोरी करने गए सिद्धार्थ के इस बयान से इस बात की पुष्टि तो हो ही गई कि कोयलांचल में एक बार फिर पप्पू टोपी और उसके साथी कबाड़ का कारोबार कर रहे थे, इस बयान से इस बात को पुष्टि तो मिलती ही है कि धनपुरी में रत्नांबर शुक्ला के दोबारा थाना संभालने के बाद न सिर्फ पप्पू टोपी और अन्य गाड़ियों के साथ माफियाओं की वापसी हो गई बल्कि उन्होंने अपना काम भी शुरू कर दिया था, यही वजह थी कि यहां बड़े पैमाने पर युवा नशे और कबाड़ कारोबार की और हाथ बढ़ा रहे हैं बहरहाल इस मामले में आगे पुलिस क्या करती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन पुलिस और कबाड़ियों का गठबंधन आखिरकार बेरोजगारो की मौत का कारण बना।


खबर तो यह भी है कि इस पूरे गठबंधन में धनपुरी पुलिस एसडीओपी का भी संरक्षण खुले तौर पर मिला हुआ था एसडीओपी अभिनव मिश्रा के ऊपर पूर्व में भी आरोप लगे थे कि उनके द्वारा क्षेत्र के गाड़ियों को अपने कार्यालय में बुलाया जाता है और उनसे खुलकर सौदेबाजी होती है आखिर कब तक पुलिस और माफिया का खुला खेल चलता रहेगा और मासूम जिंदगी इस तरह दम तोड़ती रहेगी, एक तरफ एसपी कुमार प्रतीक और एडीजीपी जोन डीसी सागर नशा मुक्ति अभियान एवम माफिया के खात्मे के लिए प्रयासरत हैं वही एसडीओपी और थाना प्रभारी धनपुरी जैसे अधिकारी के पैसों खातिर इस तरह के कारोबार को न सिर्फ संरक्षण देते रहेंगे।

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