घर-घर विराजे गणपति, नित हो रही है पूजा

पंचक होने के कारण अनंत चतुर्दशी से पहले भी होगा प्रतिमाओं का विसर्जन
शहडोल। इन दिनों नगर और कोयलांचल में चहुओर गणेश जी की पूजा और आराधना हो रही है। भक्तों ने प्रथम पूज्य भगवान गणेश की प्रतिमा को अपने घरों में ही स्थापित कर पूजा अर्चना प्रारम्भ कर दी है। भक्तों ने भी धूमधाम से भगवान श्रीगणेश का अपने घरों में स्वागत किया। अब अपने भक्तों के घरों में 10 दिन तक विराजमान होकर श्रीगणेश उनके संकट हरेंगे और अनंत चतुर्दशी पर उनका विसर्जन किया जाएगा।10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव अभी 5 दिन और चलेंगे। हालांकि इस बार पंचक होने के कारण कई स्थानों में अनंत चतुर्दशी से पहले गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जायेगा।
इन मुहुर्तों पर होगी पूजा व विसर्जन
मोहन राम मंदिर के पुजारी पंडित लवकुश शास्त्री ने बताया कि भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी को श्री गणेश जत्मोत्सव मनाया जाता है। इस शुभ घड़ी में विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता भगवान गणेश घरों और मंदिरों में विराजमान हुए। इस दौरान श्रद्धालुओं ने पूरे उत्साह के साथ घरों और मंदिरों में उनका स्वागत किया। रोजाना सुबह आठ बजे और शाम सात बजे दैनिक पूजा अर्चना का आयोजन किया जा रहा है। इसके 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर गणेश महोत्सव मनाया जाएगा। इस दौरान भक्त श्रीगणेश की प्रतिमा का विसर्जन करेंगे। हालांकि श्रद्धालु अपनी सुविधा के अनुसार तीन, पांच या सात दिन में भी भगवान श्रीगणेश का विसर्जन कर सकते हैं।
गणेश चतुर्थी पर हैं शुभ योग
पंडित लवकुश शास्त्री ने बताया कि इस साल गणेश चतुर्थी पर कुछ शुभ योग भी बन रहे हैं, जो इस त्योहार को और भी ज्यादा खास बना रहे हैं। शुक्रवार को गणेश चतुर्थी के दिन, बुध और मंगल कन्या राशि में युति करेंगे, जबकि शुक्र और चंद्रमा की युति तुला राशि में होगी। तुला राशि शुक्र की अपनी राशि है, जबकि शुक्र और चंद्रमा को महिला प्रधान ग्रह माना जाता है। इसलिए इन दोनों की युति इस भाव में होने से महिलाओं के लिए यह गणेश चतुर्थी बहुत शुभ साबित होगी। सिंहपुर स्थित पंचमठा मंदिर में भी प्राचीन नृत्य करती गणेश प्रतिमा को भोग लगाते हुए प्रसाद अर्पित कर सुख-शांति की कामना की गई। लोगों ने मंदिर में पूजा-पाठ किया। श्री गणेश मंदिर के पुजारी का कहना है कि सुबह से ही भगवान श्रीगणेश को भोग लगाकर प्रसाद अर्पित करने वालों की लंबी लाइन लगी रहती है।
आस्था के केंद्र है जिले का गणेश मंदिर
कलेक्ट्रेट परिसर स्थित गणेश मंदिर में प्रतिमा कलचुरी काल में तत्कालीन राजाओं के द्वारा स्थापित कराई गई थी। किसी समय में यहाँ घने वन हुआ करते था। भयानक जंगल होने के कारण इस मंदिर के आसपास जंगली जीव जंतुओं का डेरा रहा करता था। जब शहडोल जिला अस्तित्व में आया उसके बाद से इस मंदिर के आसपास कुछ रौनक आने लगी। इस मंदिर के परतु आम जन की विशेष आस्था है जब कोई व्यक्ति कोई कार्य करने यहाँ आता है तो इस मंदिर में प्रणाम करने जरूर आता है। इसी प्रकार बाणगंगा स्थित गणेश मंदिर में श्री गणेश का मंदिर है। यहां स्थापित भगवान श्री गणेश की प्रतिमा को अत्यंत ही शुभकारी माना गया है। साथ ही जिला मुख्यालय से लगे ग्राम सिंहपुर में भगवान श्री गणेश की प्रतिमा है। जिसे कल्चुरी काल के समय का बताया जा रहा है। यह विशाल प्रतिमा कुछ वर्ष पूर्व मंदिर परिसर से चोरी भी हो गई थी। बुढ़ार चौक स्थित भगवान श्री गणेश का अति प्राचीन मंदिर भी नगर के लोगो के आस्था का केंद्र है।