आलोचना एवं व्यंग्य समाज के पथप्रदर्शक:- डॉ. तिवारी

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अनूपपुर। जिले के शासकीय अग्रणी तुलसी महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा हिंदी के दो मूर्धन्य विद्वानों के स्मरण हेतु एक विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया। 4 सितंबर को प्रख्यात समालोचक, चिंतक एवं पत्रकार नंद दुलारे बाजपेयी की जयंती एवं डॉ. धर्मवीर भारती के पुण्यतिथि के अवसर पर यह आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हिंदी विभाग के अध्यक्ष एवं ख्यातिलब्ध विद्वान डॉ. परमानन्द तिवारी ने कहा कि साहित्य समाज को राह दिखाता है। उन्होंने कहा कि व्यंग्य एवं आलोचना किसी भी सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था को जीवंत रखते हैं। यह व्यवस्था को अपने दायित्वों के निर्वहन के लिए प्रेरित के साथ विवश भी करता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ. विक्रम सिंह बघेल रहे।
इस गोष्ठी में बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित तुलसी महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. जे के सन्त ने कहा कि अच्छा साहित्य चरित्र निर्माण एवं राष्ट्र निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि आज के इलेक्ट्रॉनिक दौर में भी युवाओं को साहित्य में रुचि दिखानी चाहिए क्योंकि यह उनके चरित्र के साथ व्यक्तित्त्व विकास का माध्यम बनेगा। हिंदी विभाग के प्राध्यापक कृष्णचन्द्र सोनी ने नंददुलारे बाजपेई और धर्मवीर भारती के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. देवेंद्र सिंह बागरी, डॉ गीतेश्वरी पाण्डेय, डॉ. आकांक्षा राठौर, संगीता बासरानी, शाहबाज़ खान, डॉ. अमित भूषण, प्रीति वैश्य, पूनम धांडे, विनोद कुमार कोल, प्रियंका अग्रवाल और संतोष सोलंकी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन ज्ञान प्रकाश पाण्डेय ने किया और अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन एवं आभार प्रदर्शन डॉ. तरन्नुम सरवत ने किया

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