‘हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए, आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए’

नवागत अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक दिनेश चंद्र सागर ने सम्हाला जोन का पदभार
शहडोल। नवागत अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक दिनेश चंद्र सागर (भारतीय पुलिस सेवा) ने शहडोल जोन का पदभार बुधवार को संभाल लिया। पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने अपनी प्राथमिकताओं के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि आत्म निर्भरता, महिला अपराध को कम करना व सामाजिक स्तर पर निस्वार्थ पुलिस सेवा होगी। 1992 बैच के आईपीएस अफसर डी.सी. सागर मध्य प्रदेश के नक्सली इलाके बालाघाट रेंज के आई.जी. पद पर तैनात रहने के बाद अभी ए.डी.जी.पी. (टेक्निकल सर्विसेज) पुलिस मुख्यालय में पदस्थ थे।
सभी को मिलकर आगे आना होगा
प्रेस वार्ता में श्री सागर ने कहा कि अपराधों कि रोकथाम के लिए हम सभी को मिलकर आगे आना होगा । चाहे हम किसी भी डिपार्टमेंट में कार्य करते हो समाज के प्रति सभी कि जवाबदेही बनती है।यदि कही पर अपराध घटित होता है तो तत्काल पुलिस को सूचना दे। हम सड़क सुरक्षा सम्बन्धी नियमों के परिपालन के लिए भी सजग है न साथ ही जिले में फोरेंसिक अधिकारी कि नियुक्ति के लिए डीजी से बात की जाएगी। जिससे अपराधों में छानबीन करने में भी मदद मिल सकेगी।
सामान्य आहार से पाए अच्छा शरीर
उनका मानना है कि सिर्फ नैचुरल तरीके से एक्सरसाइज, रनिंग और सही डाइट लेने से गठीला शरीर और सही फिटनेस पा सकते हैं। उन्होंने बताया कि जिस इंसान को अपने शरीर से प्यार होता है वो अपने शरीर की केयर करता है। उनके अनुसार, परफेक्ट फिटनेस का मतलब सिर्फ बॉडी बनाना नहीं, बल्कि फिट रहना है। अपने डेली रूटीन में जॉगिंग और एक्सरसाइज करते हैं, साथ ही साथ एक सही डाइट भी फॉलो करते हैं। नवागत ए.डी.जी. फास्ट फूड से हमेशा दूर रहते हैं और नैचुरल खाद्य और पेय पदार्थ जैसे- दूध, दही, पनीर, चने के आटे की रोटी, दाल और ग्रीन सलाद ही लेते हैं। उनका मानना है कि 80 प्रतिशत सही/प्रोटीन युक्त डाइट और 20 प्रतिशत एक्सरसाइज से सही फिटनेस पाई जा सकती है। उनके अनुसार एक्सरसाइज के बाद हल्दी वाला दूध पीना चाहिए और सुबह उठकर फल, पनीर, बादाम और अंकुरित दाल खाना चाहिए।
साइकिल पर ज्यादा जोर
उन्होंने बताया कि साइकिल के यूज से फिटनेस भी बनती है। इसलिए वे अभी भी वीक में कई बार साइकिल का यूज करते हैं। उन्होंने बताया कि वह नक्सली एरिया में भी जान खतरे में डालकर साइकिल से गश्त करते थे। उनका मानना है कि जिंदगी एक बार मिलती है, तो ड्यूटी मन लगाकर करनी चाहिए।सागर का मानना है कि साइकिल से गश्त करने से पुलिस वाले बीट में ज्यादा समय बिता सकते हैं, पतली गलियों में आसानी से गश्त कर सकते हैं। इसके साथ ही क्रिमिनल्स को गाड़ी की आवाज सुनकर भागने का मौका नहीं मिलता।
ग्रामीण बच्चों को शिक्षा के लिए करते हैं प्रेरित
उन्होंने बताया कि जब बालाघाट नक्सल इलाके में पोस्टेड थे, उस समय कम्यूनिटी पुलिसिंग के जरिए उनका स्टाफ जनता से बात करके उनका विश्वास जीतता था। जब वे चंबल और बालाघाट में पोस्टेड थे, तब वे हमेशा गांव के लोगों से जाकर मिलते थे और उन्हें गवर्नमेंट स्कीम और उनके फायदे के बारे में जानकारी देते थे। नवागत एडीजी सागर का मानना है कि यदि लोग अपने रास्ते से भटकेंगे नहीं तो वे उनकी मदद से नक्सलवाद को कई हद तक खत्म कर सकेंगे।
काम आई कानून की पढ़ाई
नवागत एडीजी श्री सागर का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुआ था। उनके पिता लखनऊ आर्मी में थे और मां हाऊस वाइफ थीं। नवागत एडीजी सागर की स्कूलिंग तमिलनाडु, दिल्ली और जम्मू में हुई। दिल्ली के हंसराज कॉलेज से हिस्ट्री ऑनर्स के बाद उन्होंने एलएल.बी. की भी पढ़ाई की। एलएल.बी करने का उद्देश्य ये था, कि वे पुलिसिंग में इसका सही तरह से प्रयोग कर सकें और समझ सकें कि किस तरह लॉ का यूज किया जा सकता है। इसके बाद वे 1992 बैच में आईपीएस बने और मसूरी में ट्रेनिंग करने के बाद पहली पोस्टिंग बतौर एसडीओपी नीमच में ज्वाइन की।
बच्चों को पढ़ाई के लिए करें प्रेरित
श्री सागर ने बताया कि जब बालाघाट नक्सल इलाके में पोस्टेड थे, उस समय कम्युनिटी पुलिसिंग के जरिए उनका स्टाफ जनता से बात करके उनका विश्वास जीतता था।वे जब चंबल और बालाघाट में पोस्टेड थे, तब वे हमेशा गांव के लोगों से जाकर मिलते थे और उन्हें गवर्नमेंट स्कीम और उनके फायदे के बारे में जानकारी देते थे। उनका ज्यादा ध्यान बच्चों की पढ़ाई के पर होता था, जिससे वहां के लोग अपने बच्चों को स्कूल जाने से न रोकें और उनका मानसिक विकास हो सके। श्री सागर आज भी अपने स्टाफ के साथ बच्चों के विकास के लिए बात करते हैं, और उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित भी करते हैं।