सत्यापन के आभाव में पंचायत में फर्जी बिलों का अंबार

मुखिया को अंधेरे में रखकर खुलेआम फर्जीवाड़ा
वेण्डर बिलों में हेरफेर कर हजम कर गये लाखों का टैक्स
बगैर जीएसटी पंचायत में लग रहे दर्जनों बिल
उमरिया। जिले की मानपुर जनपद की पंचायतों में हो रहे निर्माण कार्यों के लिए मटेरियल सप्लाई करने वाली फर्में जीएसटी चोरी करने के लिए बोगस बिल का उपयोग कर रही हैं। इनमें जीएसटी का कॉलम तो होता है, लेकिन उसमें भरा कुछ नहीं जा रहा, पूछने पर कहा जाता है कि राउंडफिगर बिल दिया है। पंचायतें भी बिना पड़ताल किए बिल पास कर देती हैं। हाल ही में अलोपा ट्रेडर्स ग्राम पठारी (घघड़ार) नामक फर्म के संचालक ने कोदार, रोहनिया, परासी आदि पंचायतों में लाखों रुपए के फर्जी बिल लगाए, ये रेत, गिट्टी, सरिया, सीमेंट आदि के थे। बिलों की पड़ताल में सामने आया कि सीमेंट पर 28 प्रतिशत, सरिये में 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है, लेकिन उक्त फर्म के संचालक ने बिलों में जीएसटी का कहीं उल्लेख ही नहीं किया है।
ऐसे करते हैं खेल
मानपुर जनपद की कुछ पंचायतों में बिल तो बिना जीएसटी के दिए जा रहे हैं, जीएसटी चोरी करने का नया खेल पंचायत में खेला जा रहा है, पंचायतों में अलोपा नामक फर्म द्वारा रोहनिया पंचायत में 26 सितम्बर 2018 को 2 लाख 20 हजार रूपये की सीमेंट और अन्य सामग्री खरीदी गई थी, जिसमें 400 बोरी सीमेंट 280 के भाव से 1 लाख 12 हजार की सीमेंट खरीदी की गई थी, इसमें जीएसटी शो ही नही की गई, सिर्फ राउंड फिगर का बिल पंचायत को दिया। इसी बिल में 28 प्रतिशत जीएसटी 31 हजार 360 रूपये बनती है, जो शासन को मिलने के बजाय संबंधित फर्म की जेब में चली गई।
बोगस बिल का सकते हैं सामने
अगर अन्य बिलों के आंकड़े देखें तो जीएसटी चोरी लाखों में जा सकती है। अभी सीमेंट पर 28 प्रतिशत, सरिये पर 18 प्रतिशत, गिट्टी व रेत पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगता है। इधर अलोपा ट्रेडर्स की फर्म ने दर्जनों बिल अन्य ग्राम पंचायतों में लगाए गये हैं, जिसकी अनुमानित राशि करीब लाखों रुपए है। मजे की बात तो यह है कि उक्त फर्म द्वारा जो जीएसटी नंबर बिल में अंकित किया गया है, वह भी संभवत: फर्जी हैं, अगर उक्त फर्म सहित पंचायत के जिम्मेदारों द्वारा किये गये कार्याे की जांच की जाये तो, कोदार, रोहनिया, परासी सहित अन्य पंचायतों में लगे कई बोगस बिल सामने आ सकते हैं।
वसूली के हैं प्रावधान
जानकारों की माने तो जो बिल अधूरे होते हैं और जिनमें जीएसटी नंबर, टैक्स की राशि का उल्लेख नहीं होता है, वह फर्जी माने जाते हैं। वैध बिलों में सबकुछ दर्ज होता है। कितना माल बेचा, कितना टैक्स कटा आदि। अगर फर्में ऐसे बिल उपयोग कर रही हैं तो जीएसटी एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है। इसमें जितनी राशि टैक्स की बनती वह पूरी उनसे वसूले जाने का प्रावधान है, लेकिन जिले सहित संभाग में बैठे जिम्मेदार कमीशन के फेर में उक्त फर्म सहित पंचायतों में लग रहे फर्जी बिलों को बढ़ावा दे रहे हैं।
जमकर शासकीय राशि का होली
जनपद पंचायत मानपुर की ग्राम पंचायत कोदार, रोहनिया, परासी पंचायत में कैसे पंचायत राशि को हड़प किया जाये, इसके लिए सचिव, सरपंच सहित रोजगार सहायक ने अलोपा ट्रेडर्स से मिली भगत कर जमकर शासकीय राशि की होली खेली है, सूत्रों की माने तो इसके लिए कथित फर्म संचालक द्वारा बंद जीएसटी बिलों में उल्लेखित कर पंचायतों से सामग्री के नाम पर राशि आहरित की गई, पंचायत कर्मियों ने निर्माण अपने अनुसार कराया और उसका भुगतान भी अपने अनुसार कर लिया। वहीं जनपद सहित जिले में बैठे जिम्मेदारों ने आंख बंद कर भ्रष्टाचार को खुली छूट दे, अपनी रोटी भी सेंक ली।
इनका कहना है…
वेण्डर की आईडी जिला पंचायत में बनती है, बिल पंचायत सचिव द्वारा फीड कर दिया जाता है, हम यह जांच नहीं करते कि किसकी जीएसटी बंद हो चुकी है, यह जांच संबंधित विभाग को करनी चाहिए, लेकिन अगर उक्त फर्म द्वारा गलत किया गया है तो, रिकवरी के साथ ही नोटिस की भी कार्यवाही की जायेगी।
वीरेन्द्र सिंह
लेखाधिकारी
जनपद पंचायत मानपुर
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उक्त फर्म हो या अन्य कोई फर्म मेरे पास बिल जरूर आते हैं, लेकिन जांच की जिम्मेदारी मेरी नहीं है, मूल्याकंन के आधार पर बिल पास किये जाते हैं, उक्त फर्म का कार्य मुझे पसंद नहीं है, बंद जीएसटी के संबंध में आपको लेखाधिकारी वीरेन्द्र सिंह से बात करनी चाहिए।
सुमित समुद्रे
उपयंत्री
जनपद पंचायत मानपुर