नहीं बजी ढोल-ताशे की धुन, बल्कि गूँजी मानवता और सेवा की पुकार,रक्तदान, सेवा और समर्पण से सजा जन्मदिन संवेदना की मिसाल बने विधायक संजय पाठक
 
                नहीं बजी ढोल-ताशे की धुन, बल्कि गूँजी मानवता और सेवा की पुकार,रक्तदान, सेवा और समर्पण से सजा जन्मदिन संवेदना की मिसाल बने विधायक संजय पाठक
कटनी।। राजनीति के शोर में जहाँ अक्सर उत्सव, स्वागत और शोभायात्राएँ सुर्खियाँ बनती हैं, वहीं विजयराघवगढ़ के लोकप्रिय विधायक संजय सतेंद्र पाठक ने अपने जन्मदिन को एक मौन संदेश में बदल दिया सेवा ही सच्चा उत्सव है। कैमोर में भाजपा पदाधिकारी स्व. नीलू रजक की नृशंस हत्या से व्यथित विधायक पाठक ने जन्मदिन की पूर्व संध्या पर ही जनता से अपील की थी कि वे किसी भी प्रकार के उपहार, माला, या केक के बजाय नीलू रजक के परिवार की मदद करें। और सचमुच, अगले ही दिन यह अपील आंदोलन बन गई विधायक निवास पर पहुंचे शुभचिंतकों ने अपने प्रेम और सम्मान को फूलों से नहीं, बल्कि सहयोग राशि के अर्पण से व्यक्त किया।
रक्तदान से लेकर स्वास्थ्य शिविर तक सादगी में उमड़ा जनसैलाब
निर्मल सत्य गार्डन में विधायक संजय पाठक के मार्गदर्शन में विशाल रक्तदान शिविर आयोजित हुआ, जहाँ सैकड़ों युवाओं ने अपने रक्त से जीवनदान दिया। साथ ही शेल्बी अस्पताल के सहयोग से लगे स्वास्थ्य परीक्षण शिविर और सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय चित्रकूट द्वारा संचालित नेत्र परीक्षण शिविर में हजारों लोगों ने भाग लिया। मंच पर न कोई तामझाम, न स्वागत की पंक्तियाँ, बस एक संकल्प सेवा किसी के जीवन को बचाने में काम आए, यही सबसे बड़ा उपहार है।
संवेदना की सरिता मे नीलू रजक परिवार के लिए समाज का हाथ बढ़ा
श्री पाठक ने कहा,हम नीलू को लौटा नहीं सकते, लेकिन उसके परिवार को किसी कमी का सामना न करना पड़े, इसके लिए हम सब एकजुट हैं। दिनभर शिविरों में सहयोग का क्रम चलता रहा। युवा, महिलाएँ, व्यापारी हर वर्ग इस सेवा अभियान से जुड़ता चला गया। कटनी की धरती ने देखा कि कैसे एक जनप्रतिनिधि अपने उत्सव को जनभावना और मानवता के महोत्सव में बदल सकता है।
राजनीति से परे, मानवता के करीब शाम ढलने तक विधायक का यह सादगीपूर्ण जन्मदिन चर्चा का केंद्र बन चुका था। जनता कह रही थी यह जन्मदिन नहीं, सेवा और समर्पण का पर्व था। वास्तव में, संजय पाठक ने यह दिखा दिया कि राजनीति केवल सत्ता का माध्यम नहीं, बल्कि संवेदना की सबसे सशक्त आवाज भी हो सकती है। आने वाली पीढ़ियों के लिए एक संदेश है कि सच्चा नेता वही है जो अपने सुख को समाज के दुख से जोड़ सके।
 
                                             
                                             
                                             
                                        