कही झिझरी जेल में तों नहीं लिखी जा रही ‘गैंग एलायंस’ की स्क्रिप्ट? कटनी को डर की ओर ले जाती एक खामोश साजिश एक के बाद एक अपराध,गैंग के गुर्गे एक-एक कर पहुंचे जेल , शहर में बढ़ता खौफ क्या आने वाला है बड़ा धमाका? कही झिझरी जेल में ‘अपराध सिंडिकेट’ का हेडक्वार्टर तों नहीं?”

0

कही झिझरी जेल में तों नहीं लिखी जा रही ‘गैंग एलायंस’ की स्क्रिप्ट? कटनी को डर की ओर ले जाती एक खामोश साजिश एक के बाद एक अपराध,गैंग के गुर्गे एक-एक कर पहुंचे जेल , शहर में बढ़ता खौफ क्या आने वाला है बड़ा धमाका? कही झिझरी जेल में ‘अपराध सिंडिकेट’ का हेडक्वार्टर तों नहीं?”
कटनी शहर में हाल ही में जिस तेजी से आपराधिक वारदातें सामने आ रही हैं, वह अब किसी साधारण बढ़ती अपराध दर का हिस्सा नहीं लगतीं। हर वारदात के पीछे एक जैसी शैली, एक जैसा नेटवर्क और एक ही गैंग के गुर्गे यह सब इशारा करता है कि कोई गहरी, सुनियोजित और खामोशी से रची गई साजिश चल रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि जिन बदमाशों को पुलिस ने पकड़कर जेल भेजा, वे सभी झिझरी जेल में बंद हैं और वहीं पहले से तीन अन्य हत्या के मामले मे अपराधी पहले से कैद हैं। क्या यह महज़ इत्तेफाक है या कोई गहरी रणनीति? क्या झिझरी जेल, अब अपराधियों के लिए साजिश का नया अड्डा बन चुकी है?
कटनी।। शहर में लगातार सामने आ रही आपराधिक वारदातें अब एक सामान्य घटनाक्रम नहीं लग रही हैं। पिछले कुछ महीनों में जिस तरह एक ही गैंग से जुड़े अपराधियों की संलिप्तता उजागर हो रही है, और अब उनमें से कई झिझरी जेल तक पहुंच चुके हैं, इससे यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या यह कोई पूर्व-नियोजित आपराधिक षड्यंत्र है?
स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब यह तथ्य सामने आता है कि इसी जेल में पहले से ही एक अन्य खतरनाक गैंग के सदस्य पहले से बंद हैं। क्या जेल के भीतर ही कोई “गैंग गठबंधन” की पटकथा लिखी जा रही है? क्या जेल अब सुधारगृह नहीं, बल्कि अपराध के नेटवर्क का ‘कमांड सेंटर’ बनती जा रही है? क्या जेल के भीतर दो गैंगों के बीच कोई खतरनाक गठबंधन तैयार हो रहा है? क्या झिझरी जेल अपराधियों के लिए ‘प्लानिंग हब’ बन चुकी है?

शहर में एक के बाद एक वारदात
शहर में चाकूबाजी, बमबाजी,क्रिकेट सट्टा, अवैध वसूली, और धमकाने जैसी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। और इन घटनाओं में शामिल चेहरों को जब पुलिस गिरफ्तार करती है, तो उनमें से अधिकतर आपस में किसी न किसी गैंग से जुड़े पाए जाते हैं। पुलिस लगातार आरोपियों की गिरफ्तारी कर रही है, लेकिन वारदातों की श्रृंखला रुकने का नाम नहीं ले रही। घटनाओं का पैटर्न बताता है कि यह सिर्फ इत्तेफाक नहीं, बल्कि कोई गहरी साजिश हो सकती है।

गैंग वॉर या ‘गैंग ज्वाइंट वेंचर’?
पहले यह माना जा रहा था कि यह गैंग आपस में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, लेकिन अब परिस्थितियां कुछ और इशारा कर रही हैं — क्या ये गैंग जेल में रहकर आपस में कोई रणनीतिक समझौता कर रहे हैं?

प्रशासन और पुलिस को रहना होगा सतर्क
यह समय है जब जिला प्रशासन को जेल प्रबंधन पर विशेष निगरानी रखनी होगी। जेल के अंदरूनी संवाद, आगंतुकों की आवाजाही, मोबाइल या अन्य संचार माध्यमों पर कड़ी नजर जरूरी हो गई है। पुलिस को भी सिर्फ वारदात के बाद नहीं, बल्कि पूर्व-सक्रिय खुफिया तंत्र को मजबूत कर संभावित षड्यंत्रों को समय रहते भांपना होगा।

शहरवासियों को भी चाहिए सतर्कता
शहर के लोगों को भी अब केवल तमाशबीन नहीं, बल्कि जागरूक नागरिक की भूमिका में आना होगा। अगर कोई संदिग्ध गतिविधि या व्यक्ति नजर आता है, तो तुरंत पुलिस को सूचना दें। सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों से दूर रहें, लेकिन सतर्क रहें और अपने आसपास के हालात पर नजर रखें।

क्या झिझरी जेल अब सिर्फ एक जेल नहीं, बल्कि ‘गैंग ऑपरेशन सेंटर’ बनता जा रहा है? यह सवाल अब सिर्फ पत्रकारिता नहीं, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा बन चुका है। प्रशासन, पुलिस और जनता तीनों को अब एक साथ कदम बढ़ाने की जरूरत है, वरना अपराधियों की पटकथा कटनी के शांत वातावरण को निगल सकती है। जेल की सुरक्षा, निगरानी और संचार व्यवस्था पर सख्त नियंत्रण जरूरी हो गया है। पुलिस को भी खुफिया नेटवर्क मजबूत कर संभावित गैंग षड्यंत्रों को समय रहते भांपना होगा। अब वक्त आ गया है कि जिला प्रशासन और पुलिस को जेल के भीतर और बाहर की कड़ी निगरानी के साथ कार्रवाई करनी होगी। केवल गिरफ्तारी से बात नहीं बनेगी, अब सिस्टम के भीतर पल रहे नेटवर्क को तोड़ना होगा। साथ ही शहर के नागरिकों को भी अब जागरूकता और सतर्कता के साथ अपनी भूमिका निभानी होगी। क्योंकि अगर जेलें ही अपराध की प्रयोगशाला बन जाएं, तो शहर में कानून की सांसें धीमी पड़ जाती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed