शहडोल। जिले की ट्रांसपोर्ट नगरी के नाम से पहचान बन चुके बुढार शहर और इसके आसपास के ग्रामीण इलाके इन दिनों माफियाओं की पहली पसंद बने हुए हैं हालात यह है कि बड़े-बड़े सेठ – साहूकार और पुराने जमीदार इस काम में उतर आए हैं भले ही नाम से छोटे हैं लेकिन कद में लंबे और जमीन दलाली में अब हाईवे को भी लगातार नाप रहे हैं वहीं कद में छोटे लेकिन लक्ष्मी के पीछे दौड़ते दौड़ते खुद लक्ष्मी बन चुके तथाकथित जमीन के दलाल स्थानीय तहसील से लेकर अमलाई चौक और हाईवे में खुद को किसी राजस्व निरीक्षक और पटवारी से काम नहीं आंकते। यही नहीं मामला चाहे थाने का हो या फिर तहसील हर मामले को डॉ बंगाली की तरह शर्तिया इलाज से हल करने का दावा करने वाले लक्ष्मी पुत्र बन चुके कथित बैटरी मास्टर को अब शायद पुरानी बैटरियों की भी कोई फिक्र नहीं है हालत यह है कि आसपास भू-माफियाओं का इतना बड़ा सिंडिकेट बन चुका है की हर मामले में उनका हस्तक्षेप और दखल और उसके बाद उनकी कमीशन यदि उन तक नहीं पहुंचती तो पटवारी या राजस्व निरीक्षक या फिर रजिस्टर से लेकर भू अभिलेखागार तक फैली अपनी पहुंच का फायदा उठाते हुए मामले को लटका देते हैं दर्जन भर स्थान में कृषि भूमि को काट काट कर दुकान और व्यावसायिक परिसर बनाकर बेंच दिए गए ना तो कहीं कॉलोनाइजर का रजिस्ट्रेशन कराया गया और नहीं लेनदेन पक्के में किया गया, अब अमलाई चौक बुढार से हाईवे की ओर जाने वाले मार्ग में उनके कई ठीहे बन चुके हैं, जहां सुबह से लेकर देर रात तक रात में टेप लिए ….पहले बैठकें होती है और उसके बाद जमीन की नपाई में लग जाते हैं।