पर्दे की ओट से खेल रहे मकान मालिकों की भी गर्दन नापें

सरेआम सडक़ चौराहों में पनप रही आपराधिक गतिविधियां
आशीष कचरे 9406677672
शहडोल। नगरीय क्षेत्रों के भीड़ भरे स्थानो में सरेआम अवैध कारस्तानियां संचालित हो रहीं हैं, सडक़ों के किनारे
अपराध पनप रहे हैं लेकिन पुलिस और प्रशासन की कार्रवाइयां एक अर्से तक शून्यप्राय रहतीं हैं। कार्रवाइयां होती भी
हैं तो तब जब अपराध कइयों को अपनी चपेट में ले चुका होता है। अपराधों का जाल तेजी से फैल जाता है और समाज
का बड़ा नुकसान करता है। मुख्यालय शहडोल के पाण्डवनगर पॉश एरिया मेें मेनरोड पर एक अर्से से थाई स्पा सेंटर के
नाम पर वेश्यालय चलाया जा रहा था, लेकिन पुलिस को भनक काफी दिन बाद लगी। इसी तरह बुढ़ार के छाबड़ा सिटी
मार्ट और अनुराग कांप्लेक्स में भी स्पा सेंटर की आड़ में वेश्यावृत्ति संचालित थी। लेकिन किसी को भनक नहीं थी।
ज्ञातव्य है कि यह सब किराए के मकानों में संचालित था।
मकान मालिकों की भूमिका
बताया गया कि शहरों के स्पा सेंटरों में जो वेश्यालय पकड़े गए वे सब मकान मालिकों की सहमति से चल रहे थे।
मकान मालिक ने अपने मकान का बढ़ा चढ़ा कर किराया बताया, देने वाले ने जरा भी नहीं सोचा और किराया देना
मंजूर कर लिया। मकान मालिक को जमकर धन मिलने लगा उसे यह मतलब नहीं रह गया कि उसके मकान में गांजा
बिक रहा है या वेश्यावृत्ति हो रही है। पैसे के भूखे इन मकान मालिकों का चरित्र कुछ नहीं रह गया है। स्वंय भी
गैरकानूनी कृत्य अंजाम देकर प्रापर्टी खड़ी की। जिनके पास नैतिकता होती है वह किराएदारों से पूछताछ करता है
और नियमों का पालन करता है। लंबा किराया देने वालों की पूरी छानबीन करने और जरूरी दस्तावेज जमा कराने के
बाद ही किराए पर आवास देना चाहिए साथ ही पुलिस को भी उनकी सूचना देनी चाहिए।
मजबूत नहीं मुखबिर तंत्र
पुलिस का मुखबिर तंत्र अभी थोड़ा सुस्त है, जानकारी तो मिलती है लेकिन काफी विलंब से। अगर मुखबिर तंत्र में पूरी
कसावट होती और उसका भरपूर फैलाव होता तो शायद यही धरपकड़ काफी पहले हो चुकी होती। अन्य अपराधों के
मामलों में भी यही हो रहा है। पुलिस का मुखबिरतंत्र जितना व्यापक और कसावदार होगा उतना जल्दी अपराध पकड़े
जा सकते हैं। एक बात और कभी कभी कुछ मामलों में पुलिस की भूमिका स्वंय भी संदिग्ध होती है। पुलिस भी मिली
होती है और अपना कमीशन लेती रहती है। जब पुलिस का मिजाज किसी कारण बिगड़ जाता है तब संबंधितजन को
सबक सिखाने के लिए कार्रवाई कर दी जाती है।
सूची तैयार कर पतासाजी हो
नगरीय क्षेत्रों में पनपने वाले ऐसे सेंटरों की सूची तैयार की जानी चाहिए और उसके बाद उनमें दबिश डालकर पता
किया जाना चाहिए कि कौन कहां क्या कर रहा है। अगर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी इतनी कार्रवाई भी शुरू कर
दें तो भी इतने खुले तौर पर आपराधिक गतिविधियां संचालित करने का दुस्साहस कर पाना कठिन होगा। लेकिन
कानून व्यवस्था की चौकसी चूंकि कमजोर है इसलिए सारे खेल मजे से चल रहे हैं। संस्थाएं जब भी अवैध
कारस्तानियों के लिए पकड़ी जाएं मकान मालिकों को जरूर शिकंजे में लिया जाना चाहिए।