मीनू का पता नहीं, गुणवत्ता पर उठने लगे सवाल, सो रहे जिम्मेदार

0

धनलोलुपता ने मध्यान्ह भोजन व्यवस्था की चौपट

इंट्रो-शासन ने बच्चों को पोषक व रुचिपूर्ण भोजन के साथ मध्यान्ह भोजन की योजना संचालित की है लेकिन जिले का निकम्मा सरकारी अमला अपना उल्लू सीधा करने इसमें पलीता लगा रहा है। कहीं तो बेस्वाद खिचड़ी बट रही है और कहीं वह भी नहीं मिल रही है। बच्चे सब्जी, हलवा का तो स्वाद ही नहीं जानते, अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं।

शहडोल। नन्हे बच्चों को सरकारी स्कूलों की ओर आकर्षित करने सरकार ने मध्यान्ह भोजन की एक उत्तम योजना संचालित की थी। इसके लिए गुणवत्ता निर्धारित की थी और वेरायटी के लिए मीनू लागू किया था। लेकिन अफसरशाही की धनलोलुपता ने इस व्यवस्था को चौपट करके रख दिया है। ग्रामीण अंचलों की तो बात छोड़ें यहां मुख्यालय के अंदर संचालित प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं का हाल बेहाल है यहां की अधिकांश स्कूलों में प्रति दिन केवल खिचड़ी परोस दी जाती है। बच्चों को उसी से संतोष करना पड़ता है। निगरानी  के लिए अफसरों की फौज है लेकिन उसे बच्चों के पेट से अधिक अपने पेट की फिक्र रहती है। जिले के दूरस्थ अंचलों में संचालित स्कूलें आज भी बदहाली का शिकार हैं। इन स्कूलों मेें शासन की कोई भी योजना सुचारू रूप से संचालित नहीं हो पा रही है। स्कूलों की पढ़ाई लिखाई भी बाधित रहती है। मध्यान्ह भोजन जैसी योजना का सफलता से क्रियान्वयन नहीं हो पाता है।ग्रामीण अंचलों में भारी अव्यवस्था जिले के जयसिंहनगर, गोहपारू, बुढ़ार आदि ट्रायबल के जनपद अंतर्गत कई स्कूलों की जानकारी मिली है जो दुर्दशाग्रस्त हैं। यहां बच्चे मध्यान्ह भोजन के लिए सिसक रहे हैं। स्व सहायता समूह शासन से भुगतान तो उठाते हैं लेकिन बच्चों को खाना नहीं देतेे। इन स्कूलो में कभी अधिकारी भ्रमण करने नहीं आते हैं। बरकोड़ा, मितौरा, महरोई, मूरगा, मिठौरी, सेमरा, करकी आदि गावों  की स्कूलों का हाल देखा जा सकता है। इन जनपदों की दर्जनोंं स्कूल ऐसी हैं जहां मध्यान्ह भोजन वितरण में शिकायतें हैं।दबंगो के स्वसहायता समूह बताया गया कि अधिकांश स्वसहायता समूह प्रभावशाली और दबंगों की छत्रछाया में चल रहे हैं। दबंग ही उनसे लाभ उठाते हैं। शहडोल मुख्यालय की कई स्कूलों में एक प्रभावशाली भाजपा नेत्री का स्वसहायता समूह चलता है। जो ज्यादातर बच्चों को खिचड़ी परोसता है। बरकोड़ा माध्यमिक शाला में पिछले 10 वर्षों से ताप्ती नामक जो स्व सहायता समूह मध्यान्ह भोजन देने के लिए अधिकृत है उस पर किसी भाजपा नेता का वरदहस्त है। इस स्व सहायता समूह द्वारा बच्चों को मध्यान्ह  भोजन नहंी दिया जा रहा है। कक्षा 6 से 8 तक संचालित इस विद्यालय में लगभग 2 सौ बच्चे पढ़ते हैं। यहां के बच्चे मध्यान्ह भोजन का स्वाद भी नहंी जानते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल में बच्चों के भोजन के लिए पर्याप्त थाली बर्तन तक नहीं हैं। अन्य अंचलों में भी यही हाल है।

मध्यान्ह भोजन की कोई व्यवस्था नहंींगोहपारू जनपद में मितौरा, महरोई, मूरगा आदि कई गांव ऐसे हैं जहां प्राथमिक पाठशालाएं संचालित हैं। लेकिन वहां बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है। इन गांवों में त्रिवेणी स्व सहायता समूह को भोजन वितरण की जिम्मेदारी दी गई है। लेेकिन यह समूह भी कभी बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था नहीं करता है। इस स्व सहायता समूह का भी रवैया वही है भोजन के नाम पर भुगतान तो आहरित किया जाता है लेकिन भोजन की व्यवस्था  नहीं की जाती है।फर्जी रिपोर्ट देकर गुमराह कर रहेपाठशालाओं का भ्रमण करने के लिए बीआर, बीएसी, बीइओ, सहायक आयुक्त आदि कई अधिकारी हैं। यही नहीं मध्यान्ह भोजन की निगरानी करने के लिए जिला पंचायत में भी एक अधिकारी हैं। इतने अधिकारियों के बावजूद ग्रामीण स्कूलों में मध्यान्ह भोजन व अन्य व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं। यह सभी भ्रामक जानकारियां देकर प्रशासन को गुमराह करते हैं। एक तो भ्रमण ही बहुत कम किया जाता है भ्रमण अगर किया भी तो फर्जी रिपोर्ट देते हैं। सभी अपना कमीशन लेकर गड़बड़ी करने में भूमिका निभा रहेहैं। इनमें बीआरसी और बीएसी सर्वाधिक जिम्मेदार हैं। इनका तो मूल दायित्व ही पाठशालाओं की मॉनीटरिंग करना है। लेकिन अपनी ड्यूटी से अधिक गड़बड़ी को महत्व दिया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed