खनिज की चुप्पी, आपस में भिड़े पुलिस-राजस्व
अवैध खनन-परिवहन के दौरान पटवारी की मौत का मामला
देवलोंद ही नहीं पूरे जिले में सैकड़ा भर स्थानों से हो रहा अवैध खनन
शहडोल। भूतपूर्व सैनिक की पटवारी बनने के बाद 25 नवम्बर की रात दुर्घटना में मौत हो गई, दुर्घटना के दौरान मृतक को ट्रैक्टर से रौंदा गया या फिर ट्रैक्टर रोकने के बाद चालक से चाभी लेने और उस पर चढक़र तू-तू, मैं-मैं करने के दौरान दुर्घटना कारित हो गई। आधी रात को बिना किसी वैध अनुमति के निजी वाहन में पटवारियों का दल आखिर संवेदनशील स्थान पर क्यों गया था, जबकि पुलिस और प्रशासनिक अमला बीते दो दिनों से पूरे दिन भर वहां कार्यवाही में लगा था। ऐसे तमाम सवाल हर दिन सामने आ रहे हैं। पुलिस घटना के लिए खनिज और राजस्व का जिम्मेदार ठहरा रही है, दूसरी तरफ राजस्व के पटवारियों ने तो, अपने ही विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर कटघरे में खड़ा कर दिया। इन सबके बीच खनिज विभाग मूकदर्शक बना हुआ है, जबकि पूर्व सैनिक और वर्तमान में पटवारी जैसे महत्वपूर्ण पद पर शासकीय कर्मचारी की असमय मौत हो गई है। न तो कलेक्टर ने खनिज अधिकारी या इस विभाग के किसी कर्मचारी को इस मामले में लापरवाही बरतने के कारण दण्डित किया है और न ही सुर्खिया बटोर रहे, नायब तहसीलदार दिलीप शर्मा के ही खिलाफ औपचारिक कार्यवाही तक नहीं की गई।
जिम्मेदारी निभाते तो न होता हादसा
शासन द्वारा सिर्फ खनिज से जुड़े मामलों के लिए ही जिस विभाग का निर्माण किया गया है, उसकी एक अलग शाखा और अलग से जिम्मेदारों की नियुक्ति के बावजूद भारी पैमाने पर हर दिन अवैध उत्खनन होता रहा, अवैध उत्खनन के भयावकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रतिदिन सैकड़ा भर से अधिक विशाल हाइवा, डग्गी और ट्रैक्टर, जेसीबी तथा मजदूरों के माध्यम से अवैध रूप से लोड होकर शहडोल के साथ ही सतना, रीवा के अलावा उत्तरप्रदेश की मण्डियों तक पहुंचती रही, खनिज विभाग के अधिकारी कुंभकर्णीय निद्रा में यदि सोते रहे और रेत का अवैध उत्खनन-परिवहन-विक्रय इतनी बड़ी मात्रा में होता रहा तो, इस तरह के अवैध कार्याे और पटवारी की मौत की जिम्मेदारी तय होते समय खनिज अधिकारी और उसके अमले को अलग नहीं किया जा सकता।
स्टॉफ का रोना, पर पहुंच हर जगह
खनिज अधिकारी देवेन्द्र पटले इस मामले में एक बार फिर पुराने अंदाज में स्टॉफ के न होने का रोना रोते हुए नजर आते हैं, जबकि खुद जिला खनिज अधिकारी के अलावा खनिज इंस्पेक्टर, माईंनिंग सर्वेयर सहित कार्यालय का अन्य स्टॉफ के अलावा होम गार्डाे की भी यहां तैनाती की गई है। विभाग के दस्तावेजों को खंगाले तो, अन्य विभागों से स्टॉफ उपलब्ध कराने या स्टॉफ कमी के संदर्भ में शायद ही कभी खनिज अधिकारी ने कलेक्टर को लिखित तौर पर अवगत कराया हो। यह अलग बात है कि जिले में संचालित समस्त क्रेशरों के अलावा खनिज के अन्य ठेकेदारों तक विभाग की पहुंच हर माह हो ही जाती है, खासकर बीते पखवाड़े दीपावली के दौरान लगभग ठेकेदार और पूर्व ठेकेदार खनिज विभाग आमद देते भी नजर आये।
हर दिन लाखों की चोरी का खुलासा
अकेले देवलोंद तथा इसके सराउण्ड 20 किलोमीटर के क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक स्थानों से सैकड़ा भर से अधिक वाहन अवैध रूप से रेत का उत्खनन कर विक्रय किये जाते रहे, अचरज इस बात है कि पटवारी की मौत के बाद इस तरह के खुलासे सामने आये, खासकर 25 नवम्बर से पहले सैकड़ों घन मीटर अवैध रेत जब्त की गई, तो यह मामला अचानक सुर्खियों में आ गया, खनिज माफिया के बीच खनिज विभाग की चुप्पी और संरक्षण के बाद अवैध उत्खनन और परिवहन में इतनी होड़ मच गई कि इस होड़ का खामियाजा पटवारी को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा। खास बात यह भी रही है कि अकेले देवलोंद ही नहीं, जयसिंहनगर, गोहपारू, शहडोल व बुढ़ार मुख्यालय के आस-पास नदियों से रेत के अवैध उत्खनन के दर्जनों ठीहे सामने आ गये। इतना सबकुछ वैध ठेका की अवधि खत्म होने के बाद प्रतिदिन होता रहा और विभाग जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ता रहा।
चौकीदार ही निकले चोर
खनिज विभाग की मनमानी और उसके द्वारा अवैध उत्खनन को पूरी तरह से न रोक पाने के कारण ही पूर्व के कलेक्टरों ने एसडीएम और तहसीलदार तथा अन्य राजस्व अमले को अवैध खनिज के वाहनो की जांच के निर्देश दिये थे, लेकिन खनिज व माफिया के गठबंधन के बाद राजस्व अमले ने भी उसी हमाम में डुबकी लगाना शुरू कर दिया, देवलोंद क्षेत्र में नायब तहसीलदार के माफिया से गठबंधन की चर्चा अकारण ही नहीं हो रही, इन सबके पीछे कहीं न कहीं नायब तहसीलदार दिलीप शर्मा के सतना के कनेक्शन और इन कनेक्शनों की शह पर अवैध उत्खनन के कारोबार का कई गुना बढ़ जाना शामिल है। 28 नवम्बर को पटवारी संघ के द्वारा दिये गये ज्ञापन के बाद लगाये गये आरोप भी कहीं न कहीं राजस्व अमले की लापरवाही को इंगित करते हैं।
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