कराल कलिकाल के लिए कुठार हैं मां भगवती

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भोपाल।आत्मा में रमण करने वाली दिव्य शक्तियां मुक्ति का साधन उपलब्ध कराती हैं। जीव संसार की माया में लिप्त रहता है और अल्प स्वार्थ लोभ के कारण मुक्ति के मार्ग से वंचित हो जाता है।आचार्य डॉ निलिम्प त्रिपाठी ने महर्षि वैदिक सांस्कृतिक केंद्र में हो रही श्रीमद् देवी भागवत के पंचम दिवस स्कंदमाता की कथा के अवसर पर उक्त विचार कहे।आचार्य त्रिपाठी ने श्रीमद् देवी भागवत के गुप्त रहस्यों को उजागर किया। अनुसूया का अर्थ समझाते हुए यह बताया कि जो किसी से ईर्ष्या नहीं करता ऐसी अनुसूया के घर ही आकर भगवान खेलते हैं। यह शब्दों का प्रभाव ही है कि जो भगवान का स्मरण करता है भगवान उसके जीवन में प्रवेश कर जाते हैं! यही नाम नामी का संबंध है।महर्षि संस्थान के प्रमुख आदरणीय ब्रह्मचारी डॉ गिरीश जी द्वारा आयोजित श्रीमद् देवी भागवत समस्त विश्व के कल्याण के लिए की जा रही है कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सम्मिलित हो रहे हैं आज माननीय न्यायाधीश निमिष राजा, रामेश्वर मिश्र, वी आर खरे, तुषार गोलाइत, पण्डित  रवि शंकर आदि गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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