सरकारी स्कूलों में न चाक न डस्टर, पढ़ाई हो रही ठप्प

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आधा सत्र बीत गया नहीं आया बजट, अफसर उदासीन

शहडोल। शासन एक ओर शत प्रतिशत शाला प्रवेश के लिए अभियान चलाकर  बच्चों को स्कूल में भर्ती करा रहा है और दूसरी ओर स्कूलों की दुर्दशा को सुधारने के लिए प्रयास नही किए जा रहे हैं। सरकारी स्कूलेां की हालत बद से बदतर होती जा रही है। लेकिन न तो स्कूलों की मॉनीटरिंग होती है और न उनकी सफाई रंगाई का काम हो रहा है। बताया जाता है कि इस वर्ष का लगभग 50 फीसदी सत्र बीत चुका है, लेकिन स्कूलों में चाक, डस्टर, रंगाई आदि का बजट नहीं दिया गया है। जिससे स्कूलों में पढ़ाने के लिए चाक तक नहंी है। बच्चों के बैठने के लिए टाटपट्टी तक नहीं है। बच्च्ेा कहां बैठें? यह सवाल हर प्रधानाध्यापक की जवान पर है। एक प्रधानाध्यापक ने बताया कि शासन प्रशासन को निरंतर लिखा पढ़ी कर सूचना दी जा रही है लेकिन कोई लाभ नहीं हो रहा है।बजट का इंतजारबताया गया कि जिले में शासकीय प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं की संख्या लगभग 21 सौ है, इनमें से अधिकांश स्कूलेां में अभी तक शाला संचालन के लिए बजट अप्राप्त है। इस कारण स्कूलों में न तो चाक, डस्टर है और न ही श्यामपट पर ढंग से पढ़ाई हो पा रही है। टीचरों के पास ब्लैक बोर्ड पर लिखने क ी सुविधा ही नहीं है। डस्टर भी फट गए हैं इससे ब्लैक बोर्ड में मिटाते नही बनता है। शासन की स्कूलें इतना अभाव झेल रहीं हैं। शासन बच्चों को स्कू ल तो ला रही है लेकिन पढऩे की सुविधा नही मिल पा रही है।

टाट पट्टी नहींकई स्कूलें ऐसी हैं जिनमें वर्षों से टाट पट्टी नहीं आई है जिससे यहां बच्चों के बैठने की सुविधा नहीं है। बच्चे फटी-कटी टाट पट्टी में बैठकर पढऩे को मजबूर हैं। आधे से ज्यादा जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं। यहां पहले बच्चे आकर साफ सफाई करते हैं और फटी टाट पट्टी बिछाकर बैठते हैं। कोई व्यवस्था नहीं है, केवल हेड मास्टर शासन से मांग करते हैं लेकिन मांग करते करते दो वर्ष का समय बीत चुका है अभी तक टाट पट्टी नहीं आई है।

रंगाई पुताई नहंी हो रही हैशासन के नियमों के तहत दीवाली के पूर्व तक प्रत्येक संस्था को साफ सफाई और रंगाई के लिए एक निर्धारित बजट दिया जाता है। लेकिन इस वर्ष दीवाली बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई राशि नहीं भेजी गई है। अधिकांश स्कूलें गंदगी से पटी हैं। उनकी दीवारों में काई जैसी मैल जमा है। उन्हे रंगाई के समय ही साफ किया जाता है। पहले ज्ञात हुआ कि अक्टूबर में राशि दे दी जाएगी फिर बताया गया कि नवंबर में बजट आ रहा है। लेकिन दोनो माह बीत गए लेकिन राशि नहीं आई है।कोई सुनवाई नहीं हो रहीबताया गया कि चाक, डस्टर व कुछ स्टेशनरी आदि की समस्या के बारे में अधिकारियों को कई बार अवगत कराया जा चुका है। लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। कोई अधिकारी स्कूल का मौका मुआयना करने भी नहंी आता है। जबकि जन शिक्षा केन्द्र के बीएसी व सीएसी की ड्यटी रहती है कि वे स्कूल का भ्रमण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। लेकिन स्कूलों का नियमित मुआयना नहीं होने से स्कूलों की दुुर्दशा हो रही है।v

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