न पिता लौटे, न मिला नौकरी और मुआवजा
दशक बीता, खत्म नहीं हुआ परिवार का इंतजार
कोल प्रबंधन ने पल्ला झाड़ा, हाईकोर्ट का आदेश भी रद्दी में
(अनिल तिवारी)
शहडोल। लगभग एक दशक पहले कोतमा वेस्ट कालरी क्षेत्र के कार्यस्थल से गायब हुए जनरल मजदूर निगमधर पांडे पिता लक्ष्मण प्रसाद पांडे जोकि एसईसीएल में कार्यरत था और अचानक कहीं कार्यस्थल से ही गायब हो गया, जिनका आज तक कोई पता नहीं चल पाया, इस दौरान पूरा परिवार बिखर गया, लोगों द्वारा चंदा करके भरण पोषण करवाया जा रहा है, लेकिन 10 वर्षों के दौरान कालरी मैनेजमेंट द्वारा कहा गया कि हम 7 वर्ष के पहले कोई भी फैसला नहीं ले सकते, शायद निगमधर लौट आए, अगर नहीं लौटता तो, संविधान के अनुसार भी मृत मान लिया जाता है। इसके बाद आश्रित को वेतन भत्ता के साथ-साथ उनके आश्रित को नौकरी मिल पाएगी।
कंपनी ने किया था सेवा से पृथक
7 वर्ष बीतने के बाद आज तक निगमधर वापस नहीं आया, जिसके बाद अनूपपुर जिले के कोतमा व्यवहार न्यायालय न्यायाधीश द्वारा 24 जुलाई 2019 को व्यवहारवाद में श्रीमती सरोज पांडे एवं अन्य बनाम मध्यप्रदेश शासन एवं अन्य के प्रकरण में निर्णय पारित कर कर्मकार निगमधर की मृत्यु होना तथा कंपनी द्वारा निगमधर को विभागीय जांच कर सेवा से पृथक किए जाने की कार्यवाही विधि विरुद्ध होकर शून्य व अवैध घोषित करने का निर्णय पारित कर डिक्री प्रदान की गई। इसके बाद भी कोतमा महाप्रबंधक एवं क्षेत्रीय प्रबंधक कोतमा गोविंदा क्षेत्र द्वारा आश्रित को नौकरी व भविष्य निधि से संबंधित राशियों का भुगतान नहीं किया गया।
आश्रित को मिले नौकरी
निगमधर पाण्डेय की पत्नी ने कालरी प्रबंधन से न्याय न मिलने के कारण उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जहां न्यायालय ने संज्ञान में लेते हुए निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया और महाप्रबंधक जमुना कोतमा क्षेत्र एवं अध्यक्ष एवं सह प्रबंधक निदेशक बिलासपुर को आदेशित किया गया कि कर्मकार की पत्नी द्वारा पुन: आवेदन मय संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किए जाने पर 2 माह के भीतर विधि अनुसार उचित आदेश करें। बावजूद इसके एसीसीएल प्रबंधन द्वारा कर्मकार के परिवार के लिए भविष्य निधि की राशि एवं आश्रित को नौकरी देने संबंधी किसी भी प्रकार की कार्यवाही प्रबंधन द्वारा नहीं की गई।
यह है मामला
निगमधर पाण्डेय की पत्नी श्रीमती सरोज पांडे ने बताया कि निगमधर पांडे पिता लक्ष्मण पांडे एसईसीएल के 7/8 नंबर खदान के कोतमा वेस्ट कालरी में जनरल मजदूर के पद पर कार्यरत थे। जिनका निज नंबर 2391 5990था, प्रथम पाली की ड्यूटी 26 नवम्बर 2010 सुबह 7 बजे से लेकर 3 बजे की थी, खदान में निगमधर का समय बीतने के बाद भी जब वह घर नहीं आया तो, इस संबंध में निगमधर की पत्नी कार्य स्थल पर परिजनों के साथ निगमधर का पता लगाने पहुंची, उस समय तत्कालीन खान प्रबंधक कोतमा वेस्ट द्वारा बताया गया कि निगमधर पांडे हसदेव क्षेत्र के तत्कालीन खान अधीक्षक प्रबंधक कोतमा वेस्ट 7/8 कालरी ए.के. दुबे के निजी कार्य से गए हैं, जिसके बाद वह वापस नहीं लौटा। जिसके बाद श्रीमती सरोज पाण्डेय ने स्थानीय थाना भालूमाड़ा में प्राथमिक सूचना दर्ज करवाई थी।
कर्मकार की उपस्थिति पर लगाई थी मुहर
कोयला मजदूर श्रमिक संघ सीटू के अध्यक्ष कामेश्वर सिंह व जनरल सेक्रेटरी एम.के.चंदा द्वारा भी उस समय प्रमाणित कर अपने लेटर हेड से मुख्य महाप्रबंधक कोतमा जमुना क्षेत्र को अवगत कराया था कि 26 नवम्बर 2010 को निगमधर पांडे प्रथम पाली की ड्यूटी कोतमा वेस्ट खदान में उपस्थित हुआ तथा सी फार्म में उपस्थिति दर्ज करवाया, नियामानुसार स्फिट सेटिंग अधिकारी ने श्री पांडे को किसी कार्य से पौराधार माइंस हसदेव क्षेत्र भेजना बताया था, लेकिन वह वहां वापस नहीं आया और बिना वापस आए ही माइंस के सी-फार्म रजिस्टर में आउट अंकित कर दिया गया, जो कि बिल्कुल भी न्याय संगत नहीं है।
सी-फार्म में गड़बड़ी
कोयला श्रमिक संघ ने अपने पत्र में मुख्य महाप्रबंधक को बताया था कि अपने दामन को पाक-साफ और प्रकरण से अलग करते हुए अपने जिम्मेदारियों से बचने के लिए अधिकारियों ने मिलकर कूट रचना करते हुए फार्म-सी में आउट करार दे दिया था। जिस पर संघ के अध्यक्ष, सचिव के अलावा संघ में शामिल समस्त सभी कर्मचारियों ने विरोध किया था और कालरी प्रबंधन के उच्च अधिकारियों को भी पत्र देकर अवगत कराया था।
एसीसीएल कर रहा न्यायालय की अवमानना
उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा 24 अगस्त को उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए महाप्रबंधक जमुना कोतमा क्षेत्र एवं अध्यक्ष एवं प्रबंध निर्देशक बिलासपुर को आदेश किया गया की लापता मृतक निगमधर की पत्नी द्वारा दोबारा आवेदन प्रस्तुत करने पर तत्काल उन्हें 2 महीने के अंदर भविष्य निधि संबंधी पूरे भुगतान के साथ आश्रित को नौकरी प्रदान किया जाए, इसके बाद भी कालरी के महाप्रबंधक उप क्षेत्रीय महाप्रबंधक एवं जनरल मैनेजर के पद पर बैठे लोगों ने हाईकोर्ट के आदेश को भी रद्दी की टोकरी में डालते हुए कोर्ट की अवमानना करने पर उतारू है ।
बिखरे हुए परिवार का यह है हाल
निगमधर पांडे पिता लक्ष्मण पांडे के परिवार में पत्नी के साथ चार बेटिया ग्राम बेलियाबड़ी थाना व तहसील कोतमा जिला अनूपपुर के निवासी हैं और किसी तरह पति/पिता के चले जाने के बाद मुश्किल से अपना गुजर बसर करते हैं। इनकी माली स्थिति बिल्कुल भी अच्छी नहीं है, 4 बच्चियां के सर पर पिता का हाथ न होने से दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं, निगमधर कि अचानक चले जाने के बाद घर की आमदनी शून्य हो गई है, जिसमें उनके आश्रित के रूप में उनकी पत्नी के अलावा बड़ी बेटी का नाम रागिनी पांडे उम्र 29 वर्ष, दूसरी पुत्री मीनाक्षी पांडे उम्र 24 वर्ष , तीसरी पुत्री शालिनी पांडे उम्र 18 वर्ष शामिल है, लेकिन महाप्रबंधक अपने कर्मचारी के मौत के बाद हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद भी परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़े हुए बैठा है।
इनका कहना है…
आपने मामला संज्ञान में लाया है, संबंधित एरिया से जानकारी लेकर पीडि़तों को न्याय दिलाया जायेगा।
मिलंद चांद
जनसंपर्क अधिकारी
एसईसलीएल बिलासपुर (छ.ग.)