दो माह में भी नहीं हुई भ्रष्ट सीएमओ व उपयंत्री के विरुद्ध कार्रवाई
स्टापडेम के घटिया निर्माण की रिपोर्ट कमिश्नर भोपाल के समक्ष पड़ी
शहडोल। जिले के धनपुरी नगर अंतर्गत स्थित बगैया नाला पर निर्माणाधीन स्टापडेम में भले ही सरकार के 1 करोड़ 12 लाख से भी अधिक की राशि व्यय हो गई, लेकिन उसका निर्माण भ्रष्ट अमले ने इस घटिया तरीके से कराया कि वह पहली बरसात में ही दम तोड़ गया। इस मामले ने तूल पकड़ा और कमिश्नर नगरीय प्रशासन भोपाल ने 24 अगस्त को संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन को जंाच कर प्रतिवेदन और आरोपपत्र का प्रारूप पेश करने के निर्देश दिए थे। इस निर्देश के परिपालन में संयुक्त संचालक ने 28 अगस्त को जांच प्रतिवेदन व आरोप पत्र का प्रारूप कमिश्नर के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। लेकिन इसके बाद आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि दो माह का समय बीत चुका है और जांच में अधिकारी कर्मचारी दोषी भी पाए गए थे। वरिष्ठ कार्यालय की इस हीलाहवाली का लाभ दोषी अमला आज भी उठा रहा है, जबकि उसे दण्ड प्रक्रियाओं के कठघरे में होना चाहिए था। इस स्थिति के कारण दोषी अमला जहां सीना फुलाए घूम रहा है वहीं लोगों का न्याय से विश्वास डोल रहा है।
जांच के तथ्य यह थे
मामले की जांच कर रहे 4 सदस्यीय दल ने पाया था कि धनपुरी नगरपालिका सीएमओ प्रभात बरकड़े नगरपालिका अधिनियम 1961 की धारा 92 तथा मप्र सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के विपरीत कार्य करने हेतु उत्तरदायी हैं। इसके साथ ही धनपुरी नपा उपयंत्री बृजेश पाण्डेय मप्र राज्य नगरीय यांत्रिकीय सेवा नियम 2015 एवं नगरपालिका अधिनियम 1961 की धारा 97 तथा मप्र सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के विपरीत कार्य करने हेतु उत्तरदायी हैं। ज्ञातव्य है कि इन दोनो विन्दुओं में स्पष्ट रूप से बांध निर्माण में बरती गई अनियमितता की पुष्टि की गई है। इसके बावजूद दोनो अधिकारियों से अभी तक किसी भी तरह का सवाल जवाब कमिश् नर नगरीय प्रशासन भोपाल की ओर से नहीं किया गया। जबकि दो माह पूर्व ही उनके समक्ष जाच रिपोर्ट और आरोप पत्र प्रस्तुत किए जा चुके हैं।
निगरानी के बावजूद स्टापडेम बहा
जानकारी मिली कि निर्माण के दौरान उपयंत्री बृजेश पाण्डेय ने लगातार निरीक्षण और दौरा किया और ठेकेदार के कार्य का मुआयना किया। खुद उपयंत्री ने इस बात को स्वीकारा की अप्रैल से लेकर अगस्त तक वह दर्जनों बार गये। लेकिन उन्हें वहां कार्य से संबंधित बोर्ड नहीं मिला। प्रयोगशाला नहीं मिली, 12 की जगह 10 एमएम की राड उपयोग होती रही। डैम के निचले हिस्से में साढ़े तीन मीटर की जगह कुछ फिट बेस डाला गया। 29 मीटर लंबाई 22 मीटर में बदल गई और दोनों तरफ के की-वॉल की लंबाई 3 मीटर में सिकुड़ गई और उपयंत्री बांध बहने के एक सप्ताह पहले 16 अगस्त तक यह बयान आता रहा कि सही निर्माण हो रहा है। इसके 7 दिन बाद 23 अगस्त की सुबह कार्यपालन यंत्री की एक रिपोर्ट जो बांध बहने के अगले दिन बैकडेट पर बनाई गई, उसमें बांध निर्माण गुणवत्ता विहीन और फर्जी टेस्ट रिपोर्ट का उल्लेख दर्शाया।
आपत्ति क्यों नहीं की
हैरानी की बात यह है कि जब उपयंत्री को निर्माण में गड़बड़ी दिखाई पड़ रही थी तो उन्होने आपत्ति कर उसमें सुधार क्यों नहीं कराया। क्या सुधार कराना संभव नहंी था, या ठेकेदार का हित देखना जरूरी था। तब उपयंत्री और सीएमओ दोनो ही चुप्पी साध कर रह गए। जब बरसात आई तो घटिया स्तर से बनाया जा रहा स्टापडेम पानी का रेला सह नहीं सका और बह गया। अधिकारियों और ठेकेदार की लापरवाही से शासन की राशि का भारी नुकसान हुआ है। यह राशि संबंधित अधिकारियों और ठेकेदार से वसूली जानी चाहिए। इतनी बड़ी क्षति हो गई और इसके विरुद्ध न तो स्थानीय प्रशासन स्तर से और न भोपाल स्तर से कोई कार्रवाई की जा रही है। धीरे धीरे उम्मीद धूमिल होती जा रही है।
कब होगी कार्रवाई
जानकार लोगो का मानना है कि नगरपालिका के इतने बड़े निर्माण की क्षति हुई है और नगरपालिका के भ्रष्ट अधिकारियों की पोल भी खुल गई है इसके बाद भी चोरों को यदि पकड़ा नहीं जाए तो इसे किस तरह के कानून व्यवस्था की संज्ञा दी जाएगी? नीचे से लेकर ऊपर तक केवल भ्रष्टाचार का ही बोलबाला है, न्याय और कानूनी प्रावधान तो वैसे भी उपेक्षित हैं। अफसर लाख अनियमितता कर ले, शासन का खजाना डकार जाए लेकिन उसके विरुद्ध कार्रवाई करने में बड़े अफसर और कार्यालयों को थरथरी छूटती है। धनपुरी नगरपालिका के स्टापडेम के मामले में भी शायद ऐसा ही हो रहा है।