न कक्का…मुन्ना तो बेकसूर है

0

(अमित दुबे- 7000656045)
शहडोल। कक्का आज ऐसी खबर लेकर आये हैं, जिस पर किसी को यकीन ही नहीं हो रहा। अनुभाग के वर्दीधारी का इतना जोर बढ़ गया कि उसने आंखे बड़ी कर-कर के हर छोटे और बड़े को दिखाने में कोई कमी नहीं छोड़ी, बता रहे हैं कि अधिकारी का गुस्सा भी गलत नहीं है, छोटे वाले को बड़े अधिकार दे दिये गये हैं और अब साहब सिर्फ कार्यालय में बैठकर यू-ट्यूब और रील ही देखने के लायक बचे हैं। इधर जब से कालिख खुदने लगी है तो, साहब भी अपना मुंह लेकर कुछ कालिख पुतवाने के फेर में घूम रहे हैं, लेकिन सिर्फ टीका-वंदन तक ही साहब को सीमित कर दिया गया है, जबकि छोटे अधिकारी के तो पहले से ही दोनों हाथ बंधे हैं, बेचारा जब से आया है तब से गरीबी रेखा का कार्ड उसका साथ नहीं छोड़ रहा है, इधर पड़ोस में बैठे एक और छोटे साहब आधे बदन पर कालिख पोत कर इनके मजे ले रहे हैं, बीते दिनों जब साहब को मौका मिला तो, कह दिया नहीं करूंगा दस्तखत…नहीं लूंगा फाईल, तुम्ही कर लो, इसकी भी विवेचना।
पर कानून तो इसकी इजाजत न छोटे को दे रहा है और न बड़े को, इस बीच बेचारा मुन्ना फंस गया, फाईल लेता तो, बगल की कुर्सी से धक्का पड़ता, सुना है फोन पर अल्टीमेटम भी दे दिया गया था, आखिर बड़ी कुर्सी तो, बड़ी कुर्सी है। मुन्ना तो फंस गया और गाज इधर-उधर नहीं बल्कि सीधे सर पर गिरी, तत्काल में रवाना भी कर दिया गया, पर मामला नहीं सुलझा, इसके बाद मुन्ना के कद का ही दूसरा फाईल लेकर फंस गया, बड़े साहब को गुस्सा आया तो, उन्होंने ब्रम्हास्त्र निकालकर जैसे ही दिखाया, फाईल रिसीव हो गई और दस्तखत भी हो गये। अब तो साहब कहते फिर रहे हैं, नाबालिग हो बालिग, बलात्कार हो गया कौनोमेर के मामला जब चाहो दस्तखत करवा लो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *