अब बनेगा ‘नई राहों का पुल’: शरद कोल की पहल रंग लाई कांपते बाणसागर पुल को लेकर सरकार हुई सक्रिय

39 साल पुराना पुल, अब बन चुका है खतरा
बाणसागर पुल का निर्माण वर्ष 1980 में शुरू हुआ था और 1986 में इसे यातायात के लिए खोला गया था। इसे गैमन इंडिया लिमिटेड ने बनाया था और लोकार्पण तत्कालीन मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा ने किया था।
समय के साथ पुल की हालत लगातार बिगड़ती गई और कुछ माह पहले तो इसकी स्थिति इतनी खराब हो गई कि इसे दो महीने के लिए बंद करना पड़ा। मरम्मत के बाद इसे अस्थायी रूप से चालू किया गया, लेकिन अब भी भारी वाहन गुजरते ही जोरदार कंपन महसूस होती है, जो यात्रियों के लिए जोखिम भरा है।

शरद कोल ने दिखाई जनप्रतिनिधि की संवेदनशीलता
भाजपा विधायक शरद कोल ने इस जर्जर पुल को लेकर विधानसभा, मीडिया और सोशल मीडिया तीनों स्तरों पर आवाज उठाई। उन्होंने पुल की हालत की तस्वीरें और वीडियोज सार्वजनिक कर जनभावनाओं को सामने लाया।
जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री से नई संरचना की मांग की, जिसे डॉ. मोहन यादव ने गंभीरता से लिया और तुरंत संबंधित विभाग को स्थल निरीक्षण, एस्टीमेट और बजट प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दे दिए।
यातायात और आजीविका दोनों के लिए अहम कड़ी
यह पुल न केवल शहडोल और रीवा को जोड़ता है, बल्कि मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बीच व्यापार, रेत परिवहन और आपातकालीन सेवाओं की जीवनरेखा भी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल पर लगातार ओवरलोड रेत से भरे ट्रक गुजरते हैं, जिससे इसकी स्थिति और खराब होती जा रही है। अगर समय रहते निर्णय नहीं लिया जाता, तो कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती थी।
सरकार का निर्णय सराहनीय, जनता ने जताया आभार
मुख्यमंत्री और विधायक की तत्परता पर जनता ने खुशी और संतोष जताया है। यह निर्णय केवल एक पुल निर्माण का नहीं, बल्कि जनता की आवाज पर लिया गया एक ऐतिहासिक कदम है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जल्द से जल्द स्थल चयन की प्रक्रिया पूरी हो और निर्माण कार्य शुरू किया जाए, ताकि यह मार्ग फिर से सुरक्षित और मजबूत बन सके।