अब समूहों के सहयोग से होगा संभाग में अश्वगंधा का उत्पादन

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पैदावार के लिए गांव चिन्हित , उत्पादन का महिलाओं को दिया जायेगा प्रशिक्षण

शहडोल। जिले में किसानो के साथ मिलकर उन्नत और नई पैदावार को बढ़ावा देने के साथ किसानो को आर्थिक रूप से सम्बल बनाने के लिए स्थानीय संभागीय संयुक्त संचालक कृषि कार्यालय में मैकल ट्रेडिशनल फार्मर प्रोड्यूसर ,आत्मा समिति शहडोल से सम्बद्धता रखने वाली इस कंपनी ने जिले के किसानो और समूहों की महिलाओं को अश्वगंधा की पैदावार करने की पहल की और इसके उत्पादन, सिंचाई व लाभ को समझाया जिस समूह की महिलाओं ने इसके पैदावार में रूचि ली और अब अश्वगंधा जिले में लाभ की पैदावार बनने जा रहा है। जिसका पूरा फायदा समूह की महिलाओं को मिलेगा। इस सम्बन्ध में फर्म के सीईओ प्रदीप सिंह बघेल ने बताया कि अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट, लिवर टॉनिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल के साथ-साथ और भी कई पोषक तत्व होते हैं जो आपकी बॉडी को हेल्दी रखने में हेल्प करते हैं। इसके अलावा इसमें एंटी-स्ट्रेस गुण भी होते है जो स्ट्रेस फ्री करने में मदद करते है। इसके अलावा इसे घी या दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से वजन बढ़ाने में मदद होती है। अश्वगंधा का वैज्ञानिक नाम विथानिया सोमनिफेरा है। इसे असगंध, नागौरी असगंध, विंटर चेरी और इंडियन जिनसेंग नामों से भी जाना जाता है। यह सोलेनेसी कुल का पौधा है। यह फसल शुष्क एवं अर्ध शुष्क जलवायु में बहुतायत होती है। यह कम जल मांग वाली फसल है। वर्तमान समय में पारंपरिक खेती में हो रहे नुकसान को देखते हुए अश्वगंधा की खेती किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
यहाँ होगी पैदावार
मैकल ट्रेडिशनल फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के सीईओ प्रदीप सिंह बघेल ने बताया कि यह खरीफ की फसल के रूप में लगाया जाता है तथा जनवरी-फरवरी माह में इसे संचय कर लिया जाता है। इस प्रकार इसे एक 6-7 माह की फसल के रूप में माना जा सकता है । इसे लगाने के लिए सबसे अच्छा समय सितम्बर का महीना होता है। अश्वगंधा के पैदावार के लिए सोहागपुर ब्लॉक का ग्राम खम्हरिया कला , मझगवां , देवरीटोला चिन्हित किया गया है। इसी प्रकार उमरिया जिले में पाली ब्लॉक के ग्राम औरेडा , हाथपुरा , मालचुआ , करकेली ब्लॉक के ग्राम मझगवां, चांदियाँ, दुबबार और ग्राम लोढ़ा को चिन्हित किया गया है। अश्वगंधा के उत्पादन के लिए लगभग 50 एकड़ की जमीन का उपयोग किया जायेगा।
संभाग का वातावरण उपयुक्त
श्री बघेल ने बताया कि संभाग का वातावरण अश्वगंधा के उत्पादन के लिए अत्यंत ही अनुकूल है। जैसा कि आप सब जानते है कि बांधवगढ़ से लेकर अमरंकटक की मैकल पर्वत श्रृंखला तक अनेक प्रकार की जड़ी बूटी पाई जाती है। जो कि यहाँ के वातावरण में अच्छी तरह से फलती फूलती रहती है। सम्पूर्ण संभाग का वातावरण इस प्रकार का है कि यहाँ किसी भी प्रकार कि वनोपज की पैदावार आसानी से हो सकती है। इसलिए हमारी कंपनी ने इस क्षेत्र में अश्वगंधा के उत्पादन के लिए संभाग के ग्रामों का चयन किया।
दिया जायेगा प्रशिक्षण
अश्वगंधा के उत्पादन के चयनित स्व सहायता समूह की महिलाओं को इसके उत्पादन का विधिवत प्रशिक्षण दिया जायेगा। साथ ही इसके पैदावार की मार्केटिंग के साथ, उत्पादन की खरीदी को किया जायेगा जिसका सीधा लाभ समूह की महिलाओं को मिलेगा। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है जो मैकल ट्रेडिशनल फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के द्वारा समय समय पर किया जाता रहा है।
कई बीमारियों में लाभकारी
आजकल ज्यादातर इंसान तनाव जैसी समस्या से जूझ रहे हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। यदि किसी कारणवश तनाव, चिंता, मानसिक समस्या है, तो अश्वगंधा का सेवन जरूर करना चाहिए. इसमें मौजूद औषधीय गुण तनाव दूर करने में काफी मदद करता है। अश्वगंधा में एंटी-स्ट्रेस गुण तनाव से राहत दिलाता है। अश्वगंधा का सेवन इस समस्या के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। अश्वगंधा का सेवन करने से दिल संबंधित बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। इसके सेवन करने से डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। अश्वगंधा में पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण लिवर में होने वाली सूजन की समस्या दूर करने में सहायक होता है। अश्वगंधा का इस्तेमाल कई बीमारियों के लिए किया जाता है।

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