नियमित अप डाउनर्स के लिए सबसे जरुरी शटल ट्रेन के संचालन न होने से यात्री हो रहे है परेशान

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शहडोल रेलवे स्टेशन में लम्बे अरसे से मूलभूत

सुविधाओं की कमी

शहडोल। संभाग के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन शहडोल को बनें काफी समय हो गया है लेकिन आज भी स्टेशन में यात्रियों के सुविधाओं के हिसाब से न ट्रेन चलाई जा रही है और न है स्टेशन की सुविधाओं में विस्तार किया जा रहा है। जिससे यात्रियों के साथ रेलवे कर्मचारियों को भी दो चार होना पड़ रहा है। इस सम्बन्ध में दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे के मजदूर संघ के शाखा सचिव अभिषेक पांडेय ने बताया कि यात्रियों के साथ रेलवे कर्मचारियों को भी परेशानी सामना करना पड़ता है जिनमें सबसे जरुरी रेल कर्मचारियों के इलाज की समस्या है।
शटल के सञ्चालन के मांग
रेल यात्री संघ द्वारा पूर्व में भी इस क्षेत्र कि सबसे आवश्यक ट्रेन चिरमिरी से कटनी की ओर जाने वाली ट्रेन के संचालन न होने से प्रतिदिन शहडोल से उमरिया-कटनी जाने वाले यात्री परेशान हो रहे है। इस ट्रेन से प्रतिदिन सैकड़ो यात्री उन छोटे-छोटे स्टेशनों से चढ़ते और उतरते है जहाँ कोई एक्सप्रेस ट्रेन का स्टॉपेज नहीं होता है। जिनमें बँधवाबारा, घुनघुटी, मुदरिया, करकेली आदि स्टेशन शामिल है। साथ ही प्रतिदिन उमरिया-कटनी जाने वाले यात्रियों के लिए सटीक टाइमिंग के साथ यह ट्रेन सभी के लिए अत्यत उपयोगी थी। जिसका संचालन किया जाना सबसे आवश्यक है।

आज तक नहीं बना रैम्प
दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे द्वारा बी ग्रेड की रैंकिंग पाने के बाद भी आज तक स्टेशन में रैम्प जैसी सुविधा का निर्माण नहीं हो पाया है जबकि प्लेटफॉर्म 01 से प्लेटफॉर्म 02 एवं 03 में जाने के लिए व्हील चेयर से जाना संभव ही नहीं है, क्योंकि रैम्प के निर्माण के बिना यह संभव ही नहीं है जबकि आज के समय में शहडोल से बाहर इलाज करने जाने वालो के लिए ऐसा कोई मरीज जो चल नहीं सकता उसे प्लेटफॉर्म के अंतिम भाग में ले जाकर घुमा कर प्लेटफॉर्म 02 में ले जाया जाता है, जिसके कारण मरीजों और दिव्यांगों को परेशान होना पड़ रहा है। शहडोल स्टेशन में रैम्प के निर्माण होना अत्यंत आवश्यक है।
किसी भी अस्पताल संबद्धता नहीं
रेल कर्मचारियों के लिए शहडोल रेल चिकित्सालय में इलाज के नाम पर केवल ओपीडी पर्ची काटने से ज्यादा कोई सुविधा नहीं है। पूर्व में अमृता अस्पताल से संबद्धता थी जो समाप्त हो गयी है और इसके बाद संबद्ध किये गए देवता अस्पताल में टाला लटक रहा है। जिसके कारण रेलवे कर्मचारियों को इलाज के लिए बिलासपुर जाना पड़ता है। अस्पताल से संबद्धता होने से स्थानीय इलाज करवाने वाले रेल कर्मचारियों और उनके परिवारजनों को सुविधा मिल जाती थी, लेकिन रेलवे के सक्षम अधिकारियों की रूचि न लेने के कारण रेल कर्मचारी इलाज हेतु परेशान हो रहे है।
आज तक नहीं बना कोच डिस्प्ले
प्लेटफॉर्म नं. 01 में कोच डिस्प्ले नहीं होने कारण कई बार रेल यात्रियों की ट्रेने छूट जाती है और ट्रेन आने पर यात्री अपनी बोगी खोजते हुए नजर आते है। कई बार ऐसा होता है ट्रेन का पूरा रैक उल्टा आ जाता है जिसके कारण प्लेटफॉर्म में भगदड़ की स्थिति निर्मित हो जाती है, लम्बी दूरी की ट्रेनों स्टॉपेज कम होने और ट्रेनों की लम्बाई अधिक होने के कारण यात्री सबसे ज्यादा परेशान हो रहे है।

शेड की लम्बाई छोटी
शहडोल स्टेशन के दोनों प्लेटफॉर्म में बने शेड की बात करें तो दोनों ही प्लेटफॉर्म में बने शेड की लम्बाई आधे से भी कम है जिसके कारण तेज बारिश में ट्रेन पकडऩे वाले यात्री पूरी तरह से भीग जाते है वही यात्रियों को स्टेशन में धूप में खड़े रहकर ट्रेन का इन्तजार करना पड़ता है । शेड की लम्बाई बढ़ाने और प्लेटफॉर्म-01 में कोच डिस्प्ले के निर्माण के कई बार मांग की गयी लेकिन आज तक यह मांग पूरी नहीं हो पायी है जिसके कारण शहडोल से ट्रेन पकडऩे वाले यात्री परेशान हो रहे है।
शहडोल के स्टेशन में नहीं है ढंग का स्टोर
दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे शहडोल के स्टेशन में कार्यरत ट्रैकमैन एसोसिएशन के पदाधिकारी ने हमें बताया कि एक ट्रैकमैन अपने जीवन का सबसे ज्यादा समय रेल ट्रैक पर ही बिताता है। ट्रैकमैन और पेट्रोलमैन के लिए रेल की सुरक्षा करना उसका प्रथम कार्य है ,साथ ही रेल की रिपेयरिंग पेट्रोलिंग ग्रीसिंग लुब्रिकेशन वेल्डिंग गिट्टी की छनाई, पैकिंग रेल उठाना जैसे कार्य किये जाते है और यह सतत किये जाने वाले कार्य है जो भीषण गर्मी तेज़ ठण्ड या बरसात हर मौसम में किये जाते है। शहडोल रेलवे स्टेशन में इस समय लगभग 100 ट्रैक में कार्य कर रहे है जिनके लिए एक ढंग का ऑफिस या स्टोर तक नहीं बनाया गया है। सामान रखने के लिए जो टूल रूम बना है उसका आकर इतना छोटा है जिसमें 02 आदमी भी मुश्किल से प्रवेश कर पाते है। जब कोई रेलवे का सक्षम अधिकारी दौरे पर आता है तो उसकी नजर इस अव्यस्था पर नहीं पड़ती है।

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