कोल्ड स्टोर में रखा जा रहा जहर: अमलाई थाना क्षेत्र में अमराडंडी समेत कई जगहों पर जहरीले फल, विभाग की चुप्पी पर सवाल

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शहडोल। फल मानव जीवन के लिए पोषण और सेहत का मुख्य स्रोत माने जाते हैं, लेकिन जब इन्हीं फलों को जहरीले रसायनों से पकाकर बाजार में बेचा जाए, तो यह सीधे-सीधे जनता के जीवन से खिलवाड़ है। शहडोल जिले के कई हिस्सों, विशेषकर अमलाई थाना अंतर्गत अमराडंडी क्षेत्र और आसपास, में बड़े पैमाने पर यही गोरखधंधा चल रहा है। यहां अधपके फलों को कोल्ड स्टोरों में जमा कर रखा जाता है और फिर केमिकल के जरिए पकाकर खुलेआम बाजार में बेचा जा रहा है।

चमक-दमक में छिपा जहर
बाजारों में बिक रहे केले, आम, पपीते और मौसमी फलों की चमक-दमक उपभोक्ताओं को लुभाती जरूर है, लेकिन इनकी सच्चाई डराने वाली है। जानकार बताते हैं कि इन्हें कैल्शियम कार्बाइड, इथोफेन और अन्य हानिकारक रसायनों की मदद से पकाया जाता है। बाहर से ये फल पीले और रसीले नजर आते हैं, लेकिन भीतर से अधपके और पोषणहीन रहते हैं। लंबे समय तक ऐसे फलों का सेवन करने से गैस, सिरदर्द, उल्टी-दस्त और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
व्यापारियों की मौज, जनता पर मार
अमराडंडी और जिलेभर के कोल्ड स्टोरों में अधपके फलों को महीनों तक संग्रहित रखा जाता है। जैसे ही मांग बढ़ती है, इन्हें बाहर निकालकर जहरीले रसायनों से पकाया जाता है। गर्मियों और त्योहारी सीजन में तो यह कारोबार और तेजी पकड़ लेता है। व्यापारियों के लिए यह मुनाफे का सौदा है, लेकिन जनता की सेहत पर सीधी चोट है।
विभाग की चुप्पी, पैसों में बिके अफसर
स्थानीय लोगों का कहना है कि खाद्य सुरक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग इस गोरखधंधे से पूरी तरह वाकिफ हैं, लेकिन कार्रवाई करने के बजाय आंख मूंदे बैठे हैं। लोगों का आरोप है कि संबंधित विभाग पैसों में बिक चुका है। यही कारण है कि अब तक किसी को भी इस अवैध कारोबार से रोकने की हिम्मत नहीं जुटी। प्रशासनिक चुप्पी पर जनता सवाल खड़े कर रही है।
बीमारियों का बाजार
विशेषज्ञों का कहना है कि कैल्शियम कार्बाइड से पके फलों में आर्सेनिक और फॉस्फोरस जैसे तत्व होते हैं, जो तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं। बच्चों पर इसका असर और भी खतरनाक है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि ऐसे फलों का लगातार सेवन गंभीर बीमारियों की जड़ बन सकता है। साफ है कि यह कारोबार जनता को सेहतमंद फल नहीं बल्कि बीमारियां परोस रहा है।
प्रदूषण की नई मार: कचरा खुले में
केवल जहरीले फलों का धंधा ही नहीं, बल्कि इनके संग्रहण और प्रोसेसिंग से निकलने वाला कचरा भी समस्या बना हुआ है। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि कोल्ड स्टोर और मंडियों से निकलने वाला सड़ा-गला फल और अन्य कचरा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मापदंडों के अनुसार निपटारा नहीं किया जा रहा। कचरे को खुले में फेंक दिया जाता है, जिससे दुर्गंध फैल रही है और मच्छरों-मक्खियों के जरिए बीमारियां पनप रही हैं। यह लापरवाही पूरे क्षेत्र को स्वास्थ्य संकट की ओर धकेल रही है।
जनता की मांग: तुरंत कार्रवाई हो
जिले के नागरिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से मांग की है कि कोल्ड स्टोर और फल मंडियों पर तत्काल छापेमारी की जाए। दोषियों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई हो, ताकि जनता की सेहत से खिलवाड़ करने वालों पर लगाम लगे। साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और खुले में फैल रहे कचरे पर तुरंत रोक लगानी चाहिए।

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