पट्टा बनवाने को भटक रही गरीब महिला

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नामांतरण के नाम पर 10 हजार रिश्वत की मांग

शहडोल। जिले की बुढ़ार तहसील अंतर्गत ग्राम सरईकांपा पटवारी हल्का नं. 24 रा.नि.मं. धनपुरी की आराजी ख.क्र. 511/10/1 रकबा 0.108 हे. के पूर्व स्वामी कमला व कमलेश बैगा पिता जिकाडी बैगा जो कि ग्राम सरईकापा कीे पुश्तैनी निवासी है। फरियादिया ने कलेक्टर को लिखित शिकायत देते हुए बताया कि फरियादिया ने पूर्व स्वामी कमला व कमलेश बैगा पिता जिकाडी बैगा से भूमि खरीदी थी, जिसकी रजिस्ट्री, नामांतरण तहसीलदार बुढार के समक्ष नामांतरण के लिए आवेदन दिया गया था, जिसके प्रतिवेदन के लिए पहले उक्त पटवारी ने अपने कोटवार होरीलाल बैगा को मेरे पास भेजा बोला प्रतिवेदन बनवाना है, मैडम से मिल लो, तो मैं किरण मिश्रा से रिन्कू मिश्रा निवासी ग्राम सरईकापा के घर में बैठी थी तो, बोली कि तुमको यदि पट्टा बनवाना हो तो 10 हजार रूपये लेकर मेरे आफिस तहसील बुढार में आ जाना, जिस पर फरियादिया ने बताया कि वह एक गरीब महिला है, मेहनत मजदूरी करके किसी कदर अपना जीवनयापन कर रही हूँ।

फरियादिया ने बताया कि मैं पटवारी मैडम के आफिस गई और हाथ जोडक़र, पैर पकडकर बोली कि मैडम मेरे पास उतना पैसा नहीं है जिनता आप मांग रहे है। आप पट्टा मेरा बना दीजिये जो भी होगा चाय-नाश्ता के लिये मैं पैसा आपको दे दूंगी। लेकिन हल्का पटवारी ने अपने प्रतिवेदन में जंगल-झोपडी म.प्र. शासन लिखकर प्रतवेदन दे दिया और तहसीलदार द्वारा मेरे आवेदन को खारिज कर दिया गया, जब मैं पटवारी से मिलने गयी तो, बोली कि पैसा दे दिये होते तो मैं म.प्र. शासन नहीं लिखती। इसके पूर्व बिगुल केवट ने जो जमीन बिक्री की थी, उनका पट्टा मैंने बना दिया है। तुमने नहीं दिया इसलिये मैं नहीं बनायी, जबकि उक्त आराजी नंबर 511 में कई आदिवासी एवं केवट लोग बसे हुये है, उनकी पट्टा पटवारी के द्वारा बना दिया जाता है और कई पुश्तों से उक्त आराजी पर निवासरत है, लेकिन पटवारी ने रंजिशन मेरे पट्टे को प्रतिवेदन में जंगल-झोपडी लिखकर आवेदन को खारिज करा दिया है। इसके पूर्व अभी हाल में 1-2 वर्ष पूर्व बिगुल केवट ने जमीन बिक्री की है तो, क्रेताओं के नाम में यही पटवारी ने प्रतिवेदन में पुश्तैनी लिखकर पट्टा बना दी है और मेरे में जंगल-झोपडी लिखकर आवेदन को खारिज कर दिया गया है। फरियादिया ने कलेक्टर को दी गई लिखित शिकायत में मांग की है कि उक्त हल्का पटवारी के ऊपर उचित कार्यवाही करते हुये रजिस्ट्री नामांतरण कराकर न्याय दिलाया जाये।

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