फॉरेस्ट ट्रेनिंग स्कूल अमरकंटक परिषर में  निवासरत मकान में गिरा पेंड।

0

गिरीश राठौर

पहले भी घर पर दो बार गिरा चुकी है नीलगिरी की टहनियां ,वन विभाग के अधिकारीयों को बड़ी घटना का इंतजार

 

अमरकंटक/  फॉरेस्ट ट्रेनिंग स्कूल (वन विद्यालय)अमरकंटक में  फॉरेस्टर , फॉरेस गार्ड , रिफ्रेसर कोर्स डिप्टी रेंजरों जैसे पदों के अधिकारियों की इस विद्यालय में पढ़ाई करवाकर उन्हे ट्रेनिंग दी जाती है । अमरकंटक वन विद्यालय में लगभग सौ सीटर फारेस्टर और फॉरेस गार्ड जैसे पदों के ट्रेनीज अनेक स्थानों , जिलों से यहां आकर अपना ट्रेनिंग कैरियर बनाने की डिग्री हासिल करते है । वर्तमान में इसमे एनसीसी कैंप भी चल रहा है । इस वन विद्यालय परिसर के अंदर से ही 11 सौ के व्ही बिजली की लाइन भी निकल कर आगे वार्डो के अलावा जवाहर नवोदय विद्यालय जाती है । वन विद्यालय में एक ट्रांसफार्मर भी लगा है जिससे पूरे वन विद्यालय में बिजली की सप्लाई होती है साथ ही अन्य घरेलू , गैर घरेलू , नवोदय विद्यालय जैसे जगह तक सप्लाई पहुंचती है ।

कुछ दिवस पूर्व अचानक आंधी तूफान आया और युकेलिपटिस के पेड़ व उनकी शाखाएं टूट कर बिजली के तारों, खंभों और मकानों में जा गिरे जिससे लगभग बिजली के छः सात पोल और ट्रांसफार्मर सब धरासाई हो गया । दो रातों की कड़ी मशक्कत के बाद बिजली की सप्लाई दुरुस्त हो पाई । जिसमे लगभग ढाई लाख की राशि खर्च होने की जानकारी बताई गई । जल्दी दुरुस्त होने की मुख्य वजह थी एन सी सी कैंप जिसमे बच्चे अंधेरे के साथ पानी की परेशानी आदि वजह से जूझ रहे थे , टैंकर व्यवस्था थी । नीलगिरी की डाली 12 तारीख की सुबह वन विद्यालय के एक कर्मचारी के मकान में अचानक नीलगिरी की भारी भरकम टहनी टूट कर मकान के ऊपर आ गिरी । जिसमे परिवार के सदस्य निवासरत थे , परिवार के एक बुजुर्ग काफी भयभीत हुआ । वन विद्यालय के वन रक्षक रमाकांत पटेल बताए की उसके मकान में आज दूसरी बार पेड़ गिरा और खतरा उत्पन्न हुआ । परिवार के सभी लोग बाल बाल बचे , अन्यथा कोई भारी अनहोनी उत्पन्न हो सकता थी । इस निवासरत मकान पर उसी विद्यालय के कर्मचारी वन रक्षक परिवार के साथ निवास करते थे , घटना बाद विद्यालय का प्रशासन कई घंटो बाद जागा और उन्हें अन्यत्र व्यवस्था की । जबकि घटना होते ही इसकी जानकारी सभी उच्चाधिकारियों को तुरंत दे दी गई थी लेकिन विद्यालय के अधिकारी कई घंटो बाद उस क्षतिग्रस्त मकान को देखने पहुंचे । वन विद्यालय के कर्मचारी कई बार हो रही घटनाओं से अधिकारियों को रूबरू करवाते रहते है पर वन विद्यालय अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते है । घटना के भय का वर्तमान मुख्य वजह यूकेलिपटिस के पेड़ है जो लगभग 40 – 45 वर्षो से अपने स्थानों पर खड़े है जिनकी शाखाएं भारी भरकम रूप लिए खड़े है , जिनकी कभी छ्टनी तक नही हुई ।

वन विद्यालय के मुख्य मार्ग के दोनो किनारे लगभग 100 फिट ऊंचे और 03 मीटर से ज्यादा मोटाई वाले नीलगिरी के वृक्ष खड़े हुए है जिनकी पांच छः वर्ष पूर्व में मार्किंग भी हुई थी लेकिन वन विद्यालय अधिकारी आंख बंद करे बैठे है । इन्ही के पास में ही कर्मचारियो के निवासरत मकान भी बने हुए है । आंधी तूफान के चलने पर नीलगिरी के बड़े बड़े पेंढ़ हिलते डुलते रहते है और कभी कभी उनकी बजनी लताएं टूट भी जाती है । अब ये लताएं या टहनियां चाहे मकानों में गिरे या बिजली के तार , खंभों में । खतरा तो लगातार बना ही रहता है । वन विद्यालय के अधिकारी खतरा बनाए हुए है , अगर वो चाहे तो सब ठीक हो सकता है पर नही ।

इसी तरह विद्युत विभाग भी वन विद्यालय के अधिकारियों से भी परेशान हो चुका है । विद्युत विभाग के कर्मचारी , अधिकारी कई बार मौखिक रूप से कह कह कर थक चुके है की नीलगिरी के बड़े बड़े वृक्षों के टहनियों को छटवा दो , काट दो ताकि आंधी तूफान या बारिश में अचानक आने वाली परेशानियों से या होने वाली छती को रोका जा सके , लेकिन उनकी भी कोई नही सुनता । जब वन विद्यालय के अधिकारियों पर जूं नहीं रेंगी और विद्युत विभाग के बातो को नजर अंदाज करता चला आ रहा , तब उन्होंने एक लिखित पत्र कार्यालय संचालक वन विद्यालय अमरकंटक के नाम भेज दिया और लिखा की आप अपने विद्यालय परिषद अंदर 11 सौ केव्ही पोल , कंडक्टर के आस पास लगे वृक्षों के शाखाओं , व्रक्षों को कटवाया जाय ताकि लगभग 450 घरेलू , गैर घरेलू , नवोदय विद्यालय जैसे उपभोक्ताओं को अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ता है और 11 सौ केव्ही लाइन को सिफ्ट कराने की कार्यवाही करें।

 

इनका कहना है :-

यह दूसरी बार घर के ऊपर टहनियां गिरी है , इसकी जानकारी सभी अधिकारियों को है ।

रमाकांत पटेल(वन रक्षक)

वन विद्यालय

बिजली लाइन के आस पास वृक्षों को छटायी , कटाई हेतु मौखिक कई बार बोला गया पर आज लिखित भी दे दिया गया है ।

लक्ष्मी नारायण सोनवानी

कनिष्ठ अभियंता अमरकंटक

नीलगिरी व्रक्षों के टहनियां , छाल गिरकर बिजली लाइन को भारी क्षति पहुंचाते है बारिश में ज्यादा ।

प्रेमलाल प्रजापति

लाइन परिचालक

वन विद्यालय के अधिकारी (रेंजर) से फोन पर बात करना चाहा गया तो फोन काल नही उठाए ।

अमरकंटक से श्रवण उपाध्याय

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed