नियमों को ताक पर रखकर आंगनबाड़ी में भर्ती! तीन साल से लंबित आपत्ति, भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच विधवा आवेदिका को अब तक नहीं मिला न्याय

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(जय प्रकाश शर्मा)
मानपुर। नगर परिषद मानपुर के वार्ड क्रमांक 6 स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। आवेदिका सपना शर्मा ने आरोप लगाया है कि परियोजना अधिकारी ने पैसों का लेनदेन कर नियम विरुद्ध नियुक्ति की है। आपत्ति और शिकायत दर्ज होने के बावजूद मामले को तीन साल से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
कैसे शुरू हुआ विवाद
आंगनबाड़ी सहायिका पद पर भर्ती के लिए 28 अप्रैल 2023 को आवेदन आमंत्रित किए गए थे। कुल 6 आवेदकों में से परियोजना अधिकारी राज नारायण सिंह ने 5 अक्टूबर 2023 को अंतरिम सूची जारी की। इसमें शशि तिवारी पत्नी कमलेश तिवारी को मेरिट के आधार पर प्रथम स्थान दिया गया।
इस पर आवेदिका सपना शर्मा ने कड़ा विरोध दर्ज करते हुए कहा कि शशि तिवारी वार्ड क्रमांक 6 की नहीं बल्कि वार्ड क्रमांक 5 की निवासी हैं। जबकि नियमानुसार भर्ती केवल उसी वार्ड की वोटर लिस्ट में दर्ज अभ्यर्थी की हो सकती है।
शिकायतें और प्रशासनिक खामोशी
सपना शर्मा ने 10 अक्टूबर 2023 को एसडीओ मानपुर और 18 अक्टूबर 2023 को कलेक्टर उमरिया को आवेदन देकर अंतरिम सूची निरस्त करने और जांच की मांग की थी। लेकिन कार्रवाई के बजाय मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
नौ माह बाद अचानक शशि तिवारी को वार्ड क्रमांक 6 के आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 2 में सहायिका के रूप में कार्यरत देखा गया। जब सपना शर्मा ने परियोजना कार्यालय से जानकारी मांगी तो आरोप है कि कर्मचारी ने अभद्रता करते हुए बाहर निकाल दिया और कहा “जो करना है कर लो, नियुक्ति हो चुकी है।”
जॉइनिंग आदेश भी संदिग्ध
जब पीड़िता ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अंजना द्विवेदी से जॉइनिंग आदेश की जानकारी चाही तो कार्यकर्ता ने साफ कहा कि उन्हें कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ। इससे संदेह और गहरा गया कि पूरी भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है और उसे छिपाने का प्रयास किया जा रहा है।
भ्रष्टाचार के आरोप
सपना शर्मा का आरोप है कि परियोजना अधिकारी ने पैसों के लेनदेन के जरिए नियम विरुद्ध नियुक्ति कराई। न तो नोटिस बोर्ड पर आदेश चस्पा किया गया और न ही कार्यकर्ता को जानकारी दी गई। जिला कार्यक्रम अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया।
न्याय की उम्मीद
विधवा सपना शर्मा लगातार न्याय के लिए अधिकारियों से गुहार लगा रही हैं। उन्होंने कलेक्टर धर्णेंद्र कुमार जैन से मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
बड़ा सवाल
यह मामला केवल एक भर्ती घोटाले का नहीं बल्कि पूरे तंत्र की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है। आखिरकार जब नियमों का उल्लंघन हुआ और स्पष्ट आपत्तियां दर्ज की गईं, तब भी कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या भ्रष्टाचार ने व्यवस्था को पंगु बना दिया है या फिर मामले को दबाने की कोशिश हो रही है?

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