छत्तीसगढ़ से सडक़ मार्ग से पहुंच रहा आरओएम @ ग्रेड का खेल कर करोड़ों का वारा न्यारा

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साइडिंग की आड़ में कोयले का फर्जी भंडारण

छत्तीसगढ़ से सडक़ मार्ग से पहुंच रहा आरओएएम

ग्रेड का खेल कर करोड़ों का वारा न्यारा

साइडिंग में हेरफेर कर भेज रहे नहेला का आरओएम

बिजुरी स्थित रेलवे साइडिंग का मामला

बिजुरी के कोल कारोबारी का कारनामा

हर माह हो रहा करोड़ों का काला कारोबार

कोयले के डस्टबिन डूबा पूरा अंचल

स्कूल के साथ ही पेड़ पौधे भी हुए धूल-धुरसित

 

अनूपपुर जिले के अंतिम छोर पर स्थित बिजुरी नगर पालिका क्षेत्र से सटे रेलवे के कोल साइडिंग इन दिनों कोल कारोबारियों के लिए जुगाड़ का अड्डा बन चुका है, रेलवे के रैकों में कोयला लोड करने और माईंसों से यहां लाकर कोयला रखने के फेर में हजारों टन कोयले का अवैध भंडारण किया गया है, स्थानीय माइंस के साथ छत्तीसगढ़ से अवैध रूप से कोयला लाकर यहां गोलमाल किया जा रहा है।

शहडोल। संभाग अंतर्गत कोयले का काला कारोबार अब पहले की तरह अवैध माइनिंग के रूप में तो काफी कम हो चुका है, लेकिन एसईसीएल के द्वारा संचालित माईंनस और कोल कारोबारियों की आपस में सेटिंग के बाद शहडोल और अनूपपुर दोनों जिलों में कोयले का नया खेल खेला जा रहा है, जिसमें कोयले के कारोबारी एक तरफ सफेदपोश बने हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ पहले से ज्यादा कोयले की हेरफेर और उसकी काली कमाई को अब कई गुना बढ़ा चुके हैं । कोल माईंस से रेलवे कोल साइडिंग के मार्फत विभिन्न उपक्रमों में कोयला परिवहन के नाम पर जो खेल खेला जा रहा है, यदि इस मामले की जांच की जाए तो अनूपपुर जिले के बिजुरी स्थित जिंदल की कोल साइडिंग एक बार फिर शहडोल जिले के अमलाई स्थित प्रमोद जैन के कोल साइडिंग में हुए हेरफेर की याद ताजा कर देती है।

अधिकारियों के साथ चल रहा खेल

स्थानीय लोगों की मानें तो बिजुरी स्थित जिंदल की कोल साइडिंग में कोयले के परिवहन के साथ लोडिंग-अनलोडिंग आदि का पूरा जिम्मा या यह कहें कि कोल साइडिंग बिजुरी के बड़े कारोबारी गिरधारी सेठ के पुत्र दीपक गुप्ता के जिम्मे हैं, उन्हीं के निर्देशन और संरक्षण में यह साइडिंग कई वर्षों से संचालित है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि गिरधारी गुप्ता अनूपपुर जिले के सबसे बड़े कोल कारोबारियों में शामिल है, इनका नेटवर्क मध्य प्रदेश के विभिन्न कोल फील्ड एरिया से लेकर छत्तीसगढ़ के कई जिलों और प्रदेश से बाहर अन्य कारोबार में भी इनका नेटवर्क फैला हुआ है। बिजुरी की कोल साइडिंग से कारोबारियों ने इस तरह का जुगाड़ बनाया है कि ऊपर से सफेदपोश दिखने वाले समाजसेवी का चोला और तथाकथित कारोबारी अंदर ही अंदर करोड़ों का खेल अधिकारियों के साथ मिलकर इस तरह खेल रहे हैं कि किसी को भनक तक नहीं लग पा रही है।

यह है कारोबारी पर आरोप

अनूपपुर जिले के अंतिम छोर पर स्थित बिजुरी कोल रेलवे साइडिंग बीते कई वर्षों से समय-समय पर सुर्खियों में रही है, हालांकि यहां पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ ही पर्यावरण और परिवहन के अन्य कार्यों के अलावा सामुदायिक विकास निधि के तहत किए जाने वाले कार्य हमेशा ना होने के कारण सुर्खियों में रहे हैं, इन सभी के कायदों की धज्जियां तो उड़ती ही रही है, लेकिन इस बार जो जानकारी सामने आई है उसमें कोयला कारोबारी गिरधारी सेठ की फर्म के द्वारा बिजुरी साइडिंग में जिंदल कंपनी का जो काम किया जा रहा है, उसमें उनके द्वारा कोल साइडिंग को पुलिस के साथ ही कोल इंडिया व रेलवे के जिम्मेदारों का संरक्षण भी मिल रहा है। इसी सेवा से मिले संरक्षण के कारण ही रेलवे साइडिंग में कोयले के अवैध भंडारण को वैद्यता प्रदान की गई है।

छत्तीसगढ़ से आता है आरओएम

साइडिंग में कभी भी खनिज के अधिकारी और कोल इंडिया के जिम्मेदार सत्यापन करने तक नहीं आते। कोयले का परिवहन माइंसों से साइडिंग के लिए कितना हुआ है, कितना साइडिंग से रेल बैगनों में डिस्पैच हो चुका है और कितना यहां पर मौजूद है। सत्यापन ना होने के कारण आसपास की माइंसों के साथ ही छत्तीसगढ़ के नहेला, चांपा और बिलासपुर स्थित साइडिंग से आरओएम बड़ी मात्रा में सडक़ मार्ग से यहां पहुंचता है और उसे फिर उच्च ग्रेड का कोयला बताकर रेल के माध्यम से उपक्रम में भेज दिया जाता है। खबर है कि बीते ढ़ाई महीनें में छत्तीसगढ़ से चोरी-छुपे आये घटिया कोयले के चार रैक यहीं साइडिंग में गोलमाल करने के बाद उच्च ग्रेड का दिखाकर भेजे जाने की भी खबर है।

इस तरह करते हैं गोलमाल

मध्यप्रदेश के साथ ही अन्य प्रदेशों में सीमेंट पावर प्लांट तथा ऐसे ही अन्य बड़े उपक्रम कोल मार्इंसों से ईंधन के रूप में जो कोयले की खरीदी करते हैं, उन्हें ट्रेनों के माध्यम से माईंसो के बाद रेलवे साइडिंग से होते हुए उन तक पहुंचना होता है, बड़े उपक्रम कोयले के डीओ एलार्ट होने के बाद इस तरह के अन्य कार्य स्थानीय ठेकेदारों को दे देते हैं , जो कोयला कोल इंडिया से क्रय करते हैं, उसकी ग्रेड और वर्तमान में जा रहे कोयले की ग्रेड का ही खेल है। यही नहीं खरीदे गये कोयले की तादात निर्धारित होने के बाद कोल माईंसों से कोयला उत्खनन के बाद अपने वाहनों से परिवहन कर रेलवे साइडिंग में रखना और फिर रेलवे के बैगनों में लोड करने के इस खेल के बीच स्थानीय कारोबारी अपना जुगाड़ बनाते हैं। माईंसों शो से कोयला ट्रकों में लोड होने के साथ ही खेल शुरू हो जाता है , यहां स्थानीय कोल कारोबारियों के गुर्गे तैनात रहते हैं, जो माइंस के अधिकारियों से जुगाड़ बना कर पहले से ही क्रय की गई कोयले की ग्रेड से अच्छी ग्रेट का कोयला ट्रकों में लोड करवाते हैं, इसमें लोड हो रहे कोयले की क्वांटिटी का भी खेल होता है, माईंसों से कोयला माईनस 250 एमएम से 100 एमएम साईज में निकलना चाहिए, लेकिन स्टीम ट्रंच साईज में कोयला निकाला जाता है, कोल यार्ड बिजुरी में रखे कोयले के बड़े-बड़े स्टीम ट्रंच साईज इस बात के गवाह हैं।

अनाधिकृत तौर पर संग्रहण

क्रय की गई कोयले की ग्रेड से अच्छी ग्रेड का कोयला और अधिक मात्रा में कोयला उनके निजी वाहनों में लोड होता है और कोल साइडिंग पहुंचता है, कोल साइडिंग में लाकर इस कोयले को रखा जाता है और इसी कोल साइडिंग में छत्तीसगढ़ की अन्य मांगों से आरओएम अर्थात रनिंग ऑफ माइंस जो सामान्य क्वालिटी का कोयला रहता है, कोयले का चूरा सस्ते दर पर यह साहूकार खरीद कर अपने वाहनों से यहां अनाधिकृत तौर पर यहां साइडिंग में संग्रहण करते हैं और फिर यही रनिंग ऑफ माइंस दर का कोयला रेलवे में लोड करके उस उपक्रम को भेजा जाता है, जिससे स्थानीय माइंस से कोयला किया था।

हजम कर रहे करोड़ों

कोयले के इस काले खेल का अगला पार्ट-2 शुरू होता है, जो स्टीम कोयला स्थानीय माईंसों से साईडिंग लाया जाता है, उसकी जगह दोयम दर्जे का कोयला उपक्रम में भेज दिया जाता है और यहां साइडिंग में रखा स्थानीय माईंसों से आया स्टीम कोयला जिनके दरों में फर्क प्रति टन हजारों रुपए होता है, उसे उच्च दरों में कोल कारोबारी अन्य को विक्रय कर रहा है, दूसरी तरफ माईंसों से सेटिंग कर क्षमता से अधिक लाया गया कोयला और शार्टेज के नाम पर भी टनों कोयला धीरे-धीरे यहां पर हजारों टन हो जाता है, यह बिल्कुल मुफ्त की रेवड़ी की तरह होता है, जिसमें कोल माईंस के अधिकारियों, पुलिस व रेलवे सहित जागरूक लोगों को 10 से 15 प्रतिशत बांटी जाती है, बाकी 85 से 90 प्रतिशत रेवडिय़ा जो प्रति माह करोड़ों की होती हैं, उसे कारोबारी खुद हजम करते हैं।

इनका कहना है…

वर्तमान में हमारा काम यहां नहीं चल रहा, हमारे साथ कई अन्य फर्में हैं, जो समय-समय पर साइडिंग का उपयोग करती हैं, मैं कई दिनों से वहां नहीं गया हंू, इसलिए स्टॉक और अन्य चीजों का जवाब मैं नहीं दे सकता।
दीपक गुप्ता
संचालक
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इस संदर्भ में जब जिला खनिज अधिकारी अनूपपुर से बात करने का प्रयास किया गया तो, उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।

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