आरटीआई नियमों की खुलेआम उड़ रही धज्जियां, लोगों के अधिकारों से जनपद सोहागपुर में हो रहा खिलवाड़

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दिखावे का बना है शहर में संभागीय मुख्यालय
शहडोल। जिले में सूचना के अधिकार जिसे संविधान की धारा 19.1 के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है, धारा 19.1 जिसके तहत प्रत्येक नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है और उसे यह जानने का अधिकार है कि सरकार कैसे कार्य कर रही है इसकी क्या भूमिका है, इसके क्या कारण हैं आज बातें सूचना के अधिकार के तहत प्रत्येक नागरिक को सरकार से और अन्य विभागों से प्रश्न पूछने का अधिकार देता है, इसमें टिप्पणियां सारांश अथवा दस्तावेजों का अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियां व सामग्री के प्रमाणित नमूनों की मांग की जा सकती है , लेकिन जिले की सोहागपुर जनपद पंचायत में इंफॉर्मेशन की इस महत्वाकांक्षी योजना के अधिकार का खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और लोगों के अधिकारों से खिलवाड़ किया जा रहा है।
अपील के बाद भी नहीं मिले दस्तावेज
सोहागपुर जनपद में की ग्राम पंचायत कल्याणपुर में आरटीआई के तहत जानकारी चाही गई थी, जिसके बाद पंचायत से जानकारी न मिलने के कारण इसकी अपील जनपद कार्यालय सोहागपुर में की गई थी, लेकिन पंचायत सहित जनपद में बैठे जिम्मेदारों ने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए आज तक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई, आवेदक ने अपील करने के साथ ही जनपद कार्यालय को स्मरण पत्र भी भेजा था, लेकिन जनपद में बैठे जिम्मेदार जानकारी देने की बजाये, आवेदक को कोई पत्र तक भेजना मुनासिब नहीं समझा।
भ्रष्टाचारियों को दिया जा रहा प्रश्रय
आरटीआई के संबंध में जनपद में बैठे जिम्मेदारों की वास्तविकता कुछ और है, सूत्रों की माने तो जनपद पंचायत सोहागपुर की ग्राम पंचायतों में खुलेआम भ्रष्टाचार हुआ है, ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी जनपद के जिम्मेदार को नहीं है, लेकिन इन भ्रष्टाचार पर कार्यवाही करने की बजाय, भ्रष्टाचारियों को खुलेतौर पर प्रश्रय दिया जा रहा है, सूत्रों की माने तो जनपद के मुखिया सहित जनपद में बैठे बाबुओं का पंचायत में कमीशन फिक्स है, उन्हें लगभग पंचायत में हुए भ्रष्टाचार की जानकारी होने के बावजूद कार्यवाही करने से बचते नजर आते हैं।
चाटुकार बाबुओं से घिरे अधिकारी
जनपद में ऐसे बाबु हैं जो इन दिनों से जनपद के अधिकारी की चाटुकारिता कर अधिकारी सहित अपने लिए कमाई का जुगाड़ बना रहा है, जिस कारण अधिकारी भी इन्हें हटाने में आनाकानी करते नजर आते हैं, सूत्रों की माने तो इन दिनों सोहागपुर जनपद पंचायत कार्यालय में बाबुराज चल रहा है, जहां अधिकारी खुद अपना कमीशन मांगते फिरते हैं, वहीं अधिकारियों को लोगों को मिलने वाली सुविधाओं से कोई सरोकार नहीं है, जबकि भारत सरकार ने किसी भी सार्वजनिक प्राधिकरण के कार्य कार्यक्रम में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने के लिए सार्वजनिक प्राधिकरण को नियंत्रण के अंतर्गत सूचना तक पहुंच पाने है, सूचना के अधिकार की व्यावहारिक व्यवस्थाओं को लिखित करने के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 बनाया है।
हो सकती है कार्रवाई …..
आमतौर पर सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी 30 दिन के अंदर, सुरक्षा से संबंधित मामलों में 24 घंटे में, थर्ड पार्टी प्राइवेट कंपनी के 45 दिन में जानकारी देने के प्रावधान है, साथ ही संबंधित विभाग के संबंधित अधिकारी पर 250 के हिसाब से 25000 तक जुर्माना हो सकता है, सूत्रों की माने तो इन दिनों जनपद पंचायत सोहागपुर में अधिकारियों को ऊपर से मिलने वाले चंद चांदी के सिक्कों से ही सरोकार रह गया है, जिससे पंचायत में खुलेआम भ्रष्टाचार फल-फूल रहा है।