गेट जाम कर जताया विरोध, सडक़ पर लगी वाहनों की कतार
                                                                                                        प्रदूषण के खिलाफ स्थानीय लोगों ने कोल प्रबंधन के खिलाफ खोला मोर्चा
शहडोल। ओपन कास्ट परियोजनाओं के लिए कोयला परिवहन में लगे वाहन प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बने हुए हैं, गौरतलब है कि शारदा ओसीएम से निकलने वाले वाहनों से सडक़ें तो खराब हो रही है, दूसरी ओर सडक़ दुर्घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। कोयले की उड़ती धूल से पैदल व वाहन चालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सडक़ मार्ग से कोयला परिवहन में लगे सैकड़ों डंपरों से प्रतिदिन मुख्य मार्ग पर कोयला गिरता है। दिन-रात परिवहन
में लगे अधिकांश डंपर व ट्रेलर जर्जर हो गए हैं। जहां से ट्रक कोयला लेकर गुजरती है, वहां के इलाकों में स्वास्थ्य को लेकर आपात स्थिति बन जाती है। आरोप है कि ट्रक और हाईवा चालकों के द्वारा ट्रकों को तेज गति से सडक़ों पर
दौड़ाया जाता है, जो अक्सर दुर्घटनाओं का कारण बनती है। जड़ दिया गेट पर ताला सडक पर जमे कोयले की धूल नहीं हट सकी है, शारदा खुली खदान से निकलने वाले वाहनों के चलते रहवासी प्रदूषण की मार से घुट-घुट कर जीने को विवश हैं। उल्लेखनीय है कि मंगलवार को स्थानीय लोगों ने परेशान होकर शारदा खुली खदान के गेट पर ताला जड़ दिया, जिसके बाद सडक़ के किनारे वाहनों की लंबी कतार लग गई, घटना की जानकारी लगते ही अमलाई थाना का पुलिस स्टॉफ मौके पर पहुंचा, प्रबंधन के खिलाफ स्थानीयजनों ने आरोप लगाया कि लगातार प्रबंधन को स्थिति से अवगत कराया जा रहा था, लेकिन प्रबंधन द्वारा ध्यान न देने के चलते गेट पर ताला जड़ दिया गया। ओपन कास्ट और इससे फोड़ कर कोयला निकालना बड़ा कारण माना जा रहा है। खदानों से निकलने वाले कोल डस्ट के संपर्क में आकर आस-पास की हवा और पानी को प्रदूषित हो रही है, नियमानुसार हाइवा या ट्रक से जो कोयले की ढुलाई हो रही है, उसे ढंक कर ले जाना है। कोयला ढुलाई में वाहन वाले इस नियम का पालन नहीं करते हैं। इसके कारण तेज रफ्तार में चल रहे वाहनों से कोयला डस्ट उडक़र प्रदूषित कर रहा है। नियम के अनुसार कोयला ढुलाई के लिए अलग सडक़ होना चाहिए। जिसे आम लोगों को कोई मतलब नहीं है, लेकिन शारदा ओसीएम से निकलने वाला कोयला एनएच पर ढुल रहा है, जिसका एनएच का उपयोग आम लोग करते हैं। शारदा खुली खदान में प्रदूषण जांच के नाम पर खानापूर्ति होती है। सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जगह-जगह जांच की व्यवस्था करे, जिससे पता चल पाए कि कितना प्रदूषण है और समय रहते इसके रोकथाम के उपाय किए जाएं। जानकारों की माने तो, प्रदूषण रोकथाम के तीन उपाय है,
हो, कोयला ढुलाई में यातायात नियमों, वाहनों में ढक कर कोयला ले जाने की व्यवस्था आदि का कड़ाई से पालन होना चाहिए। इससे 50 फीसदी प्रदूषण की समस्या पर रोक लग सकती है। कोयला उत्पाद वाले क्षेत्रों में कोयला उत्पादन
करने वाला प्रबंधन स्थानीय लोगों के हित में बराबर पानी का छिडक़ाव करनी है। हर रोज सुबह, दोपहर और शाम में पानी छिडक़ाव करना है। इस नियम का पालन जरूरी है। कोल प्रबंधन सिर्फ कोयला उत्पादन करती हैं, स्थानीय लोगों के हित में कुछ नहीं करती हैं। सही से पानी का भी छिडक़ाव नहीं किया जाता है। शारदा खुली खदान में ताला जडऩे वाले स्थानीय लोगों ने कहा कि कोल डस्ट के कारण सांस लेना दुश्वार हो गया है। ओपन कास्ट से ज्यादा प्रदूषण फैल रहा है। सांस लेने में दिक्कत होती है, लोगों को जानलेवा बीमारियां होने का खतरा बना हुआ है, लेकिन सरकार और एसईसीएल इसके रोकथाम के लिए कुछ नहीं कर रहा। खांसते हैं तो कोल डस्ट निकलता है। पानी ढक कर नहीं रखे तो पीना मुश्किल हो जा रहा है। बीमारियों का कारण प्रदूषित हवा और पानी चिकित्सा विभाग से जुड़े जानकारों की माने तो, कोल डस्ट के कारण सांस संबंधित बीमारियां अस्थमा, सिलकोसिस, टीवी एवं लंग्स जैसी बीमारियां हो सकती है, प्रदूषित हवा के कारण पानी भी प्रदूषित हो रहा है, इसके कारण दो साल से कम उम्र के बच्चों में डायरिया का खतरा बना हुआ है, वहीं प्रदूषित पानी में स्नान के कारण चर्म रोग भी खतरा होता है, स्थानीय लोगों ने शारदा खुली खदान के प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपनी आवाज बुलंद की, लोगों ने कहा कि अगर समय रहते प्रबंधन प्रदूषण का कोई समाधान नहीं करता है तो, गेट पर हमेशा के लिए ताला जड़ दिया जायेगा। लोगों ने स्थानीय प्रशासन सहित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी मांग की है कि क्षेत्र की फिजा में घुल रहे प्रदूषण के संबंध में समय रहते संज्ञान लिया जाये।

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