साहब, यह सब ठीक नहीं चल रहा है।

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शहडोल।थाना प्रभारी ने तो मानो अंधेर मचा दिया है। मझौले साहब हों या बड़े साहब सबके नाम पर बराबर वसूली चल रही है। पप्पू के बाद अब इसमें एक पुराने सजातीय की भी एंट्री हो गई है।
लोन लेकर गाड़ी चलाने वाले चालक बहुत परेशान हैं अब तो हालत यह हो गई है कि या तो वे आत्महत्या कर लें, या फिर पेट पालने के लिए चोरी-डकैती जैसे रास्ते अपनाएँ। ट्रैफिक का पूरा खेल किसी और के हाथ में चला गया, लेकिन पूरी डायरी ठाकुर साहब को थमा दी गई है। बाकायदा वसूली वह भी बढ़ी हुई चल रही है। एक-एक मेटाडोर से रोज़ 5500 रुपए लेना आखिर कितना जायज़ है? गली-गली में चर्चा है, और लोग वोट देकर अब “सब चोर” का नारा लगाने लगे हैं। वाकई सब गलत हो रहा है।
बड़े साहब ने जैसे आँखें मूंद रखी हैं, जबकि संजय उनके ही विभाग में है, जो चाहे तो उनकी यह ‘पट्टी’ खोल सकता है। जिस हिसाब से हर दिन हर गाड़ी से 5500 की वसूली हो रही है, उससे बेरोज़गार मेटाडोर चालकों में प्रतिस्पर्धा और तनाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में किसी दिन पटवारी हत्याकांड या रेत के खेल में मारे गए पुलिसकर्मी जैसी घटना की पुनरावृत्ति हो सकती है और उस दिन फिर साहब भी उसका जवाब नहीं दे पाएँगे।

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