पुलिस लाइन में मेडिकल का आवेदन छोड़ इंदौर-उज्जैन में मनोचिकित्सक को ढूंढ रहे अमित
भोपाल। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में पुलिस विभाग की छवि इस कदर सड़क पर धूल धुरषित हो रही है कि उसकी चर्चा शहडोल पुलिस जोन के अन्य जिलों की बात तो दूर पूरे मध्य प्रदेश में होने लगी है दरअसल मामला साइबर सेल से जुड़े पूर्व प्रभारिक अमित दीक्षित का है जिसके इंदौर से लेकर शहडोल तक के कारनामे चर्चा का विषय बने हुए हैं अमित दीक्षित की एक तरफ एसटीएफ इंदौर किसी मामले को लेकर जांच कर रही है वहीं दूसरी ओर शहडोल में उसे साइबर सेल प्रभारी बनाने उसके नाम पर आवास आवंटित करने गांजा तस्करी में उसकी संलिप्तता होने के अलावा बीते 2 नवंबर को मारपीट के मामले ने अमित को फिर से सुर्खियों में ला दिया है हालांकि अभी तक शहडोल से लेकर इंदौर और भोपाल में बैठे पुलिस विभाग के आला अधिकारियों की चरण वंदना के कारण कोई विभागीय कार्यवाही इन बिंदुओं को लेकर नहीं की गई है 2 नवंबर को अमित दीक्षित के शासकीय आवास पर महिला के साथ हुई मारपीट ने इस मामले को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया अमित ने महिला के साथ गंभीर रूप से मारपीट की, बाल पड़कर उसे सीढ़ियों से घसीट उसका सेल फोन तोड़ दिया और इस तरह गाली गलौज और हंगामा किया। पुलिस लाइन में रहने वाले पुलिस परिवार इसके गवाह बन गए मामला यहीं नहीं रुका महिला ने इस मामले की शिकायत शहडोल कोतवाली में दी थी लेकिन अमित का रसूख और संबंध इतनी हावी थे कि मारपीट के मामले में पुलिस को एफआईआर दर्ज करने में ही चार दिन लग गए 6 नवंबर को पुलिस ने अमित दीक्षित के खिलाफ गाली-गलौज मारपीट का मामला दर्ज किया लेकिन महिला का कहना है कि उसे गंभीर चोटे आई हैं उसकी मोबाइल तोड़ दी गई महिला होने के कारण उसके साथ आप शब्द कहे गए इसमें और धाराएं बढ़ाने के लिए महिला ने जहां माननीय न्यायालय की शरण ले ली है वहीं दूसरी तरफ फिर दर्ज होने से पहले ही अमित दीक्षित ने अपने को बीमार बताते हुए एक आवेदन बिना वरिष्ठ अधिकारियों की स्वीकृति के पुलिस लाइन में छोड़ा और इंदौर रवाना हो गए खबर यह है कि अमित दीक्षित इतने डिप्रेशन में है और इंदौर उज्जैन के आसपास मनोचिकित्सकों से संपर्क कर रहे हैं और खुद को दिमागी रूप से अस्वस्थ होने का प्रमाण पत्र बनवाने की फिराक में है जिसे माननीय न्यायालय में दर्शाकर वह उसे घटना से खुद को दोषी होने से बचा सके।यह भी खबर है कि आदर्श आचार संहिता लगने के कारण किसी भी शासकीय कर्मचारी को अवकाश जिला निर्वाचन अधिकारी या अपने विभाग के वरिष्ठ अधिकारी या दोनों से ही स्वीकृत होने के बाद हीमिल सकती है लेकिन अमित दीक्षित के मामले में यह भी चर्चा है कि अमित दीक्षित ने खुद को मेडिकल अनफिट बताते हुए आवेदन छोड़ और वर्तमान में पुलिस लाइन में उन्हें गैर हाजिर बताया जा रहा है मामले में कितनी सच्चाई है या तो आने वाले दिन ही बताएंगे लेकिन मनो चिकित्सा को ढूंढना और बिना सूचना स्वीकृति के गैर हाजिर होना सब चर्चाओं में है।