…तो अधीक्षक की संजीवनी के बिना नहीं जी पायेंगे बरगाही

शहडोल। जनजातीय कार्य विभाग अंतर्गत बुढ़ार विकास खण्ड के ग्राम टिकुरी स्थित आश्रम का प्रभार लेने के लिए विनोद बरगाही सहायक शिक्षक शासकीय कन्या विद्यालय एक बार फिर जुगाड़ से इस पद पर आसीन होंगे। जनजातीय कार्य विभाग द्वारा जारी पत्र के अनुसार इस बार उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय से विभाग के द्वारा पूर्व में हटाये जाने वाले आदेश के खिलाफ स्थगन लिया है, जिसके बाद 17 फरवरी को विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी बुढ़ार ने आवश्यक पत्र क्रमांक 1459 जारी किया और वर्तमान अधीक्षक आदिवासी बालक छात्रावास श्याम सुंदर पाव को अगले ही दिवस छात्रावास का प्रभार विनोद कुमार बरगाही को सौंपने के आदेश दिये हैं।
हमाम में बीईओ के साथ दर्जन भर
विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी बुढ़ार डी.के. निगम के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए 24 घंटे के अंदर प्रभार विनोद बरगाही को देने का पत्र वर्तमान अधीक्षक को दिया है, गौरतलब है कि इससे पहले भी 17 नवम्बर को जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त ने विभागीय पत्र क्रमांक 7976 के माध्यम से विनोद बरगाही को अधीक्षक बनाया था, लेकिन 24 नवम्बर को विजय बरगाही के द्वारा इसी छात्रावास में अधीक्षकीय कार्यकाल के दौरान किये गये शिष्य वृत्ति घोटाले में लोकायुक्त के प्रकरण का हवाला देकर आदेश को निरस्त भी किया था, लेकिन इस बार मुख्यालय छोड़ श्री बरगाही ने बीईओ श्री निगम के साथ मिलकर ही खेल-खेला है, जिसमें आज उन्हें प्रभार दिया जाना है। अचरज इस बात का है कि बीईओ ने यह आदेश जारी करते हुए 31 दिसम्बर के जनजातीय कार्य विभाग के आदेश का हवाला दिया है, लेकिन इस आदेश में उन्होंने एक माह 17 दिन क्यों लगा दिये, यह समझ से परे है।
…तो क्या यही है स्वच्छ प्रशासन
खुद को द्रोणाचार्य की संज्ञा देने वाले विनोद बरगाही और इसके जैसे दर्जनों भ्रष्टाचारी कभी बीईओ और कभी सहायक आयुक्त, तो कभी स्थानीय विधायक का सिफारिशी पत्र लेकर अधीक्षक के पद के लिए हर संभव: प्रयास कर रहे हैं, सवाल यह उठता है कि जिसके ऊपर पूर्व में भ्रष्टाचार प्रमाणित हो चुका है, उसे ही विधायक से लेकर अधिकारी क्यों उसी पद पर बैठाना चाहते हैं, यह भी तय है कि न्यायालय तो एक बहाना है, कलेक्टर और सहायक आयुक्त सहित संभागायुक्त चाहें तो, शिक्षा के मंदिर को बदनाम करने वाले कलयुगी द्रोणाचार्याे व भ्रष्टाचारियों को यह पद तो दूर, इनके खिलाफ अपराधिक मामले कायम करवाने चाहिए, तभी स्वच्छ प्रशासन की कल्पना की जा सकती है।