…तो अध्यक्ष पति के इशारे पर चलती है धनपुरी नपा
पूर्व अध्यक्ष ने संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन को दी शिकायत
नई परिषद का गठन होने के बाद एक बार फिर धनपुरी नगर पालिका को लेकर शिकवा-शिकायतों का दौर शुरू हो गया है, पालिका के पूर्व अध्यक्ष ने वर्तमान अध्यक्ष पति पर पालिका के कार्याे में अवैधानिक हस्ताक्षेप के आरोप लगाये हैं, मामले की शिकायत संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन को दी गई है।
धनपुरी। नगर पालिका के अध्यक्ष के पति पालिका में स्थित अध्यक्ष के चेंबर में अध्यक्ष की गैरहाजरी में बैठकर पूरा कार्य सम्हाल रहे हैं, हर ठेके से लेकर कर्मचारियों के लेखे-जोखे, उपस्थिति सबकुछ 2012 से 17 के कार्यकाल की याद ताजा कर रहा है। पालिका के पूर्व अध्यक्ष हंसराज तनवर ने मामले की शिकायत संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास शहडोल के साथ मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश, प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन भोपाल, कमिश्नर शहडोल तथा कलेक्टर शहडोल से की है। इस मामले में उन्होंने महिला अधिकारों के हनन और पुरानी तर्ज पर फिर कार्य होने और इस पर अध्यक्ष पति के रोक लगाये जाने की मांग की है।
यह लिखा पत्र में
हंसराज तनवर के द्वारा दी गई लिखित शिकायत में यह उल्लेख किया गया किअध्यक्ष के पति घनपुरी नगरपालिका में अध्यक्ष के चैम्बर में जाकर बैठते हैं , अध्यक्ष के गैरहाजिरी में और कर्मचारियों को निर्देशित कर शासकीय फाईले मंगवाकर देखते हैं, क्या ऐसा आदेश आपने या मध्यप्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने कोई सरकारी आदेश दिया है, अगर ऐसा है तो अध्यक्ष को सार्वजनिक करना चाहिए और नहीं है तो उनको कोई अधिकार नहीं है अध्यक्ष के चैम्बर में बैठने का ।
परिषद को किया दरकिनार
नगरपालिका की चुनी हुई परिषद् है, उसमें बैठे उपाध्यक्ष भी हैं, मगर उनसे फाईलों में काउन्टर हस्ताक्षर नही करवाया जाता है , प्रावधानों के अनुसार हर फाईल में उनसे संबंधित व पार्षदों के वार्ड से संबंधित फाईलों में उनके भी हस्ताक्षर हो, डायरेक्ट अधिकार नहीं है, चाहे सीएमओ हो या अध्यक्ष हो। देखने में यह आया है कि जो पूराने वर्कऑर्डर हैं, उसको ही आगे बढ़ाकर कार्य कराने का वर्कऑर्डर दिया जा रहा है, वैसे भी घनपुरी नगरपालिका भ्रष्टाचारों के मामले में पिछले 5 वर्षों से विवादों के घेरे में रही है।
यह भी हैं आरोप
परिषद में बीते माह हुई पहली बैठक में ही देवेभो कर्मचारियों का मुद्दा गरमाया था, इधर बीते दो माहों से साफ-सफाई की व्यवस्था भी पूरी तरह चौपट हो चुकी है, पुराने के साथ नये सीएमओ को भी साधने के फेर में दोनों किश्तियां साथ खेने का प्रयास हो रहा है, इधर अध्यक्ष चुनावों के दौरान जिन भाजपा के पार्षदों को शंका के घेरे में रखा गया था, उन्हें न तो समिति में रखा गया और अब तो हालात यह हैं कि निर्दलियों और अपने गुट के हारे हुए पार्षदों के घरों पर ठेकेदारों की बैठके हो रही हैं और उन्हीं के मार्गदर्शन में रूपरेखा तैयार की जा रही है।
उपकृत करने का दौर
चुनावों के दौरान चिन्हित हुए दूसरे गुट के ठेकेदारों, पार्षदों व अन्य को छोटे-छोटे कार्य आवंटित करके उपकृत करने का खेल शुरू किया गया है, कल तक जो अधिकारी बकहो में बैठकर सुशासन का ढोल पीट रहे थे, आज वही इस नैय्या के खेवनहार बन गये हैं। पूर्व से की गई गलतियों को सुधारने की जगह उन्हें आगे बढ़ाया जा रहा है, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष सहित वर्तमान उपाध्यक्ष आदि ने भी इस मामले में आपत्ति जताई कि पार्षदों और उपाध्यक्ष आदि की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जायेगी, इस मामले में शिकायत के बाद यदि व्यवस्था नहीं सुधरती तो, 2012 से 17 तक के मामले भी न सिर्फ निकलेंगे, बल्कि सडक़ों पर भी विरोध प्रदर्शन होगा।