…तो मतदाताओं के बीच परोसी जा रही है अवैध शराब?

पुलिस की लचरता के चलते नगरी निकाय चुनाव में अव्यवस्था
शहडोल। नगरीय निकाय चुनाव का अंतिम चरण है, चुनाव में देशी-विदेशी शराब पीने वालों को शराब बांटने की चर्चा है, इन दिनों निकाय चुनाव पूरी जोरों पर है। मतदाता को लुभाने के लिए प्रत्याशी व उनके समर्थक अलग-अलग तरीके अपना रहे है। कई जगह दावत कार्यक्रम भी चल रहे हैं। चर्चा है कि शाम होते ही वार्ड नंबर 27, 24, 31, 32, 39 सहित अन्य वार्ड में शराब परोसी जा रही है, लेकिन मजे की बात तो यह है कि वार्डवासियों को शराब परोसे जाने की खबर है, पुलिस किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार है, इस बीच वोटरों को लुभाने के लिए शराब बांटने की चर्चा ने सारी तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिये हैं।
पार्टिया भी मौन
वार्डाे से चुनाव मैदान में कूदी पार्टियां सहित निर्दलीय कोई भी इस मामले में शिकायत करने को तैयार नहीं है, चर्चा है कि प्रत्याशियों के समर्थकों द्वारा कुछ खास ठीहो से शराब परोसी जा रही है, वार्ड में यह भी चर्चा है कि चुनाव के चक्कर में जिनके द्वारा शराब परोसी जा रही है, वह युवाओं सहित नाबालिगों को नशे की तरफ ढकेल रहे हैं, इससे जहां युवा समर्थक पार्टी प्रत्याशी से खुश हैं तो, वहीं जिन्हें पता है कि किस प्रत्याशी द्वारा शराब बांटी जा रही है और उनके घरो के युवाओं, बुजुर्ग सहित नाबालिगों को शराब दी जा रही है, इसका वोटिंग के दिन प्रत्याशी को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है, लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर वार्डाे में मतदाताओं को रिझाने के लिए शराब परोसी जा रही तो, पुलिस आखिर मौन क्यों है।
सोच से विपरीत होगें परिणाम
नगरीय निकाय क्षेत्र में पुलिस की कोई भी उपस्थिति वार्डों में नहीं दिखाई दे रही है। इससे ऐसा लगता है कि पुलिस अपनी कार्यप्रणाली में लचर है। चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी मतदाताओं को अपने समर्थन में करने के लिए लगातार हथकंडे अपना रहे है। नगरी निकाय चुनाव में प्रत्याशियों की हालत पतली है। पिछले पार्षदों ने आम जनता के साथ ऐसा व्यवहार किया है कि आम जनता सिर्फ अब सेवक चुनना चाहती है जिसके कारण प्रत्याशियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, हालात इतने गंभीर है कि इस चुनाव में परिणाम ऐसे देखने को मिलेंगे जैसे लोगों ने कभी सोचा नहीं होगा।
नहीं कर रहे विकास पर चर्चा
पूर्व की नगर की सत्ता में रही भाजपा सहित कांग्रेस के पार्षद अपने किये गये कार्याे का रिपोर्ट कार्ड मीडिया सहित आमजन से साझा ही नहीं कर रहे है। बीते 5 सालों में कितना विकास हुआ, अगर इस पर बात की जाये तो, वह पीएम आवास, बच्चों की शिक्षा सहित राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार के मुद्दे गिनाने लगते हैं। जबकि नगर पालिका का चुनाव शहर के विकास और मूलभूत सुविधाओं पर होते हैं, जैसे नाली, पानी, सडक़, सफाई सहित नगर का विकास, चर्चा है कि इस मुद्दे पर अगर बात की जाये तो, पिछले पार्षदों की बोलती ही बंद रहती है।