बांधवगढ़ जंगल सफ़ारी में निर्धारित गति के नियमों की उड़ रही धज्जिया

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फुल डे सफारी वाहन चालक व गाइड पर्यटक मिलकर वन्य जीव के रहवासी स्थल में पैदा करते हैं खलल, स्थानीय कुछ वाहन चालको व गाइडों का कहना है की  प्रबंधन द्वारा दिए जा रहे च्वाइस सुविधा पर जा रहे वाहन चालक व गाइड चंद पैसों के लिए सभी नियम कानून को रौंदते हुए वन्य जीव व बाघ के राहवास में  खलल पैदा करते है जिस पर वन्य प्राणियों के जीवन यापन पर असर पड़ रहा है  भारत राजपत्र व एनटीसीए गाइडलाइन में पारित निर्धारित कुल समय जंगल सफारी हेतु समय नियम 5 घंटे सुबह 4 घंटे शाम के  वजाए दिए जाता 12 घंटे का  फुल डे सफारी को घूमने का  समय राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण विभाग ने मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य जीव प्रतिपालक को पत्र लिख कर स्पीड नियन्त्रण बगीरा ऐप संचालन व फुल डे सफारी अनुमति पर नियमानुसार  कार्यवाही करने हेतु कहा है।
(शुभम तिवारी)
 उमरिया। बाघों के गढ़ की सफारी में लगे वाहन जंगलों के अंदर तय गति सीमा की धज्जियां उड़ा रहे हैं, लेकिन प्रबन्धन उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं मध्य प्रदेश। बाघों के गढ़ की सफारी में लगे वाहन जंगलों के अंदर तय गति सीमा की धज्जियां उड़ा रहे हैं जिस पर की राज्य सरकार व भारत सरकार द्वारा पार्क में चल रहे पर्यटक वाहनों में स्पीड गति नियंत्रण हेतु जीपीएस बगीरा एप्प हेतु अभी हाल में ही ₹700000 सात लाख रु का बजट संचालन हेतु दिया है किंतु प्रबंधन द्वारा उपरोक्त राशि का वारा न्यारा कर दिया गया  , और प्रबन्धन उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। बाघ क्षेत्रों में सफारी ने न सिर्फ तय नियम और कायदों की धज्जियां उड़ाने में जुटे है, बल्कि सरकार के राजपत्र की अवमानना भी कर रहे हैं, लेकिन बाघ सहित अन्य वन्य प्राणियों के सरोकारता का दम भरने वाला बांधवगढ़ प्रबन्धन चिर निंद्रा में लीन है। बाघ सफारी के लिए सफारी हेतु जिन जिप्सियों का उपयोग किया जाता है, उन जिप्सियों की गति सीमा एनटीसी निर्धारित की गई है, जिसमें अचानक वन्यप्राणियों या बाघ के आने पर वाहन नियंत्रित हो सके, तो वहीं बाघों के फ़ोटोग्राफी और विडियोग्राफी के लिए भी दूरियां तय की गई हैं फिर भी पार प्रबंधक के आंखों के सामने सभी नियम कानूनों को जिप्सी संचालको व गाइडों द्वारा रौंदते  हुए फोटोग्राफी बाघों के पास वाहन लगा कर शोरगुल कराते हुए वन्य जीव के विचरण क्षेत्र में खलल पैदा किया जा रहा है।
पहले हो चुकी है घटना
बावजूद इसके नियम बीटीआर में दम तोड़ रहे हैं, खबर है कि इन सबकी जानकारी बीटीआर फील्ड डायरेक्टर व प्रबंधन के अमला को भलीभांति है, लेकिन उनके द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। विदित हो कि पूर्व में फोटोग्राफी व मोबाइल फोन के फेर में एक पर्यटक वाहन तेज गति में अपना नियंत्रण खो दिया था, जिसमें कई पर्यटक घायल हो गए थे। बावजूद इसके पार्क प्रबन्धन नियमों का पालन कराने और न ही सफारी वाहन संचालकों द्वारा नियमों का पालन कराने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं, बल्कि उदासीन रवैया घटना की पुनरावृत्ति के ताक में बैठा है।
फोटोग्राफी पर लगा प्रतिबंध
पार्क क्षेत्र में हुई दुर्घटनाओं को देखते हुए 29 मई 2018 के राजपत्र में पर्यटक भ्रमण के दौरान वाहन चालकों के फोटोग्राफी पर प्रतिबंध लगा दिया गया, किंतु कुछ वाहन चालक सरेआम राजपत्र की धज्जियां उड़ाते हुए खुलेआम फोटोग्राफी कर रहे हैं और तो और वन्यप्राणियों के अधिकतम पास वाहनों को सटाकर फोटोग्राफी करते और कराते हैं, जो भारत राजपत्र व एनटीसीए के नियमों के विपरीत है।
पार्क प्रबंधन ने बंद की आंखें
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में सफ़ारी के दौरान पर्यटक वाहनों के शोरगुल के दबाव में आकर संरक्षित क्षेत्र के बाघ अपना क्षेत्र छोड़ बफर क्षेत्रों में पलायन कर जाते हैं, जिसके बाद उनकी इसकी भरपाई अपने प्राणों को समाप्त कर करनी पड़ती है ऐसे में वही दूसरी ओर प्रबंधन वहां  सभी नियम कानून को जानते हुए रसूखदार लोगो के दबाव में आंखें बंद कर लिया है, जिसका फायदा उठाकर पर्यटक वाहनों के वाहन चालकों द्वारा खुलेआम वन्य प्राणियों को परेशान किया जाता है जिस पर प्रशासन के द्वारा ना कोई कार्यवाही ना कोई टू कास्ट पर्यटक वाहनों के प्रति किया जाता है जबकि हाल ही में हुए कई ऐसी बाघ व वन्य जीव से संबंधित की घटना से भी प्रबन्धन चिर निंद्रा में लीन है। अलबत्ता सूत्रों की माने तो जंगल सफ़ारी में खुलेआम नियम और कायदों की धज्जियां उड़ाई जा रही है,किंतु फील्ड डायरेक्टर इससे परे अनजान बन खुली छूट दिए हुए हैं और पर्यटन से संबंधित सभी अधिनस्थ अमला विगत पर्यटन वर्ष की अपेक्षा  वर्तमान वर्ष पार्क के अंदर  गस्त व कार्यवाही सशक्त नहीं हो पा रहा।

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