श्रीजा अग्निहोत्री एक खास बच्चे की शख्सियत धार्मिक माहौल में रहने वाली श्रीजा, Google के जैसा है इस बच्ची का दिमाग, पांच वर्ष की उम्र में 60 से अधिक देश और उनकी राजधानी है कंठस्थ
श्रीजा अग्निहोत्री एक खास बच्चे की शख्सियत
धार्मिक माहौल में रहने वाली श्रीजा, Google के जैसा है इस बच्ची का दिमाग, पांच वर्ष की उम्र में 60 से अधिक देश और उनकी राजधानी है कंठस्थ
कटनी ॥ कहते है कि 80% संस्कार बच्चे को उसकी मां के गर्भ से ही प्राप्त होते हैं और बाकी जैसे मां-बाप के संस्कार होते हैं उसका असर उनके बच्चों पर पड़ता है कुछ ऐसा ही कारनामा कटनी नगर में भी हुआ है। पांच वर्ष की आयु में जब बच्चे आसपास की चीजों को समझने का प्रयास करते हैं, और उन्हें विषयों की कोई विशेष समझ नहीं होती, उस उम्र में श्रीजा को देश ही नहीं दुनिया भर की जानकारी है। उम्र भले ही महज पांच वर्ष हो, लेकिन उनके ज्ञान को देखकर लगता है कि वे किसी जीनियस से कम नहीं हैं। श्रीजा की प्रतिभा देखते नही बनती । इस आयु में उसे 60 से अधिक देशों की राजधानी , इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण वर्ष, संस्कृत के श्लाेक व मंत्र याद हैं। श्रीजा अग्निहोत्री यह उस बच्ची का नाम है जिसने नगर में अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ने की शुरुआत कर दी है। बेशक इन्हें देख कर आप बस साधारण बच्ची समझ लेंगे लेकिन इनके कारनामों को लोहा इनके परिजन सहित आसपास के लोगों कें साथ अब कटनी नगर भी मानती है। धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत Google के जैसा है इस बच्ची का दिमाग, पांच वर्ष की उम्र में 60 से अधिक देश और उनकी राजधानी , भगवान श्री रामचंद्र जी की वंशावली, राम जी की स्तुति ,कबीर के दोहे लक्ष्मीबाई के दोहे, इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण वर्ष इस 5 वर्षीय श्रीजा को कंठस्थ है, श्रीजा के बड़े भाई अविनाश दुबे जो रेलवे विभाग में पदस्थ ने बताया कि चीजों को जानने के लिए हमेशा जिज्ञासु रहने वाली श्रीजा अपने माता-पिता से हमेशा सवाल पूछती है और वह उसके जवाब देने में जुटे रहते हैं। कई बार उसके सवाल न केवल माता-पिता बल्कि बड़े भाई अविनाश दुबे को भी हैरानी में डाल देते हैं।
भगवान श्री रामचंद्र जी की स्तुति, कबीर के दोहे
जुबानी है याद
कटनी नगर निवासी श्रीजा वार्डसले हिंदी मीडियम स्कूल में केजी-2 का छात्रा है। उसके पिता उमाकांत अग्निहोत्री होटल संचालक है और माता लकी अग्निहोत्री साधारण गृहणी होने कें साथ घर का पूरा महौल धार्मिक प्रवृत्ति का है। उन्होंने बताया कि बचपन से ही जिज्ञासु श्रीजा अपने देश के राज्यों के शहरों के नाम फटाफट सुना देती है। पिता ने बताया कि श्रीजा को श्रीरामचन्द्र स्तुति
जुबानी याद है और वह 5 मिनट में इसे सुना देतीं है। उन्होंने बताया कि साढ़े तीन वर्ष की आयु में वह उसे लेकर मंदिर जाते थे तब वह मंदिर में होने वाले भजनों को याद कर लेती थी जो उसे कंठस्थ है।
छोटी बच्ची को याद हैं कई देशों की राजधानियां
श्रीजा को विश्व के 60 से अधिक देश के नाम और उनकी राजधानी के नाम कंठस्थ है। उसे अलग- अलग देशों के राष्ट्रपति के नाम भी याद हैं। वह संसार की सबसे छोटी और सबसे छोटी चीज के बारे में बता सकती है। कमाल की बात ये है कि छोटी लड़की सभी राजधानियों का सही नाम बताती है। बच्ची के भाई अविनाश का कहना है कि श्रीजा की याददाश्त शुरू से ही असाधारण रही है।
देश-विदेश के इतिहास और जनरल नॉलेज के बारे में ऐसे बताती है कि बड़े – बड़ों के छक्के छूट जाएं.केजी-2 क्लास में पढ़ने वाली श्रीजा पलक झपकते ही उसका जवाब दे देतीं है. उसकी इस प्रतिभा से परिवार और आस-पास के लोग हैरान है। श्रीजा अग्निहोत्री की शख्सियत तराशने में उसके जीन, माता पिता, परिवार के दूसरे लोग, स्कूल, दोस्त उसके आस पास के लोग. इसके अलावा और भी बहुत से कारण हैं जो श्रीजा का किरदार तय करते हैं जिससे आगे चलकर श्रीजा अग्निहोत्री एक खास बच्चे की शख्सियत का हिस्सा बन गई ।