आवारा तत्वों के खिलाफ करें कड़े कार्यवाही: कलेक्टर

0

बालिका छात्रावासों एवं कोचिंग सेंटरों के सामने करें विशेष निगरानी

शहडोल। जिले में स्थापित बालिका छात्रावासों, निजी कोचिंग सेंटरों, बालिका विद्यालयों के सामने अनावश्यक रूप से आवारा तत्वों के पाए जाने पर उनकी छानबीन करें और उनके विरूद्व कड़ी कार्यवाही भी करें। छात्राओं को सड़कों पर वाहन चलाते वक्त उनके लाइसेंस, वैक्सीनेशन तथा मास्क की भी निगरानी करें तथा उन्हें यातायात नियमों की भी जानकारी दिलाएं, स्कूली वैनों में पुलिस हेल्पलाइन के नम्बर आवश्यक रूप से अंकित कराना सुनिश्चित करें, जिससे आवश्यकता पडऩे पर बालिकाएं शीघ्र सुरक्षा प्राप्त कर सकें। उक्त निर्देश जिला बाल संरक्षण समिति की बैठक में कलेक्टर डॉ. सतेन्द्र सिंह ने दिए।
छात्राओं के मन में न हो भय
कलेक्टर ने कहा कि निजी कोचिंग सेंटरों के सामने आवारा तत्वों के विरूद्व कार्यवाही कर अपराधों का अंकुश लगाएं, जिससे शिक्षा ग्रहण करने वाली छात्राओं के मन में भय का वातावरण न रहें और वे अच्छे मन से शिक्षा ग्रहण कर सके, सड़को पर बिना मास्क, बिना वैक्सीनेशन एवं बिना लाइसेंस के वाहन चालकों के विरूद्व कार्यवाही करना भी सुनिश्चित करें। जिससे दुर्घटनाएं रोकने में मदद मिले। बैठक में बताया गया कि अवांछित बच्चों को निर्जन स्थानों में न फेंक कर पालना में डाले जाने हेतु जिला मुख्यालय में पांच पालना केन्द्र स्थापित कराए गए है, साथ ही सभी विकासखण्डों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में पालना केन्द्र की स्थापना के प्रयास किये जा रहे है। इसके साथ ही बाल कल्याण समिति एवं किशोर न्याय बोर्ड समिति का गठन भी किया जा चुका है।
मासिक पेंशन का प्रावधान
कलेक्टर डॉ. सतेन्द्र सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल कल्याण योजना के अंतर्गत चिन्हित सात प्रकरणों में चार स्वीकृत किया गया है तथा 03 प्रकरण अनुमोदन हेतु समिति के प्रक्रियाधीन है। इस योजना के तहत पांच हजार रूपये मासिक पेंशन का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि पंचायत स्तर, वार्ड स्तर में भी समितियों का शीघ्र गठन कर उन्हें क्रियाशील बनाएं। इसी प्रकार स्पॉसरशिप योजना के अन्तर्गत विशेष आवश्यकता वाले 18 वर्ष तक के ऐसे बालक जिनके माता-पिता अथवा दोनों में से एक की मृत्यु होने पर उनके पालन-पोषण व संरक्षण में विपरित प्रभाव पड़ रहा हो या माता-पिता जेल में निरूद्व हो उन्हें पोषण, शिक्षा व स्वास्थ्य हेतु दो हजार प्रतिमाह का प्रावधान है। इन प्रकरणों की अधिकतम संख्या जिले में 40 निर्धारित है जिसमें 33 प्रकरण स्वीकृत है एवं 07 प्रक्रियाधीन है। इसी प्रकार चाइल्ड लाइन के माध्यम से सहायता प्राप्त बालकों की संख्या 117 है। जिले में स्थापित शिवालय शिशुगृह में निवासरत 7 बच्चें है तथा बालिका संम्प्रेक्षण गृह में संख्या 4 है।
इनकी रही भूमिका
बैठक में कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर से बचाव हेतु पूर्व तैयारी की भी समीक्षा की गई। बैठक में संयुक्त कलेक्टर दिलीप पाण्डेय, उप पुलिस अधीक्षक सुश्री सोनाली गुप्ता, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग श्रीमती शालिनी तिवारी, जिला शिक्षा अधिकारी रणमत सिंह सहित बाल कल्याण एवं किशोर न्याय बोर्ड के सदस्यगण अन्य अधिकारी उपस्थित रहें।
********

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed