जंगली हाथियों का आतंक जारी, कई घर तबाह,बारिश ने बढ़ाई पीड़ितों की मुसीबत

शहडोल।जिले के बुढार वन परिक्षेत्र अंतर्गत हरदी बीट के ग्रामों में बीते तीन दिनों से जंगली हाथियों का आतंक लगातार बना हुआ है। ग्राम पंचायत सारंगपुर के ग्राम सिलपरी, कठई, कोल्हारू टोला और ग्राम पंचायत हरदी 32 के ग्राम हरदी 32 व कोदवार कला में हाथियों के झुंड ने कई घरों को नुकसान पहुंचाया है। हाथी शाम ढलते ही ग्रामीण क्षेत्रों में घुस रहे हैं और कच्चे-पक्के मकानों को ध्वस्त कर रहे हैं।

स्थिति और भयावह तब हो गई जब इसी दौरान इन इलाकों में लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है, जिससे न केवल ग्रामीणों की बची-खुची संपत्ति नष्ट हो रही है बल्कि जिनके घर टूट चुके हैं वे भीगते हुए खुले आसमान के नीचे शरण लेने को विवश हैं। खासकर महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग इस दुर्दशा का सबसे अधिक शिकार हो रहे हैं।
जगन्नाथ शर्मा ने किया दौरा, की मदद
जिला पंचायत सदस्य जगन्नाथ शर्मा ने पीड़ित गांवों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि हाथियों का झुंड बीते चार दिनों से लगातार क्षेत्र में उत्पात मचा रहा है और प्रशासन व वन विभाग केवल उनके लौटने का इंतजार कर रहा है। शर्मा ने अपने स्तर पर ग्रामीणों को तत्काल सहायता भी उपलब्ध कराई और प्रशासन से शीघ्र राहत व पुनर्वास की मांग की।
उन्होंने कहा कि “हाथियों का मूवमेंट रोकने या दूसरी दिशा में मोड़ने के लिए वन विभाग की ओर से कोई माकूल इंतजाम नहीं किए गए हैं। लगातार हो रही बारिश ने ग्रामीणों की मुश्किलें कई गुना बढ़ा दी हैं।”
प्रशासन और वन विभाग की लापरवाही उजागर
स्थानीय लोगों का आरोप है कि न वन विभाग ने कोई चेतावनी जारी की और न ही कोई पूर्व तैयारी की गई। गांवों में न तो रात्रिकालीन गश्त की व्यवस्था है और न ही राहत केंद्र तैयार किए गए हैं। जिनके घर टूट गए हैं, वे स्कूल या पंचायत भवनों में भी जगह न मिलने के कारण खेतों के किनारे तिरपाल में ठिठुर रहे हैं।

ग्रामीणों की गुहार हमें शीघ्र मदद दी जाए
प्रभावित ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि उन्हें तुरंत अस्थायी आवास, सूखा राशन, कंबल और चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जाए। साथ ही हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने के लिए प्रशिक्षित वनकर्मियों की टीम तैनात की जाए।
स्थिति भयावह, जनहानि की आशंका
बारिश और हाथियों के उत्पात के दोहरे संकट ने क्षेत्र की स्थिति को अत्यंत गंभीर बना दिया है। यदि समय रहते कारगर कदम नहीं उठाए गए तो जनहानि की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।