घंटाघर शौचालय विवाद ने पकड़ा तूल: आस्था बनाम सुविधा, शहर दो खेमों में बंटा रामलीला मंच के पास निर्माण पर विरोध–समर्थन आमने-सामने, नगर निगम के लिए बना बड़ी चुनौती
घंटाघर शौचालय विवाद ने पकड़ा तूल: आस्था बनाम सुविधा, शहर दो खेमों में बंटा
रामलीला मंच के पास निर्माण पर विरोध–समर्थन आमने-सामने, नगर निगम के लिए बना बड़ी चुनौती
शहर के सबसे संवेदनशील और ऐतिहासिक स्थल घंटाघर स्थित रामलीला मंच के पास बन रहा सुलभ शौचालय अब कटनी में बड़े टकराव का मुद्दा बन गया है। मामला केवल निर्माण कार्य का नहीं रहा, बल्कि यह अब धार्मिक आस्था बनाम नागरिक सुविधा की सीधी लड़ाई में तब्दील हो चुका है। एक तरफ धार्मिक संगठन और स्थानीय नागरिक विरोध में उतर आए हैं, तो दूसरी तरफ व्यापारी वर्ग निर्माण जारी रखने पर अड़ा हुआ है।
कटनी। शहर के सबसे ऐतिहासिक और संवेदनशील स्थल घंटाघर स्थित रामलीला मंच के समीप बन रहे सार्वजनिक प्रसाधन सुलभ शौचालय को लेकर कटनी में तीखा विवाद खड़ा हो गया है। मामला अब केवल शौचालय निर्माण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह धार्मिक आस्था, जनभावनाओं, नागरिक सुविधा और स्वच्छता व्यवस्था के टकराव का प्रतीक बन गया है। एक ओर विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल सहित क्षेत्रीय नागरिक रामलीला मंच जैसे पवित्र और ऐतिहासिक स्थल के पास शौचालय निर्माण को धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध बताते हुए निर्माण बंद कराने की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सराफा एसोसिएशन और व्यापारी वर्ग घंटाघर जैसे व्यस्त व्यापारिक क्षेत्र में सार्वजनिक प्रसाधन को अत्यंत आवश्यक बताते हुए निर्माण कार्य जारी रखने के पक्ष में खड़े हैं।
धार्मिक संगठनों का कहना है कि घंटाघर रामलीला मैदान में प्रतिवर्ष प्रभु श्रीराम की पावन रामलीला का मंचन होता है। मंच के पीछे राम-जानकी एवं हनुमान जी का मंदिर स्थित है, जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं। ऐसे पवित्र स्थल के समीप शौचालय निर्माण से धार्मिक वातावरण प्रभावित होगा और जनभावनाएं आहत होंगी। इसी आधार पर विहिप–बजरंग दल ने नगर निगम से निर्माण कार्य तत्काल रोकने और वैकल्पिक स्थान चयन की मांग की है। वहीं, व्यापारिक संगठनों का तर्क है कि घंटाघर, सराफा बाजार, कपड़ा बाजार और झंडा बाजार जैसे क्षेत्रों में रोजाना हजारों नागरिकों और बाहरी लोगों की आवाजाही रहती है, लेकिन सार्वजनिक शौचालयों की भारी कमी के कारण महिलाओं, बुजुर्गों और आम नागरिकों को गंभीर असुविधा का सामना करना पड़ता है। सराफा एसोसिएशन का कहना है कि स्वच्छता और नागरिक सुविधा के लिए यह निर्माण अत्यंत जरूरी है और इसका विरोध जनहित के खिलाफ है। इस पूरे मामले ने नगर निगम को असमंजस की स्थिति में डाल दिया है। एक ओर धार्मिक आस्था और जनभावनाओं का सम्मान जरूरी है, तो दूसरी ओर स्वच्छता और मूलभूत नागरिक सुविधाओं की अनदेखी भी संभव नहीं।
रामलीला मंच के पास शौचालय पर भड़का विरोध
विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल ने रामलीला मैदान परिसर में हो रहे शौचालय निर्माण पर कड़ा ऐतराज जताते हुए इसे धार्मिक भावनाओं पर सीधा प्रहार बताया है। संगठनों का कहना है कि घंटाघर रामलीला मंच केवल एक मंच नहीं, बल्कि शहर की आस्था और परंपरा का प्रतीक है, जहां दशकों से प्रभु श्रीराम की पावन रामलीला का मंचन होता आ रहा है। संगठनों ने स्पष्ट कहा है कि मंच के पीछे राम-जानकी एवं हनुमान जी का मंदिर स्थित है, जहां रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु, विशेषकर महिलाएं, पूजा-अर्चना के लिए पहुंचती हैं। ऐसे पवित्र स्थल के समीप शौचालय का निर्माण अस्वीकार्य है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि निर्माण कार्य नहीं रोका गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
नागरिकों की खुली आपत्ति, वैकल्पिक स्थान का सुझाव
घंटाघर क्षेत्र के नागरिकों ने नगर निगम को लिखित आपत्ति सौंपते हुए कहा है कि यह निर्माण धार्मिक माहौल को नुकसान पहुंचाएगा। नागरिकों ने वैकल्पिक व्यवस्था सुझाते हुए कहा है कि नगर निगम द्वारा निर्मित दुकानों के पीछे शौचालय बनाया जाए, जहां किसी को आपत्ति नहीं होगी।
व्यापारी बोले-सुविधा नहीं तो अव्यवस्था तय
वहीं दूसरी ओर, सराफा एसोसिएशन सहित व्यापारी संगठनों ने मोर्चा संभालते हुए नगर निगम से निर्माण कार्य जारी रखने की मांग की है। व्यापारियों का कहना है कि घंटाघर, सराफा बाजार, कपड़ा बाजार और झंडा बाजार जैसे इलाकों में रोजाना हजारों लोगों की आवाजाही होती है, लेकिन सार्वजनिक शौचालयों के अभाव में महिलाओं, बुजुर्गों और आम नागरिकों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। सराफा एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि कुछ लोग भावनाओं को भड़का कर जनहित के इस कार्य को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि इस क्षेत्र में शौचालय की सुविधा नहीं दी गई तो स्वच्छता व्यवस्था चरमरा जाएगी।
नगर निगम के सामने अग्निपरीक्षा
घंटाघर शौचालय विवाद ने नगर निगम और जनप्रतिनिधियों को कठघरे में खड़ा कर दिया है। एक तरफ धार्मिक आस्था और परंपराओं का सवाल है, तो दूसरी ओर स्वच्छता, सुविधा और शहर की व्यवस्था।
अब बड़ा सवाल यही है,क्या नगर निगम समय रहते संतुलित फैसला ले पाएगा, या यह विवाद और बड़ा आंदोलन बनकर शहर की शांति भंग करेगा? शहर की निगाहें अब प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं।
घंटाघर क्षेत्र का यह विवाद स्पष्ट रूप से दो महत्वपूर्ण पहलुओं—धार्मिक आस्था और नागरिक सुविधा—के बीच संतुलन की मांग करता है। एक ओर जहां धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों की पवित्रता और जनभावनाओं का सम्मान आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर स्वच्छता, सुविधा और व्यवस्थित शहर भी आधुनिक नगर प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है।,अब यह निर्णय नगर निगम और जनप्रतिनिधियों पर निर्भर करता है कि वे सभी पक्षों से संवाद स्थापित कर ऐसा समाधान निकालें, जिससे न तो धार्मिक भावनाएं आहत हों और न ही शहरवासियों को आवश्यक सुविधाओं से वंचित होना पड़े। नागरिकों को उम्मीद है कि नगर निगम जनभावनाओं, स्वच्छता और शहर की व्यवस्था—तीनों को ध्यान में रखते हुए शीघ्र कोई संतुलित और सर्वमान्य निर्णय लेगा।