जनसेवा का चेहरा विधायक बने सहारा, बच गई यातायात पुलिस कर्मी जान. नेता संजय सतेंद्र पाठक ने साबित किया कि राजनीति केवल सत्ता नहीं….और इंसानियत ने ज़िंदगी को दिया नया मौका

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जनसेवा का चेहरा विधायक बने सहारा, बच गई यातायात पुलिस कर्मी जान. नेता संजय सतेंद्र पाठक ने साबित किया कि राजनीति केवल सत्ता नहीं….और इंसानियत ने ज़िंदगी को दिया नया मौका
शनिवार की दोपहर, शहर का सबसे व्यस्त चौराहा चाण्डक चौक। ट्रैफिक के शोर और चिलचिलाती धूप के बीच आरक्षक मदन तिवारी ड्यूटी निभाते-निभाते अचानक लड़खड़ाए और फिर ज़मीन पर गिर पड़े। लोगों ने देखा तो हलचल मच गई। कोई पास आया, कोई दूर से झांका। भीड़ थी पर पहल करने वाला कोई नहीं इत्तेफाक से वहीं से गुजर रहे पूर्व मंत्री एवं विजयराघवगढ़ विधायक संजय सत्येंद्र पाठक ने मानो संवेदनशीलता की मिसाल पेश कर दी। अपनी गाड़ियों का काफिला रोका, भीड़ के बीच पहुंचे और बिना विलंब किए मदन तिवारी को खुद अस्पताल पहुंचाया।
कटनी।। शनिवार दोपहर चाण्डक चौक, भीड़-भाड़ और शोरगुल के बीच अचानक सन्नाटा पसर गया। तपती धूप में घंटों खड़े रहकर ट्रैफिक संभाल रहे आरक्षक मदन तिवारी अचानक बेहोश होकर सड़क पर गिर पड़े। लोग घबराए, कुछ कदम बढ़े, कुछ ठिठक गए। इत्तेफाक से वहीं से गुजर रहे पूर्व मंत्री एवं विजयराघवगढ़ विधायक संजय सत्येंद्र पाठक ने मानो संवेदनशीलता की मिसाल पेश कर दी। अपनी गाड़ियों का काफिला रोका, भीड़ के बीच पहुंचे और बिना विलंब किए मदन तिवारी को खुद अस्पताल पहुंचाया। इलाज मिला, जिंदगी संभली और खतरा टल गया। संजय सत्येंद्र पाठक ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि जब कोई नेता खुद पहल करता है, तो राजनीति और पद पीछे छूट जाते हैं और आगे आती है जनसेवा की असली तस्वीर। संजय पाठक का यह कदम बता गया कि सच्चा प्रतिनिधि वही है जो मौके पर खड़ा हो, संकट की घड़ी में साथ दे और सेवा को ही राजनीति का आधार माने। भीड़ के बीच उस पल हर किसी ने महसूस किया कि संवेदनशीलता ही इंसानियत है और यही एक नेता को अलग पहचान दिलाती है। भीड़ के बीच से निकले नेता नें साबित कर दिया कि राजनीति सिर्फ कुर्सी तक सीमित नहीं, बल्कि जनसेवा और संवेदनशीलता का नाम है।

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