मन की है महरोई, लूट सके तो लूट

90 प्रतिशत पंचायतों में चल रही ठेकेदारी प्रथा
फर्जी बिलों पर महरोई पंचायत में हुए भुगतान
सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक खेल रहे भ्रष्टाचार का खेल
उमरिया। जिले की बिरसिंहपुर पाली जनपद पंचायत की ग्राम पंचायतों के विकास कार्य, भवनों, सड़कों आदि का निर्माण कार्य के लिए सरकार ने तो ग्राम पंचायत के सरपंच को जिम्मेदारी दी है, लेकिन निर्माण कार्य के प्रारंभ से लेकर कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र प्राप्त करने राशि आहरण करने के लिए ऑफ रिकार्ड ठेका प्रथा चल रही है, क्षेत्र की लगभग 90 प्रतिशत पंचायतों में सभी कार्य ठेकेदारों द्वारा ही किया जा रहा है, जिम्मेदार अधिकारियों की जानकारी में होने के बाद भी ठेकेदारी प्रथा पर रोक लगाने के बजाय अधिकारी खुद ठेकेदारों से अपना जुगाड़ बना अपनी जेबें गरम कर रहे हैं।
ब्रेफिक्री का आलम
जनपद पंचायत क्षेत्र की कई ग्राम पंचायतों में अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। इन मामलों में अधिकारियों की चुप्पी कई प्रश्न चिन्ह खड़े कर रही है। कर्मचारियों की बेफिक्री का आलम यह है कि बगैर काम किए ही लाखों रुपए फर्जी तरीके से आहरित किए जा रहे हैं। कई ग्राम पंचायतों में फर्जी फर्मों के नाम से बिल लगाकर सरकारी राशि का गोलमाल किया जा रहा है। अधिकांश मामलों की जानकारी अधिकारियों को होने के बावजूद कोई कार्रवाई न होना भ्रष्टाचार को एक गोरखधंधे का रूप दे रहा है।
बगैर भाड़ा पहुंच रही सामग्री
जनपद पंचायत बिरसिंहपुर पाली की ग्राम पंचायत द्वारा अमिलिहा की एक फर्म के नाम पर सीमेंट, रेत, गिट्टी, मुरूम व अन्य निर्माण सामग्री के नाम पर लाखों रुपए का भुगतान किया गया है। पंचायत से कई किलोमीटर दूरी से यह निर्माण सामग्री बगैर भाड़े के ग्राम तक कैसे पहुंच रही है, इस सवाल का जवाब ही बहुत सारे सवालों को हल कर देगा। ग्रामीणों का आरोप है कि कई ग्राम पंचायतों में फर्जी बिलों का खेल जमकर चल रहा है, कहीं से सामग्री लेते हैं और फिर मनमानी फर्मों के फर्जी वाउचर लगाकर राशि आहरित कर लेते हैं।
महरोई में हुआ बड़ा खेल
हर विभागो में कार्य की गुणवत्ता के लिऐ अधिकारी-कर्मचारी नियुक्त किया जाता है, ताकि समय समय पर उस कार्य का निरीक्षण करके अच्छा और गुणवत्ता पूर्ण रूप से सम्पादित कर सके , जिससे भ्रष्टाचार की रोकथाम की जा सके। सूत्रों की माने तो जनपद पंचायत बिरसिंहपुर पाली मे पदस्थ अधिकारी कर्मचारी और इंजीनियर सांठगांठ से बने कार्य पर ज्यादा विश्वास रखती है। जिसका नतीजा ग्राम पंचायत महरोई पंचायत गुणवत्ता के मामले मे फिसड्डी साबित हो रही है, अनुपयोगी शौचालय, पंचायतो मे लगे फर्जी बिल की भरमार भ्रष्ट होने का सबसे बड़ा सबूत है। सूत्रों की माने तो पंचायत मे भी सब इंजीनियर की सन्लिप्ता मे फर्जी बिल लगाकर शासन को लाखो रूपए का चूना लगाने का काम कर रहे है, पंचायत मे विकासकार्य और सरपंच , सचिव, सहायक सचिव और सब इंजीनियर के चल अचल सम्पत्ति की सूक्ष्म जाँच होने की आवश्यकता है, जिससे स्पष्ट हो जाऐगा की किस तरह भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है।
खुलकर शासन की राशि की होली
जनपद पंचायत बिरसिंहपुर की ग्राम पंचायत महरोई में बगैर मद बिलों के भुगतान ऑनलाईन देखे जा सकते हैं, मजे की बात तो यह है कि बीते वर्ष लॉक डाउन में जहां पूरा देश बंद था, उस दौरान महरोई पंचायत द्वारा सामग्री की खरीदी कर 18 अप्रैल को फर्म संचालक को भुगतान कर दिया गया, अगर पंचायत ने लॉकडाउन के पहले सामग्री ली थी तो, फर्म संचालक द्वारा बिल भी साथ में दिया गया होगा, तो पंचायत के जिम्मेदारों ने उसी समय बिल का भुगतान आखिर क्यों नहीं किया, सूत्रों की माने तो पंचायत के सचिव द्वारा हर बिल पर कमीशन का खेल-खेला जाता है और जानकारी देने से बचने के लिए ग्राम पंचायत के सचिव महिला सरपंच को अपनी ढाल की तरह उपयोग करते हैं।
इनका कहना है…
पंचायत के सारे कार्य सचिव देखते हैं, आप ने बताया तो, मैं देख लेती हूं, पूरे मामले में मैं देखकर ही कुछ बता पाऊंगी।
श्रीमती ममता सिंह
सरपंच महरोई