ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार, कहीं स्वास्थ्य विभाग तो नहीं दे रहे पनाह़,

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(अनिल लहँगीर)

शहडोल । बुढ़ार में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के जान से खिलवाड कर रहे झोलाछाप डॉक्टरों पर आखिरकार कार्रवाई कब होगी जिसमें गरीब तबके के लोग आए दिन इन नौसिखिया झोलाछाप डॉक्टरों का शिकार होकर अपनी जान गवा रहे हैं।
शहडोल संभाग के सिंहपुर उपखंड अंतर्गत शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में शहर की गलियों से लेकर मुख्य बाजारो तक झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। आलम यह है कि एक-एक गली में चार-चार क्लीनिक संचालित हैं। बिना किसी डिग्री के छोटे-बड़े हर मर्ज का इलाज इनके पास रहता है। अगर मरीज थोड़ा ठीक भी है और इनके इलाज करने से ज्यादा सीरियस हो जाएं तो इन्हें कोई परवाह नहीं रहती।

इन झोलाछाप डॉक्टरों का लक्ष्य सिर्फ पैसे कमाना ही होता है। यही वजह है कि आए दिन गरीब तबके के लोग इन डॉक्टरों के शिकार हो जाते हैं। जिससे वे अपनी जान तक गवाना पड़ता हैं। इसके बावजूद भी ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते।

अब तक कुछ झोलाछाप डाॅक्टरों के ऊपर दिखावे की कार्रवाई की गई

गली और मुख्य सडकों पर क्लीनिक खोले सैकड़ों झोलाझाप डाॅक्टरों में अब तक केवल कुछ ही डाॅक्टरों के खिलाफ कार्रवाही की गई है। हाल ही में कुछ झोलाछाप डाॅक्टरों को ही सिर्फ नोटिस भेजा गया है। ये नोटिस विभाग के द्वारा दिया गया है। यहीं कारण है कि झोलाझाप डाॅक्टर स्वास्थ्य विभाग से जरा भी नहीं डरते।

झुग्गी और गांव वाले होते हैं इनके शिकार

झाेलाझाप डाॅक्टरों का शिकार ज्यादातर मजदूर वर्ग व गांव में रहने वाले गरीब लोग हो रहे हैं। ये लोग इन डाॅक्टरों से 20 से 50 रुपये में दवाई ले लेते हैं। जिसका खामयाजा कई बार उन्हें अपनी मौत को गले लगाकर चुकाना पडता है। अब तक एसे कई मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें झोलाझाप डाॅक्टरों की दवाई से लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

स्वास्थ्य विभाग का भी नहीं है कोई खौफ

झुग्गियों व गांवों में सैकड़ों की संख्या में झोलाछाप डॉक्टर क्लीनिक चला रहे हैं। उन्हें पता है कि विभाग कभी छापेमारी करने नहीं आएगा चूंकि विभागीय अधिकारियों के साथ उनकी सांठ-गांठ रहती है। किसी शिकायत पर अगर छापेमारी हो भी जाती है तो इसकी जानकारी इन्हें पहले ही मिल जाती है। अवैध क्लीनिकों के अलावा अवैध मेडिकल स्टोर भी सैकड़ों की संख्या में चल रहे हैं। यही नहीं इन मेडिकल स्टोर पर उन दवाइयों को भी आसानी से लिया जा सकता है जिन पर बैन है।

इन जगहों पर है सबसे ज्यादा झाेलाझाप डॉक्टर

स्वास्थ्य विभाग सिंहपुर खंड अंतर्गत लगे हुए गांव में इन डॉक्टरों के द्वारा किया जाता है इलाज।
डॉक्टर बडगैया सरईकापा के द्वारा अपने घर मे ही क्लीनिक खोलकर इलाज किया जाता है।
वही डॉ प्रजापति भी क्लीनिक संचालित कर रखा है।
डॉक्टर महेश सिंह छिरहटी में रोड के ऊपर क्लीनिक खोलकर खुलेआम इलाज करते है जहाँ से आए दिन प्रशासनिक अधिकारी गुजरते हैं पर इस क्लीनिक के ऊपर किसी की नजर क्यों नहीं पडती?
इम्तियाज खान खैरहा पुलिस थाना से कुछ दूरी पर अपना क्लीनिक संचालित कर आए दिन ग्रामीणों के जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। डॉक्टर अनिल द्विवेदी अरझूला के द्वारा विगत कई वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में खुले तौर पर इलाज कर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
रणजीत सिंह सामतपुर किराना दुकान की आड़ में खुलेआम क्लीनिक चला रहे हैं। तो वही
डॉक्टर वी के शुक्ला सामतपुर ने अपने घर के अंदर ही क्लीनिक खोलकर दबंगई से इलाज कर रहे हैं और अपनी चार पहिया वाहन में अपने नाम एवं अपनी उपाधि का इतना बड़ा बोर्ड लगा रखा है और यह गाड़ी पूरे संभाग में दौड़ती नजर आती है इसके बावजूद भी संबंधित अधिकारी एवं प्रशासनिक अमला की नजर क्यों नहीं पड़ रही है ?
डॉक्टर खान करकटी, डॉक्टर सुनील पंडित बंगवार कॉलोनी, दीपक साहू अरझूला के द्वारा घूम घूम कर पूरे ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज कर रहे हैं।

झापेमारी से पहले ही मिल जाती है जानकारी

सूत्रों का दावा है कि किसी झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ जब भी किसी के द्वारा शिकायत करने पर छापेमारी की जाती है। तो इससे पहले ही उन्हें इस छापेमारी की जानकारी मिल जाती है। इसी का फायदा उठाकर ये झोलाछाप डाॅक्टर अपनी दुकान बंद कर मौके से गायब हो जाते हैं।

इनका कहना है
इस संबंध में जो भी कार्रवाई होती हैं वह जिला स्तर पर होती हैं जैसा हमें निर्देश मिलता है हम उनके साथ जाकर कार्यवाही में मदद करते हैं।
राजेश मिश्रा ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर सिंहपुर
तथाकथित झोलाछाप डॉक्टर हमारे यहां से किसी प्रकार के रजिस्टर्ड नहीं होते हैं यदि हमें भ्रमण के दौरान या शिकायत मिलती है तो हमारे विभाग के द्वारा ऐसी फर्जी क्लिनिक पर निश्चित तौर पर कार्यवाही की जाती है।
राजेश पाण्डेय, सी एम एच ओ शहडोल

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