ये अस्पताल है….मजाक नहीं साहब, सीएस ने अपने ही आदेश को किया निरस्त

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ये अस्पताल है….मजाक नहीं साहब, सीएस ने अपने ही आदेश को किया निरस्त

शहडोल। 13 जनवरी को सिविल सर्जन डॉ. जी.एस. परिहार ने सर्जिकल, अस्थि रोग एवं पीजीएमओ सर्जरी विभाग को पत्र लिखकर यह आदेश किया कि कोई भी ऑपरेशन करने से पहले मरीज और उनके सगे संबंधियों से शपथ पत्र ले लें कि हमने कोई रिश्वत नहीं ली है और यह शपथ-पत्र सिविल सर्जन को प्राप्त कराने के बाद ही ऑपरेशन का काम शुरू करें। विभागीय अधिकारियों को जारी यह पत्र सोशल मीडिया में वॉयरल हुआ, समाचार पत्रों की सुर्खिया बनी और सब सिविल सर्जन की सोच और उनके कुशल मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठाने लगे, मंगलवार को क्षेत्रीय विधायक श्रीमती मनीषा सिंह ने भी इस पर सवाल उठाये, जिसका असर यह हुआ कि 17 जनवरी को डॉ. जी.एस. परिहार सिविल सर्जन ने फिर एक पत्र जारी किया और पूर्व में जारी पत्र को तत्काल निरस्त करने का आदेश दिया।

इसलिए उठे थे सवाल

सरकारी अस्पताल होने के बाद भी शहडोल के कुशाभाऊ ठाकरे जिला चिकित्सालय में जब से डॉ. जी.एस.परिहार सिविल सर्जन बने हैं, अस्पताल व्यवसायिक परिसर बन चुका है, आम आदमियों से हर मामले में रूपये लेना, ब्लड बैंक से खून बेचना, एम्बुलेंस के नाम पर कारोबार और दवाईयों की कालाबाजारी के साथ ही रोगी कल्याण समिति का एकाधिकार अपने पास रखना, तमाम मामले ऐसे थे जो जनता से जुड़े थे, लेकिन 6 बार भाजपा के विधायक रहे, वर्तमान जैतपुर विधायक जयसिंह मरावी के चालक से जब डॉ. अपूर्व पाण्डेय ने इलाज के नाम पर 5 हजार रूपये ले लिए, विधायक ने इसकी शिकायत की, सीएस ने इस मामले को जांच में उलझा दिया। सीएम तक मामला जाने के बाद बेमन से डॉक्टर को निलंबित किया, आरोप थे कि अस्पताल में होने वाली हर वसूली सीएस के निर्देश पर होती है, कार्यवाही चाहे किसी पर भी हो। इसी सब के बाद डॉक्टर निलंबित हुआ और वसूली बंद होने पर रोष में आये, सीएस ने यह पत्र जारी किया।

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