यह कदम हमारा विरोध नहीं, बल्कि अपनी आजीविका बचाने की अंतिम कोशिश – रामजी 

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गिरते भाड़े एवं अवैध वसूली से त्रस्त ट्रक मालिको ने कलेक्टर के नाम थाना प्रभारी को सौपा ज्ञापन
(अरविन्द द्विवेदी)
अनूपपुर।क्षेत्रीय ट्रक ओनर्स एसोसिएशन ने लंबे समय से गिरते भाड़े और ट्रांसपोर्टरों द्वारा की जा रही अवैध वसूली से परेशान होकर बड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है। इसी संदर्भ में एसोसिएशन ने माननीय कलेक्टर के नाम थाना प्रभारी रामनगर को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा है। जिसमें एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि 16 दिसंबर 2025 को डोला तिराहा, नेशनल हाईवे-43 पर सभी मोटर मालिक अपने ट्रक खड़े कर देंगे और उनकी चाभियाँ कलेक्टर महोदय को सौंपेंगे, ताकि प्रशासन को संकट की गंभीरता का एहसास हो सके।
कई वर्षों से लंबित अवैध वसूली की शिकायतें, फिर भी प्रशासन मौन 
एसोसिएशन ने बताया कि बीते चार–पांच वर्षों से ट्रांसपोर्टरों द्वारा कॉलरी खर्च, लोडिंग चार्ज और अन्य मनमानी शुल्कों के नाम पर लगातार अवैध वसूली की शिकायतें की जाती रही हैं। साथ ही कलेक्टर को कई बार ज्ञापन दिए जाने के बावजूद अब तक किसी भी प्रकार की ठोस कार्यवाही न होने पर एसोसिएशन में गहरा रोष है। एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि “क्या ट्रांसपोर्टरों पर शासन-प्रशासन की नजर नहीं पड़ती.? आखिर कार्यवाही कब होगी? लिखित सहमति के बावजूद भी ट्रांसपोर्टरों की मनमानी जारी है। ज्ञापन में बताया गया कि जब भी एसोसिएशन ने आवाज़ उठाई, ट्रांसपोर्टरों ने अपने फर्म लेटर पैड या स्टांप पेपर पर लिखित समझौते कर यह वचन दिया कि वे यूनियन की शर्तों का पालन करेंगे। लेकिन कुछ ही दिनों बाद फिर वही अवैध वसूली, मनमानी लोडिंग चार्ज और कॉलरी खर्च वापस शुरू कर दिए जाते हैं।
गिरते भाड़े ने तोड़ी ट्रांसपोर्टरों की कमर, कई ट्रक मालिक हुए बर्बाद 
एसोसिएशन ने बताया कि काम पाने की होड़ में कुछ ट्रांसपोर्टरों ने भाड़ा इतना नीचे गिरा दिया कि मोटर मालिकों के सामने गाड़ियों की किस्त भरना भी मुश्किल हो गया है। कई गाड़ियाँ बैंक में खिंच गईं, कई मोटर मालिक कर्ज़ में डूबकर बर्बाद हो गए। एसोसिएशन का आरोप है कि ट्रांसपोर्टरों की इस गिरावट की होड़ को रोकना प्रशासन की जिम्मेदारी थी, लेकिन लापरवाही ने पूरे व्यापार को संकट में धकेल दिया। क्षेत्रीय ट्रक ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रामजी रिन्कू मिश्रा ने कहा कि हम पिछले कई वर्षों से शासन-प्रशासन को अवैध वसूली के खिलाफ आवाज़ दे रहे हैं लेकिन हमें आज तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है। ट्रांसपोर्टर अपनी मनमानी रोकने के लिखित वचन देते हैं लेकिन फिर वही वसूली शुरू कर देते हैं। अब हालात इतने बिगड़ गए हैं कि ट्रक मालिक भाड़े से किस्तें भी नहीं चुका पा रहे। हमारी गाड़ियाँ खिंच रही हैं, परिवार बर्बाद हो रहे हैं इसलिए 16 दिसंबर को हम मजबूरी में अपने वाहनों की चाभियाँ कलेक्टर को सौंप रहे हैं। यह कदम हमारा विरोध नहीं, बल्कि अपनी आजीविका बचाने की अंतिम कोशिश है।

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